Friday 21 May 2021

एंटरोमाइसेटिन कैप्सूल (Enteromycetin Capsule) क्या है? एंटीबायोटिक दवा के बारे में फुल जानकारी

Enteromycetin Capsule क्या है? एंटरोमाइसेटिन कैप्सूल दवा के बारे में फुल जानकारी हिंदीमें जानने के लिए वेबसाइटहिंदी का पोस्ट पढ़िए क्यूंकि इस पोस्ट में एनटेरोमीसैटिन एंटीबायोटिक कैप्सूल के बारे में बताया गया है |

जब कोई व्यक्ति को शरीरिक समस्या होती है तो वह कोई न कोई एंटीबायोटिक दवाइयां लेता है ताकि वायरल इन्फेक्शन को ठीक किया जा सके | यह तभी संभव है जब बैक्टीरिया से एंटीबायोटिक लड़ता है यानि की बैक्टीरिया मरने के लिए एंटीबायोटिक पावरफुल होना चाहिए |

एंटरोमाइसेटिन कैप्सूल क्या है?

Enteromycetin Capsule एक प्रकार का एंटीबायोटिक दवा है | जिसका इस्तेमाल कुछ खास किस्म के बैक्टीरिया से लड़ने के लिए किया जाता है | एंटरोमाइसेटिन कैप्सूल का इस्तेमाल जीवाणु संक्रमण के उपचार में भी किया जाता है | 

एंटरोमाइसेटिन 500 कैप्सूल को रोगी के स्थिति के अनुसार डोज बनाकर देना पड़ता है | अगर आप इस दवा को बिच में बंद कर देते है तो पहले वाला  इन्फेक्शन फिर से हो सकता है | इसलिए Enteromycetin 500 Capsule को डॉक्टर के निगरानी में लेना चाहिए |

एनटेरोमीसैटिन कैप्सूल का यूज कब करें?

एनटेरोमीसैटिन कैप्सूल का इस्तेमाल बहुत सारे बिमारियों में किया जाता है परन्तु यूज करने से पहले रोगी के स्थिति, लक्षण देखना आवश्यक होता है |

टाइफाइड बुखार

हैज़ा

आँख आना (नेत्र संक्रमण)

कान में संक्रमण

जीवाणु संबंधी संक्रमण

आंत्र ज्वर

स्किन इन्फेक्शन

Enteromycetin 500mg Capsule के साइड इफ़ेक्ट

एंटरोमाइसेटिन 500 कैप्सूल लेने के बाद कुछ साइड इफ़ेक्ट हो सकते है | लेकिन यह रोगी के हालात पर निर्भर करता है | इस दवा को खाने के बाद कभी काल  दुष्प्रभाव हो सकते है परन्तु इस तरह का बहुत कम ही समस्या होती है | अगर आपको भी इस तरह की साइड इफ़ेक्ट नजर आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें |  

स्वाद बदलना

सिरदर्द

उल्टी

दस्त होना

मिचली आना

चकता

Enteromycetin 500 Capsule कैसे काम करता है?

लक्षणों के अनुसार शरीर में होने वाले इन्फेक्शन को Enteromycetin Capsule ठीक करता है | जब डॉक्टर किसी रोगी को एनटेरोमीसैटिन कैप्सूल्स देता है तो जिवाणुओं की वृद्धि रुक जाती है |

जैसा की हम जानते है बैक्टीरिया हमारे शरीर के प्रोटीन को संश्लेषण करता है जिसके बाद एंटरोमाइसेटिन कैप्सूल का सेवन करने से बैक्टीरिया का वृद्धि रुक जाती है और रोगी ठीक होने लगता है | 

Enteromycetin Capsuls लेने से सावधान

रोगी को कुछ ऐसी समस्याएं होती है जिनमें Entromycetin Capsuls लेने से परहेज करना चाहिए | अगर आप डॉक्टर से पूछे बिना एनटेरोमीसैटिन कैप्सूल्स का सेवन करते है तो अन्य बहुत सारे समस्या से ग्रस्त हो सकते है | एनटेरोमीसैटिन दवा को इन समस्याओं में नहीं लेना चाहिए |

आंतों में सूजन होना |

किसी चीज से एलर्जी होना |

गर्भावस्था के समय

गुर्दे से संबंधित समस्या

नर्सिंग

लिवर की समस्या

अतिसंवेदनशीलता

एंटरोमाइसेटिन कैप्ल्ट के फायदे Benefits Of Enteromycetin Caplt

एंटरोमाइसेटिन 500 कैप्ल्ट का इस्तेमाल करने से इन्फेक्शन बनाने वाली बैक्टीरिया कम होती है | क्यूंकि एंटरोमाइसेटिन कैप्ल्ट  एक एंटीबायोटिक दवा है | इसके यूज से शरीर में होनेवाली बिमारियों त्वचा, बुखार, आंख, कान, गले में होनेवाली संक्रमण से ठीक हो सकते है |

लेकिन एंटीबायोटिक दवा, एनटेरोमीसैटिन का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर को बताये या डॉक्टर के सलाह पर दवाइयाँ ले सकते है |

Enteromycetin Capsule लेते समय सुरक्षा के लिए सुझाव

एंटरोमाइसेटिन दवा को लेने से पहले रोगी को पहले से होनेवाला समस्या को जानना बहुत ही आवश्यक है | इससे रोगी को सुरक्षित कर सकते है | 

(1.) गर्भवस्था महिलाओं को एनटेरोमीसैटिन कैप्ल्ट का सेवन से बचना चाहिए | इस तरह के दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले |

(2.) स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एनटेरोमीसैटिन एंटीबायोटिक कैप्सूल देना असुरक्षित हो सकती है क्यूंकि ये दवाइयां माँ के दूध में मिश्रित हो सकता है जिससे बच्चे को समस्या हो सकती है | स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए |

(3.) अगर आप गुर्दे की बीमारी से परेशान है तो ऐसी स्थिति में एनटेरोमीसैटिन का इस्तेमाल असुरक्षित हो सकता है | गुर्दे के रोगी को किसी भी समस्या में डॉक्टर को पुरानी समस्या बता देनी चाहिए |

(4.) लिवर की समस्या होने पर डॉक्टर को बताये |

(5.) इस एंटीबायोटिक दवा को लेते समय शराब का सेवन न करें क्यूंकि यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है | शराब का सेवन करने से छाती में दर्द, मिचली जैसी समस्या हो सकती है |

 

निष्कर्ष (Conclusion)

इस पोस्ट में Enteromycetin Capsule Kya Hai, एनटेरोमीसैटिन एंटीबायोटिक कैप्सूल के बारे में बताया गया है | आर्टिकल में यह भी बतया गया है की एंटरोमाइसेटिन कैप्ल्ट के फायदे क्या है |


ब्लैक फंगस (Black Fungus) क्या है? लक्षण और बचाव के तरीका

Black Fungus Kya hai


Black Fungus क्या है? आये दिन दुनियां में बिमारियों की बढ़ोतरी  हो रही है | ऐसे में आपको जानना बहुत जरुरी है की ब्लैक फंगस क्या है? और ब्लैक फंगस को नियंत्रण कैसे किया जाता है |

जब से कोरोना महामारी का आगमन हुआ है तब से लोग डरे हुए है और डरेंगे भी क्यों नहीं क्यूंकि ऐसी भयंकर महामारी से रोगी की मृत्यु भी हो जाता है | उसी में से एक है ब्लैक फंगस, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकता है |

ऐसे कोरोना मरीज जिनका शुगर कंट्रोल नहीं रहता, कैंसर का भी उपचार करा रहे हों, अन्य किसी रोग के लिए स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक दवा का ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हों या फिर ऑक्सीजन सपोर्ट पर हों, उन्हें ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा रहता है।


कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है।

ब्लैक फंगस क्या है? What Is Black Fungus In Hindi.

ब्लैक फंगस संकर्मन से पैदा होने वाला एक जटिलता है जो Coronavirus (Covid-19) रोगियों के अलावा अन्य लोगो में फैल सकता है | यह उनके लिए ज्यादा खतरनाक है जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर है |

मधुमेह या कोरोना के मरीजो को ज्यादा अपने चपेट में ले रहा है | अन्य देशों के बाद भारत देश के राज्यों में बहुत सारे केसेस आयें है |

म्यूकरमाइकोसिस क्या है?

म्यूकोर्मिकोसिस, एक फंगल संक्रमण है | जो व्यक्ति कोरोना वायरस (Covid-19) के रोगी है या रिकवरी हुए है उनके अन्दर इस प्रकार का एक फंगल संक्रमण ज्यादा देखा गया है लेकिन यह किसी भी व्यक्ति को अपने चपेट में ले सकता है | म्यूकोर्मिकोसिस मरीजो को बलैक फंगस का मरीज भी कहा जाता है |

Black Fungus के चपेट में आने के कारण

जैसा की आप जानते है Black Fungus दुनियां में तेजी से उभरता हुआ रोग है | जिस प्रकार कोरोना से रोगी मर रहें है उसी प्रकार सही समय पर इलाज नहीं कराया जाये तो रोगी को मृत्यु भी हो सकती है |

एक ही वातावरण में विभिन्न प्रकार के व्यक्ति साँस लेते है | ऐसे में हवा में फैल रहे रोगाणुओं से बच कर रहना है | अगर आप रोगाणुओं के संपर्क में आते है तो बलैक फंगस हो सकता है |

आज के समय में बहुत सारे लोग ब्लड शुगर से परेशान है ऐसे में डॉक्टर से मिलकर सलाह करें और ब्लड शुगर को कम करें |  जो व्यक्ति कोरोना वायरस से रिकवरी हुए है उनको ब्लड शुगर और मधुमेह पर ध्यान देना होगा | इसके अलावा लम्बे समय से हॉस्पिटल में भर्ती रहना, फंगल संक्रमण होने पर नजर अंदाज करना |, स्टेरॉयड का इस्तमाल से इस चपेट में आ सकते है |

ब्लैक फंगस के लक्षण – Symptoms Of Black Fungus

चेहरे पर सूजन और दर्द होना

दन्त टूटना

साँस लेने में प्रॉब्लम

जबड़े दर्द करना

धुंधला – धुंधला दिखाई देना |

सीने में दर्द होना |

नाक जाम होना |

कोरोना वायरस से पीड़ित रोगी को Black Fungus से कैसे बचे

कोरोना वायरस से पीड़ित रोगी को हाइपरग्लाइसेमिया से बचना चाहिए |

खून से सुगर को कम करने दे |

एंटीफंगल दवाओं का यूज डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें |

डायबिटीज के रोगी को शुगर Control करना चाहिए |

शरीर में इम्युनिटी भोजन और रहन सहन से बढ़ाये , दवाओं से नहीं

भरपूर मात्रा में पानी पिए |

स्वच्छता पर ध्यान दें |

घर से बाहर निकलते है तो लोगो से 6 फिट की दुरी पर रहने की कोशिश करें |

निष्कर्ष (Conclusion)

इस लेख में ब्लैक फंगस क्या है? What Is Black Fungus In Hindi. के बारे में पूर्ण जानकारियां शेयर किया गया है | पोस्ट में यह भी बताया गया है की बलैक फंगस से बचाव कैसे करें | अगर आप फंगल संक्रमण से दूर रहना चाहते है तो आपको रहन – सहन और खान पान पर भी ध्यान देना होगा |


Saturday 12 September 2020

तिल के हैरान कर देने वाले फायदे

 

जानिए तिल के 10 अनमोल फायदे


तिल के बेसकीमती स्वास्थ्य लाभ – Til ke Labh in Hindi

हम सभी के घरों में तिल का इस्तेमाल तो होता ही है. आमतौर पर मीठी चीजों में! सर्दियों के दौरान गुड़ के साथ इसका स्वाद बहुत पसंद आता है. तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है. दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है.

तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है. अपनी इस खूबी की वजह से ही यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है. इसके अलावा भी तिल के कई फायदे हैं:


“तिल’ पोषक तत्वों का खजाना है, इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है, इसके कारण यह भूख बढ़ाता है, भोजन को भली-भांति हजम करता है, नर्वस सिस्टम को बल प्रदान करता है, तिल से निकाला गया तेल भी अनेकानेक रोगों का उपचार करता है, आयुर्वेद के अनुसार तिल का तेल पचने में भारी एवं गरम होता है। बालों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए तो मानो तिल का तेल अमृत ही है, सिर पर तिल तेल की नियमित मालिश करने एवं तिल से बने हुए खाद्य पदार्थों (गजक-रेवड़ी)का नियमित सेवन करने से बालों का स्वस्थ विकास होता है तथा कुदरती कालापन आता है।

धार्मिक महत्व के अतिरिक्त तिल को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद की दृष्टि में तिल एक अत्यंत ही बलवर्द्धक और गुणकारी औषधि है।

तिल के फायदे – Sesame Benefits in Hindi

हम आपको बता रहे हैं, तिल के अनमोल फायदे - 

तिल खाने के फायदे | Benefits Of Sesame

1. तिल का प्रयोग मानसिक दुर्बलता को कम करता है, जिससे आप तनाव, डिप्रेशन से मुक्त रहते हैं। प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल का सेवन कर आप मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं

2  तिल का प्रयोग बालों के लिए वरदान साबित हो सकता है। तिल के तेल का प्रयोग या फिर प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल को खाने से, बालों का असमय पकना और झड़ना बंद हो जाता है। 

3  तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा कांतिमय हे जाती है।

4  तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही काले तिल को चबाकर खाने के बाद ठंडा पानी पीने से बवासीर में लाभ होता है। इससे पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।  

 शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है, और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।

 सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है। 

 सर्दियों में तिल का सेवन शरीर में उर्जा का संचार करता है, और इसके तेल की मालिश से दर्द में राहत मिलती है।

 तिल, दांतों के लिए भी फायदेमंद है। सुबह शाम ब्रश करने के बाद तिल को चबाने से दांत मजबूत होते हैं, साथ ही यह कैल्शियम की आपूर्ति भी करता है।  

9  फटी एड़ि‍यों में तिल का तेल गर्म करके, उसमें सेंधा नमक और मोम मिलाकर लगाने से एड़ि‍यां जल्दी ठीक होने के साथ ही नर्म व मुलायम हो जाती है।


Friday 11 September 2020

Harad powder ke fayde in hindi | हरीतकी के फायदे और नुकसान

 

harad ke fayde

हरीतकी क्या है? (What is Haritaki or Harad in Hindi?)


हरीतकी को हरड़ भी कहते हैं। निघण्टुओं में सात प्रकार की हरीतकी का वर्णन मिलता है। स्वरूप के आधार पर इसकी सात जातियाँ हैं-1. विजया, 2. रोहिणी, 3. पूतना, 4. अमृता, 5. अभया, 6. जीवन्ती तथा 7. चेतकी लेकिन वर्तमान में यह तीन प्रकार की ही मिलती है। जिसको लोग अवस्था भेद से एक ही वृक्ष के फल मानते हैं। वैसे तो हरीतकी सभी जगह मिल जाता है। शायद आपको पता नहीं कि हरड़  बहुत तरह के गुणों वाला औषधीय वृक्ष होता है। हरड़ 24-30 मी तक ऊँचा, मध्यम आकार का, शाखाओं वाला पेड़ होता है। इसके पत्ते सरल,  चमकदार, अण्डाकार और भाला के आकार होते हैं। इसके फल अण्डाकार अथवा गोलाकार, 1.8-3.0 सेमी व्यास या डाइमीटर के और पके हुए अवस्था में पीले से नारंगी-भूरे रंग के होते हैं। फलों के पीछले भाग पर पांच रेखाएं पाई जाती हैं।

जो फल कच्ची अवस्था में गुठली पड़ने से पहले तोड़ लिए जाते हैं, वही छोटी हरड़ के नाम से जानी जाती है। इनका रंग स्याह पीला होता है। जो फल आधे पके अवस्था में तोड़ लिए जाते हैं, उनका रंग पीला होता है। पूरे पके अवस्था में इसके फल को बड़ी हरड़ कहते हैं। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। फरवरी-मार्च में पत्तियां झड़ जाती हैं। अप्रैल-मई में नए पल्लवों के साथ फूल लगते हैं तथा फल शीतकाल में लगते हैं। पक्व  जनवरी से अप्रैल महीने में पके फल मिलते हैं। इसके बीज कठोर, पीले रंग के, बड़े आकार के, हड्डियों के समान और कोणीय आकार के होते हैं।

हरीतकी मधुर और कड़वा होने से पित्त; कड़वा व  कषाय होने से कफ तथा अम्ल, मधुर होने से वात दोष को नियंत्रित करने में मदद करती है। इस प्रकार देखा जाय तो यह तीनों दोषो को कम करने में सहायता करती है। यह रूखी, गर्म, भूख बढ़ानेवाली, बुद्धि को बढ़ाने वाली, नेत्रों के लिए लाभकारी, आयु बढ़ाने वाली, शरीर को बल देने वाली तथा वात दोष को हरने वाली है।

यह कफ, मधुमेह, बवासीर (अर्श), कुष्ठ, सूजन, पेट का रोग, कृमिरोग, स्वरभंग, ग्रहणी(Irritable bowel syndrome), विबंध (कब्ज़), आध्मान (Flatulance), व्रण(अल्सर या घाव), थकान, हिचकी, गले और हृदय के रोग, कामला (पीलिया), शूल (दर्द), प्लीहा व यकृत् के रोग, पथरी, मूत्रकृच्छ्र और मूत्रघातादि (मूत्र संबंधी) रोगों को दूर करने में मदद करती है।


हरड़ का फल अल्सर के लिए हितकारी और प्रकृति से गर्म होती है। हरीतकी का फल सूजन, कुष्ठ, अम्ल या एसिडिटी तथा आंखों के लिए लाभकारी होती है। हरड़ में पांचों रस हैं लेकिन तब भी सेहत के लिए गुणकारी होती है। इसलिए एक ही हरीतकी को विभिन्न तरह के रोगों के लिए प्रयोग किया जाता है। 

अन्य भाषाओं में हरीतकी के नाम (Name of Haritaki in Different Languages)

  • हरीतकी का वानस्पतिक नाम : Terminalia chebula (Gaertn.) Retz. (टर्मिनेलिया चेब्युला)
  • हरीतकी  Combretaceae(कॉम्ब्रीटेसी) कुल की होती है।
  • हरड़ को अंग्रेज़ी में Chebulic myrobalan (चेबुलिक मॉयरोबालान) कहते हैं, लेकिन यह अन्य भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।

Haritaki in-

  • Sanskrit – अभया, अव्यथा, पथ्या, कायस्था, पूतना, हरीतकी, हैमवती, चेतकी, श्रेयसी, शिवा;
  • Hindi – हरड़, हर्रे, हड़, हरर;
  • Urdu – हेजरड़ (Haejarad);
  • Oriya – करंथा (Karedha), हरेधा (Harida);
  • Assamese – हिलिखा (Hilikha);
  • Konkani – ओरडो (Ordo);
  • Kannada – अनिलेकई (Anilaykayi), करक्काई (Karakkai);
  • Gujrati – हरीतकी (Haritaki), हिमजा (Himaja);
  • Tamil – कडुक्कै (Kadukkay);
  • Telugu – करक्काय (Karakkaya), हरितकि (Haritaki);
  • Bengali – होरीतकी (Horitaki), नर्रा (Narra);
  • Nepali – हर्रो (Harra), बर्रो (Barro);
  • Panjabi – हर (Har), हरीतकी (Haritaki);
  • Marathi – हिरड (Hirad), हरीतकी (Haritaki);  
  • Malayalam – दिव्या (Divya), पुटानम (Putanam)
  • English – ब्लैक मॉयरोबालान (Black myrobalan);
  • Arbi – हलीलजा (Halilaja), अस्फर (Asfar);
  • Persian – हलील (Halil), हलील अह जर्दा (Halil ahe zarda)

रात को सोने से पहले हरड़ पाउडर खाकर पी लें गरम पानी, मिलेंगे बेहतरीन फायदे

आयुर्वेद में हरड़ का काफी महत्व है, इसे आयुर्वेद में माता भी कहा जाता है, क्योंकि यह मां के समान सारे रोग को नष्‍ट कर इंसानों को जल्‍द ठीक करता है। यह वह दुर्लभ औषधि है जिसमें 6 में से 5 रसों का संयोग होता है। इसे आयुर्वेद के फेमस चूर्ण त्रिफला में भी डाला जाता है। इसे हरीतकी (Harad) भी कहा जाता है। एक ऐसी औषधि है जो स्वास्थ के लिए बहुत असरकारी मानी गई है। हरड़ का इस्तेमाल बुखार, पेट फूलना, उल्टी, पेट गैस और बवासीर जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में किया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं हरड़ के फायदों के बारे में। इसके चूर्ण को आधी चम्मच की मात्रा में अगर रोज़ाना कुछ दिनों तक गर्म पानी से ले लिया जाए रात में सोते वक्त तो बहुत सारे बेहतरीन लाभ होते हैं।

नेत्र विकार या आँख के बीमारी में हरीतकी  के फायदे  (Harad Beneficial in Eye Disease in Hindi)

अक्सर दिन भर कंप्यूटर पर काम करने से आँखों में जलन और दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। रोज हरड़ का इस तरह से इस्तेमाल करने पर आँखों को आराम मिलता है। हरड़ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पानी को छानकर आँखें धोने से आंखों को शीतलता मिलती है तथा आँख संबंधी बीमारियों से राहत (harad ke fayde) मिलती है। [

मोतियाबिंद  में हरीतकी  के फायदे (Kadukka Podi Benefits for Cataracts in Hindi)

उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद की समस्या से सब परेशान होते हैं। हरड़ का इस्तेमाल (haritaki benefits in hindi) इस तरह से करने पर मोतियाबिंद के परेशानी से आराम मिलता है।

  • हरड़ की मींगी को पानी में 3 पहर तक भिगोकर, घिसकर लगाने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
  • हरड़ की छाल को पीसकर लगाने से आँखों से पानी का बहना बन्द होता है।
  • सभी प्रकार के रोगों में हरीतकी को घी में भूनकर आँखों के चारों ओर बाहर के भाग में लेप लगाया जाता है।
  • भोजन करने के पहले प्रतिदिन 3 ग्राम हरीतकी  चूर्ण तथा 3 ग्राम मुनक्का पेस्ट को मिश्री, चीनी या मधु मिलाकर खाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।

हजम शक्ति बढ़ाने में हरीतकी  के फायदे  (Kadukka podi Benefits in Digestion in Hindi)

अगर खाना खाने के बाद हजम नहीं हो रहा है या एसिडिटी आदि की समस्या हो रही है तो हरीतकी का सेवन इस तरह से करने पर लाभ (harad ke fayde) मिलती है। 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में बराबर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। हरीतकी चूर्ण के फायदे मिलने के लिए सेवन की मात्रा सही होनी चाहिए।

भूख बढ़ाने में करे मदद हरीतकी (Haritaki Benefits to Improve Appetite in Hindi)

कभी-कभी लंबे बीमारी के कारण खाने की इच्छा कम हो जाती है।  इस अवस्था में हरीतकी का सेवन करने से लाभ मिलता है।

  • 2 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम सोंठ को गुड़ अथवा 250 मिग्रा सेंधानमक के साथ मिलाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है।
  • हरड़ का मुरब्बा खाने की इच्छा बढ़ाती (haritaki churna ke fayde) है। 
  •  हरड़, सोंठ तथा सेंधानमक के 2-5 ग्राम चूर्ण को ठंडे जल के साथ सेवन करें, परन्तु दोपहर और शाम भोजन थोड़ी मात्रा में खाएं।
  • हरड़,  पिप्पली तथा चित्रक को समान मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें। 1 से 2 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने लगती  है। 

प्रमेह या डायबिटीज में फायदेमंद हरीतकी (Kadukka podi to Control Diabetes in Hindi)

आजकल के तनाव भरी जिंदगी के सौगात में डायबिटीज मिल जाती है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए  2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को 1 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।

अण्डकोषवृद्धि या हाइड्रोसील में हरीतकी  के फायदे (Harad Benefits in Hydrocele in Hindi)

हाइड्रोसील की परेशानी में हरीतकी बहुत गुणकारी होती है। 5 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम बनाएं को 50 मिली एरंड तेल और 50 मिली गोमूत्र में पकायें।जब सिर्फ तेल शेष रह जाय तो छानकर, गुनगुने गर्म जल के साथ सुबह शाम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेने से हाइड्रोसील कम होने में मदद मिलती है।

रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की बीमारी) में फायदेमंद हरीतकी (Haritaki Benefits for Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)

हरीतकी का गुण रक्तपित्त से राहत दिलाने में बहुत लाभप्रद साबित होता है।

  • 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को वासा का रस, समान भाग पिप्पली का चूर्ण तथा द्विगुण मधु में मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है। हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठाने के लिए सही प्रकार से चूर्ण बनाने की ज़रूरत होती है।
  • 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त, मलेरिया तथा दर्द से मुक्ति मिलती है।
  • 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण को समान भाग किशमिश के साथ सुबह शाम सेवन करने से रक्तपित्त, खुजली,  पुराना बुखार आदि से राहत मिलने में मदद मिलती है।

शोथ या सूजन में हरीतकी  के फायदे (Haritaki Beneficial in Inflammation in Hindi)

अगर किसी बीमारी के लक्षण स्वरुप हाथ और पैरों में सूजन आ गई है तो हरीतकी का सेवन निम्नलिखित प्रकार से करने पर फायदा मिलता है-

  • सूजन से पीड़ित व्यक्ति को यदि सख्त मलत्याग हो रहा हो तो हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में समान मात्रा में गुड़ मिलाकर (प्रत्येक 2-2 ग्राम) खाना चाहिए।
  • गोमूत्र के साथ केवल हरीतकी चूर्ण (Kadukka podi) का सेवन करने से भी सूजन कम होती है। 
  • 2-4 ग्राम कंसहरीतकी का सुबह शाम सेवन करने से सूजन तथा दर्द से राहत मिलती है।
  • हरीतकी, सोंठ तथा देवदारु चूर्ण को समान मात्रा में लेकर या त्रिसमा गुटिका (हरीतकी, सोंठ, गुड़ समभाग) को गुनगुने गर्म पानी के साथ सेवन करने से शोथ (सूजन) दूर होती है।
  •  2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में गुड़ मिलाकर सेवन करने से सूजन में लाभ होता है।
  • हरड़, सोंठ और हल्दी को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 10-30 मिली की मात्रा में सुबह-शाम पीने से बुखार के बाद जो सूजन की परेशानी होती है उसमें फायदा पहुँचता है।

त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial in Skin Related issues in Hindi)

त्वचा की समस्याओं के लिए हरीतकी का प्रयोग फायदेमंद होता है। त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ में रोपण अर्थात हीलिंग का गुण पाया जाता है, इसके लिए हरीतकी के लेप को घाव पर लगाया जाता है जिससे घाव को शीघ्र भरने लगता है। हरीतकी में आयुर्वेद के अनुसार वर्ण्य गुण भी पाया जाता है जो कि त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है। 

यौन समस्याओं के लिए हरड़ के फायदे (Benefits of Harad in Sex Related Problems in Hindi)

हरीतकी का प्रयोग यौन समस्याओं जैसे यौन संक्रमण (एसटीडी ) रोगों के लक्षणों को कम करने में भी किया जाता है। एक रिसर्च के अनुसार हरीतकी का प्रयोग यौन संक्रमण में फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटीवायरल का गुण पाया जाता है। 

मधुमेह को नियंत्रण करने में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial to Control in Diabetes in Hindi)

मधुमेह में हरीतकी का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि रिसर्च के अनुसार शुगर को निंयत्रित करने का गुण पाया जाता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार ये रसायन यानि शरीर के इम्युनिटी पावर को बढ़ाकर बीमार होने से रोकने में मदद करता है। ऐसा होने के कारण मधुमेह से होने वाले उपद्रव से भी बचाती है। 


पेट की गैस के लिए हरीतकी चूर्ण के फायदे (Haritaki Beneficial to Get Relief from Acidity in Hindi)

अगर आप पेट की गैस से परेशान है तो हरीतकी का चूर्ण आपके लिए सबसे अच्छा उपाय है क्योंकि हरीतकी में अनुलोमन का गुण पाया जाता है जो कि गैस को पेट के निचले हिस्से से शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है। 

वजन घटाने के लिए हरड़ के फायदे (Haritaki Beneficial in Weight Loss in Hindi)

हरड़ का वजन को संतुलित करने में भी प्रयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो की शरीर से अवांछित पदार्थो को बाहर निकाल कर शरीर के वजन को संतुलित करने में मदद करती है। 

फेफड़ों के विकार के लिए हरीतकी के फायदे (Benefit of Harad for Lungs Disease in Hindi)

हरीतकी का उपयोग फेफडों संबंधी विकारों को दूर करने में भी किया जा सकता है, क्योंकि हरीतकी में उष्णता का गुण पाया जाता है जो फेफड़ों में जमा कफ निकालने में मदद करता है। 

दस्त और पेचिश में हरीतकी के फायदे (Haritaki Beneficial To Get Relief from Dysentery in Hindi)

हरड़ का प्रयोग रेचन गुण के कारण सभी लोग अधिकांश तय पेट को साफ करने के लिए इसका प्रयोग करते है लेकिन यह दस्त कर पेचिस में भी फायदा देती क्योंकि इसमें दीपन का गुण जो कि पाचन शक्ति को बढ़ाता है और साथी ये  कषाय रस वाली है जो की बार -बार मल की प्रवत्ति को नियंत्रित करती है जिससे दस्त और पेचिस में आराम मिलता है। 

बालों के लिए हरड़ के फायदे (Benefit of Harad for Hair Loss in Hindi)

आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला का एक भाग हरीतकी है और दो भाग बिभीतकी और आँवला है। त्रिफला बालों के समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है। हरीतकी का  कषाय रस होता है जो कि बालों का मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है। 

आंतों की नियमित सफाई के लिए हरड़ का सेवन (Benefit of Harad for Colon Cleansing in Hindi)

हरड़ का उपयोग उन लोगो के लिए फायदेमंद है जिनकी आंतों की सफाई ठीक से नहीं होती यानि जिनको कब्ज की समस्या बनी रहती है क्योंकि इसमें रेचन का गुण पाया जाता है जो की आंतों की सफाई में मदद करता है।

फंगल इंफेक्शन में हरड़ के फायदे (Harad Beneficial for Fungal Infection in Hindi)

एक रिचर्स के अनुसार हरड़ में एंटीफंगल का गुण पाया जाता है, इसलिए हरड़ का प्रयोग फंगल इन्फेक्शन में फायदेमंद होता है। 

हरीतकी का उपयोगी भाग ( Useful Parts of Harad) 

हरीतकी का फल, पत्ता तथा पञ्चाङ्ग का प्रयोग औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।

हरीतकी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Haritaki or Harde Powder in Hindi?)

बीमारी के लिए हरीतकी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए हरीतकी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्शानुसार-

-10-30 मिली काढ़ा और

-2-6 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।

हरीतकी नमक के साथ सेवन करने से कफ रोग को, शक्कर के साथ पित्त को, घी के साथ वात-विकारों को और गुड़ के साथ सेवन करने से सब रोगों को दूर करती है।

जो हरीतकी का सेवन करना चाहते हैं, उन्हें वर्षा-ऋतु में नमक से, शरद् में शक्कर से, हेमन्त में सोंठ से, शिशिर में पिप्पली के साथ, वसन्त-ऋतु में मधु के साथ और ग्रीष्म ऋतु में गुड़ के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से ही हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठा सकते हैं।

हरीतकी का सेवन ज्यादा करने के साइड इफेक्ट (Side effects of Harad Churna or Haritaki)

हरीतकी का सेवन निम्न अवस्था में नहीं करनी चाहिए-

  • अधिक चलने से थका हुआ व्यक्ति, कमजोर, जिसके पित्त अधिक हो और गर्भवती नारी को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे अवस्था में लेने से हरड़ से नुकसान पहुँच सकता है। 
  • अजीर्ण के रोगी, रूखे पदार्थों को खाने वाले, अधिक मैथुन करने वाले, शराब पीने वाले, भूख, प्यास तथा गर्मी से पीड़ित व्यक्तियों को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए।

हरीतकी कहां पाई और उगाई जाती है (Where is Haritaki Found or Grown in Hindi)

हरड़ का वृक्ष पर्वतीय प्रदेशों और जंगलों में 1300 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।


Sunday 23 August 2020

मोच, चोट और सूजन के उपाय :SPRAINS, BRUISING AND INFLAMMATION TREATMENT

 

कई बार काम करते समय, खेलते कूदते सीढ़ी चढ़ते हमें यह मालूम ही नहीं हो पाता कि हमारे हाथ-पाँव या कमर में मोच लग गई है, लेकिन कुछ समय बाद उस जगह दुःखने पर हमें यह पता लगता है। मोच आने पर उस अंग पर सूजन आ जाती है और काफी दर्द होने लगता है , अगर आपको असहनीय दर्द या ज्यादा परेशानी है तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ ,लेकिन यदि मोच छोटी है तो आप उस का घरेलू उपचार भी कर सकते है ।चोट कभी भी लग सकती है और मोच कभी भी आ सकती है और यह ऐसे समय पर

आती है जब आप या तो अपने घर पर होतें हैं या एैसी जगह जो अस्पताल से काफी
दूर होता है एैसे समय पर आप कुछ घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं जो प्राचीन काल
में इस्तेमाल किये जाते रहे हैं और जिनसे मोच, चोट और सूजन में राहत मिल सकती
है।
मोच, चोट और सूजन के लिए घरेलू उपाय
*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है।
*चोट के कारण कटे हुए स्थान पर पिसी हुई हल्दी भर देने से खून का बहना बंद
हो जाता है तथा हल्दी कीटाणुनाशक भी होती है।
* 2 कली लहसुन, 10 ग्राम शहद, 1 ग्राम लाख एवं 2 ग्राम मिश्री इन सबको चटनी जैसा पीसकर, घी डालकर देने से टूटी हुई अथवा उतरी हुई हड्डी जल्दी जुड़ जाती है।
*लकड़ी-पत्थर आदि लगने से आयी सूजन पर हल्दी एवं खाने का चूना एक साथ पीसकर गर्म लेप करने से अथवा इमली के पत्तों को उबालकर बाँधने से सूजन उतर जाती है।
* यदि आप के पैर में मोच आ गई है तो आप तेजपात को पीसकर मोच वाले स्थान
पर लगायें ।
*मोच अथवा चोट के कारण खून जम जाने एवं गाँठ पड़ जाने पर बड़ के कोमल पत्तों पर शहद लगाकर बाँधने से लाभ होता है।
*अगर आपके पैर या हाथ में मोच आ गई है तो बिना देर किए थोडा सा बर्फ एक कपड़े में रखकर सूजन वाले जगह पर लगायें इससे सूजन कम हो जाता है। बर्फ लगाने से सूजन वाले जगह पर रक्त का संचालन अच्छी तरह से होने लगता है जिससे दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है।
* हल्दी और सरसों के तेल को मिला लें और इसे हल्की आंच में गर्म करके फिर इसे
मोच वाली जगह पर लगाएं और किसी कपड़े से इसे ढक दें।
*अरनी के उबाले हुए पत्तों को किसी भी प्रकार की सूजन पर बाँधने से तथा 1 ग्राम हाथ की पीसी हुई हल्दी को सुबह पानी के साथ लेने से सूजन दूर होती
* पका हुआ लहसुन और अजवायन को सरसों के तेल में मिलाकर गर्म करें। और फिर इस तेल की मालिश मोच वाले हिस्से पर करें। आपको राहत मिलेगी।
* महुआ और तिल को कपड़े में बांध कर लगाने से हड्डी की मोच ठीक हो सकती
है।
* 1 से 3 ग्राम हल्दी और शक्कर फाँकने और नारियल का पानी पीने से तथा खाने का चूना एवं पुराना गुड़ पीसकर एकरस करके लगाने से भीतरी चोट में तुरंत लाभ होता है|
* एलोवेरा के गूदे को सूजन और मोच वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
* इमली की पत्तियों को पीसें और इसे आग में थोड़ा गुनगुना करें। और इसे मोच
वाली जगह पर लगाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
* ढ़ाक के गोंद को पानी में मिलाकर उसका लेप करने से चोट में सूजन सही हो
जाती है ।
*मोच को ठीक करने का एक और कारगर उपाय यह है कि आप अनार के पत्ते पीसकर मोच वाली जगह पर मलें।
* चोट किसी भी स्थान पर लगी हो तो आप कपूर और घी की बराबर मात्रा में मिलाकर चोट वाले स्थान पर कपडे से बांधे एैसा करने से चोट का दर्द कम हो जाता
है तथा रक्त बहना भी बंद हो जाता है।
* सरसों के तेल में नमक को मिला लें और इसे गर्म करके मोच वाली जगह पर लगाएं। एैसा करने मोच में राहत मिलती है।
* हाथ पैरों की ऐठन और पैर की मोच पर अखरोट का तेल लगाने से दर्द से राहत
मिलती है।
* चूने को शहद के साथ मिला लें और इससे मोच वाली जगह पर आराम से मालिश
करें। इस उपाय से भी मोच में बहुत राहत मिलती है।
मोच, चोट और सूजन मे लेने योग्य आहार

*विटामिन डी आपकी हड्डियों के निर्माण और मरम्मत के लिए, आपके शरीर को कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। अंडे, दूध और कुछ प्रकार की मछलियाँ विटामिन डी प्रदान करती हैं; सूर्य के सम्मुख होने पर आपका शरीर भी इसका निर्माण करता है।
*जिंक घाव और ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। जिंक के उत्तम स्रोत में जौ, गेहूँ, चिकन और पालक आते हैं।
*ओमेगा 3 फैटी एसिड सूजन कम करने में सहायक होते हैं, इन एसिड्स के उत्तम स्रोत में मीठे पानी की मछली, अखरोट, अलसी के बीज और पत्तागोभी आते हैं।
*माँसपेशियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में अंडा, चिकन, मछली, मेवे दूध आदि हैं।
*कैल्शियम हड्डियों को पोषण देने वाला खनिज है। कैल्शियमयुक्त भोज्य पदार्थों में ब्रोकोली, दूध, केल, फलियाँ, पनीर, सोयाबीन, दही, मछली आदि हैं।
*बीटा कैरोटीन कोलेजन का, जो कि मोच के दौरान क्षतिग्रस्त स्नायुओं का निर्माण करता है, मुख्य कारक तत्व है। प्राकृतिक बीटा कैरोटीन के अच्छे स्रोतों में गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक या केल, ब्रोकोली, और गाजर आदि हैं।
*विटामिन सी शरीर की सूजन घटाने में सहायक होता है। विटामिन सी के बढ़िया स्रोतों में पत्तागोभी, शिमला मिर्च, कीवी, खट्टे फल जैसे संतरे, नीबू और ग्रेपफ्रूट आदि हैं।

गुर्दे की सूजन-दर्द के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार / HOUSEHOLD AYURVEDIC TREATMENT OF SWELLING OF KIDNEYS

 

किडनी (kidney / गुर्दा ) हमारे शरीर का एक बेहद ही महत्वपूर्ण अंग होता है जिसकी नियमित देखरेख से हम इसको स्वस्थ रख सकते हैं | |पेट की खराबी, प्रदूषित भोजन तथा अम्लीय पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए| इससे गुर्दों से शोथ हो जाता है| इसी बात को चिकित्सक यूं कहते हैं कि गुर्दे में जब क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं तो उसमें सूजन आ जाती है| फलस्वरूप वहां दर्द होने लगता है|

गुर्दे में दर्द-सूजन का कारण
जब गुर्दों द्वारा रक्त की शुद्धि भली प्रकार नहीं होती तो पानी का अंश पेशाब द्वारा कम निकलता है| इसके फलस्वरूप मूत्रवाहक संस्थान की शुद्धि ठीक से नहीं हो पाती| मूत्र के साथ तरह-तरह के पदार्थों के बारीक कण बाहर निकलने लगते हैं| इससे गुर्दों में सूजन आ जाती है| और बुखार रहने लगता है|
गुर्दे में दर्द-सूजन की पहचान
पेशाब करते समय दर्द का आभास होना |
कभी-कभी पेशाब रुक-रुककर आना |
पीठ में दर्द एवं बेचैनी होना |
मूत्र से तीव्र दुर्गंध आना |
पेशाब द्वारा विषैले पदार्थ का स्राव |
सिर दर्द होना |
मन न लगना |
व्याकुलता होना |
बदन में दर्द रहना आदि |
पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है| कभी-कभी पेशाब रुक-रुककर आने लगता है| पीठ में दर्द एवं बेचैनी होती है| मूत्र से तीव्र दुर्गंध आती है| पेशाब द्वारा तरह-तरह के पदार्थ निकलने लगते हैं| ऐसे में सिर दर्द, मन न लगना, व्याकुलता, बदन में दर्द आदि लक्षण भी प्रकट होते हैं|
गुर्दे की सूजन के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
लौकी का नियमित सेवन करें :- लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है इसलिए यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है |
अंगूर की बेल, सेंधा नमक, पानी
50 ग्राम अंगूर की बेल के पत्ते पानी में पीसकर छान लें| उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर रोगी को पिलाएं| गुर्दे के दर्द से तड़पता मरीज भी ठीक हो जाएगा|
खीरे का नियमित सेवन करें :- किडनी तथा लीवर की समस्या को दूर करने के लिए खीरे का नियमित रूप से सेवन करने से समस्या से मुक्ति मिल जाती है |
आंवले का सेवन करें :- आंवले का नियमित सेवन हमारे गुर्दों को स्वस्थ रखता है |
तरबूज तथा आलू का रस इस्तेमाल करे :- तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए पीड़ित रोगी को सुबह शाम इसके रस का सेवन करना चाहिए।
नियमित पानी का सेवन करें :- गुर्दों की समस्या से दूर रहने के लिए दिन में कम से कम दो बार गुनगुना पानी पीना चाहिए | यदि गुनगुना पानी ना मिले तो सादा पानी तो अवश्य पीना चाहिए |
त्रिफला और पानी
एक बड़ा चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पूर्व हल्के गरम पानी के साथ लेने से कुछ ही दिनों में गुर्दे की सूजन ठीक हो जाती है|
पानी और पुनर्नवा
दो प्याले पानी में एक तोला पुनर्नवा डालकर खूब उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो छानकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की सूजन में लाभ होता है|
तुलसी, अजवायन, सेंधा नमक और पानी
तुलसी की पत्तियां 20 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम, सेंधा नमक 10 ग्राम और तुलसी के पत्ती 10 ग्राम – इन सबको छांव में सुखा लें| फिर उन्हें कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| प्रात: और सांयकाल गुनगुने पानी से 2-2 ग्राम चूर्ण खिलाएं| एक ही खुराक में गुर्दे के दर्द-सूजन में आराम आ जाएगा|
गुर्दे में दर्द-सूजन में क्या खाएं क्या नहीं
शुद्ध जल अधिक मात्रा में पिएं| पानी को अच्छी तरह उबालने और छानने के बाद रोगी को देना चाहिए| भोजन में जौ, परवल, करेला एवं सहिजन की फली दें| इसके अतिरिक्त नारियल का पानी, गन्ने का रस, जामुन तथा तरबूज विशेष लाभ पहुंचाते हैं|
इस रोग में नमक का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए| मांस-मछली, अंडा, तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट एवं शराब का भी उपयोग न करें| दही, दही से बनी चीजें, टमाटर, नीबू आदि खट्टी चीजों का इस्तेमाल करने से भी रोगी को हानि हो सकती है, अत: इनके सेवन से दूर रहें|

दाँत के दर्द मे उपयोगी उपचार/NATURAL REMEDIES FOR TOOTHACHE

 

दांतों में दर्द के कारण कि किसी काम में मन ही नहीं लगता और खाने-पीने से लेकर सोने तक में हमें तकलीफ होती है। अगर आप भी दांतों के दर्द से परेशान हैं या इससे हमेशा बचें रहना चाहते हैं तो ये हैं आपके लिए कुछ खास बातें जिन्हें जानेंगे तो दांत के दर्द से बचे रहेंगे-
दांत दर्द के कारण और लक्षण
1. दांत में संक्रमण।
2. कान में दर्द।
3. साइनस संक्रमण।
4.जबड़े में चोट आदि दांतों में दर्द के कुछ प्रमुख कारण हैं।
कुछ आयुर्वेदिक उपाय-
1. दांत के दर्द से मुक्ति का एक प्राकृतिक विकल्प सरसों का तेल है। एक चुटकी नमक के साथ मिला कर इसे मसूढ़े के प्रभावित हिस्से पर मालिश करनी चाहिए।
2. नींबू के रस की कुछ बूंदें दांतों पर मलें, दांतों का दर्द दूर हो जाएगा।
3. फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करें। माऊथ वॉश का यूज करें।
4. हर छ: महीने में दांतों के डॉक्टर से अपने दांतों की जांच करवाएं।
कैसे रखें दांतों का ख्याल-
* एस्प्रिन या एस्प्रिन वाले उत्पाद न लें।
* गर्म व ठंडा खाने से बचें।
* लौंग का फाहा दर्द वाले स्थान पर रखें।
*मुंह की अच्छी तरह से देखभाल करें।. मसूढ़े या दांत के प्रभावित हिस्से पर प्याज का ताजा कटा हुआ टुकड़ा रखें। दर्द बंद हो जाएगा।

कमर दर्द के घरेलू उपचार : HOME REMEDIES FOR BACK PAIN

 

आधुनिक जीवनशैली पर चलने वाला हर एक व्यक्ति आज किसी न किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।काम चाहे घर में हो या ऑफिस में, कार्य चाहे खडे़ रहकर करने का हो या बैठकर करने का अक्सर कमर में दर्द हो ही जाता है। कमर दर्द की वजह से आपको बड़ी परेशानी होती है। जिसकी वजह से आपका बैठना या खड़ा रह पाना मुशकिल हो जाता है। कमर दर्द की इस वजह से मांसपेशियों में तनाव आ जाता है और दर्द तेज होने लगता है। कमर दर्द से ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती है। लेकिन अक्सर देखा गया है जो पुरूष बैठकर काम करते हैं उन्हें भी कमर दर्द की परेशानी होती है।सिर्फ बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी कमर दर्द की शिकायत करते रहते हैं।
कमर दर्द के कारण
*कमर दर्द से परेशान वे लोग ज्यादा होते हैं जो भारी सामान को उठा ले ते हैं, या फिर उठाते रहते हैं उन्हें कमर दर्द की परेशानी ज्यादा होती है।
*ज्यादा देर तक ठंडे पानी में भीगने से भी कमर दर्द होता है।
*महिलाओं में कमर दर्द का कारण उनका वजन बढ़ना, मासिक धर्म, और श्वेत प्रदर आदि होता है।
*आयुर्वेद के अनुसार कमर दर्द की मुख्य वजह है देर रात तक जागना, किसी कठोर सीट पर बैठने से, अधिक ठंडा पानी पीने से, कमर पर किसी तरह की चोट लगने से, या अति *मैथुन करने से कमर दर्द होता है।
अगर आप कमर दर्द से परेशान हैं तो इससे बचने के लिए आप के सामने प्रस्तुत हैं कुछ रामबाण नुस्खे जो कि बहुत कारगर तो हैं ही साथ ही इनका कोई भी साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
कमर दर्द के रामबाण नुस्खे –
*मेथी का प्रयोग खाने में करते रहने से भी कमर दर्द में राहत मिलती है। मेथी के लडुओं को सेवन नियमित करते रहने से कमर दर्द नहीं होता।
*यदि कमर में दर्द अधिक है तो आप मेथी के तेल की मालिश कमर पर जरूर करें लाभ मिलेगा।
* रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।
*200 ग्राम दूध में 5 ग्राम एरंड की गिरी को पकाकर, दिन में दो बार सेवन करने से कमर दर्द की पीड़ा जल्दी ठीक हो जाती है।
*नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है।
*कमर दर्द में कच्चे आलू की पुल्टिस बांधने से कमर से संबंधित दर्द समाप्त हो जाता है। लेकिन नियमित इस का प्रयोग करेगें तभी।
*कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है।
*फली का सेवन करना कमर दर्द में उपयोगी माना गया है, कुछ दिनों तक नियमित रूप से फली का सेवन करने से कमर दर्द की पीड़ा में राहत मिलती है।
*जहां दर्द होता होता है हो वहाँ 5 मिनट तक गरम सेंक, और दो मिनट ठंडा सेंक देने से तत्काल लाभ पहुंचता है।
*तिल के तेल की कमर पर मालिश करने से कमर दर्द ठीक हो जाता है। तिल के तेल को हल्की आंच में गरम करें और फिर इस तेल को कमर दर्द वाली जगह पर हल्के हाथों से मालिश करें। कमर दर्द में जल्द ही राहत मिलेगी।
*कमर दर्द के लिए व्यायाम भी करना चाहिए। सैर करना, तैरना या साइकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम हैं। तैराकी जहां वजन तो कम करती है, वहीं यह कमर के लिए भी लाभकारी है। साइकिल चलाते समय कमर सीधी रखनी चाहिए। व्यायाम करने से मांसपेशियों को ताकत मिलेगी तथा वजन भी नहीं बढ़ेगा।
*गेहूं की बनी रोटी जो एक ओर से नहीं सिकी हो उस पर तिल के तेल को चुपड़कर कमर दर्द वाली जगह पर रखने से कमर दर्द जल्दी ठीक होता है।
*गरम पट्टी को कमर पर बांधने से कमर दर्द मे राहत मिलती है, गरम पानी में थोड़ा सेंधा नमक डालकर नहाने से भी कमर और पीठ दर्द में राहत मिलती है ।
आप इन कारगर घरेलू उपायों के जरिए कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही आपको व्यायाम की जरूरत भी है। साथ ही सीधे खड़े होने और सीधे बैठने की आदत डालें।
*अजवाइन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें तथा ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। लगातार 7 दिनों तक यह प्रयोग किया जाए तो आठवे दिन से कमर दर्द में 100 फीसदी लाभ होता है।
कमर दर्द को ठीक करने के अन्य उपाय
*रोज पैदल चलने की कोशिश करें । यह कमर दर्द से राहत पाने का व्यायाम है।
*ज्यादा समय तक किसी कुर्सी या स्टूल पर झुककर न बैंठे। क्योंकि यह कमर दर्द की वजह बनता है।
*ज्यादा नर्म गद्दों पर न सोएं।
*अधिक उंचे जूते या हील पहनने से बचें।
*किसी भी सामान को अकेले न उठाएं।
*आप शरीर को व्यस्त रखें।
*अपने बैठने का पोश्चर सही रखें। और जब भी कार चलाएं तब सीट बेल्ट को टाइट करके रखें।
*कैल्शियम से बनी चीजों का सेवन अधिक करें। क्योंकि कमर दर्द की मुख्य वजह कैल्शियम की कमी होती है।
*आप हलासन, भुजंगासन और शलभासन करें।
*कमर दर्द से राहत पाने के लिए साइकिल जरूर चलाएं।
*कुर्सी पर सीधा बैठें। अधिक देर तक एक ही जगह पर न बैठें।
*सुबह शाम दिन में दो बार दो-दो छुहारे खाते रहें एैसा नियमित कुछ दिनों तक करने से कमर दर्द में राहत मिलती है।
*देशी घी में अदरक का रस मिलाकर पीते रहें, कुछ दिनों तक सेवन करने से कमर दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
*कमर दर्द में भारी वजन उठाते समय या जमीन से किसी भी चीज को उठाते समय कमर के बल न झुकें, बल्कि पहले घुटने मोड़कर नीचे झुकें और जब हाथ नीचे वस्तु तक पहुंच जाए तो उसे उठाकर घुटने को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं।