हरीतकी क्या है? (What is Haritaki or Harad in Hindi?)
हरीतकी को हरड़ भी कहते हैं। निघण्टुओं में सात प्रकार की हरीतकी का वर्णन मिलता है। स्वरूप के आधार पर इसकी सात जातियाँ हैं-1. विजया, 2. रोहिणी, 3. पूतना, 4. अमृता, 5. अभया, 6. जीवन्ती तथा 7. चेतकी लेकिन वर्तमान में यह तीन प्रकार की ही मिलती है। जिसको लोग अवस्था भेद से एक ही वृक्ष के फल मानते हैं। वैसे तो हरीतकी सभी जगह मिल जाता है। शायद आपको पता नहीं कि हरड़ बहुत तरह के गुणों वाला औषधीय वृक्ष होता है। हरड़ 24-30 मी तक ऊँचा, मध्यम आकार का, शाखाओं वाला पेड़ होता है। इसके पत्ते सरल, चमकदार, अण्डाकार और भाला के आकार होते हैं। इसके फल अण्डाकार अथवा गोलाकार, 1.8-3.0 सेमी व्यास या डाइमीटर के और पके हुए अवस्था में पीले से नारंगी-भूरे रंग के होते हैं। फलों के पीछले भाग पर पांच रेखाएं पाई जाती हैं।
जो फल कच्ची अवस्था में गुठली पड़ने से पहले तोड़ लिए जाते हैं, वही छोटी हरड़ के नाम से जानी जाती है। इनका रंग स्याह पीला होता है। जो फल आधे पके अवस्था में तोड़ लिए जाते हैं, उनका रंग पीला होता है। पूरे पके अवस्था में इसके फल को बड़ी हरड़ कहते हैं। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। फरवरी-मार्च में पत्तियां झड़ जाती हैं। अप्रैल-मई में नए पल्लवों के साथ फूल लगते हैं तथा फल शीतकाल में लगते हैं। पक्व जनवरी से अप्रैल महीने में पके फल मिलते हैं। इसके बीज कठोर, पीले रंग के, बड़े आकार के, हड्डियों के समान और कोणीय आकार के होते हैं।
हरीतकी मधुर और कड़वा होने से पित्त; कड़वा व कषाय होने से कफ तथा अम्ल, मधुर होने से वात दोष को नियंत्रित करने में मदद करती है। इस प्रकार देखा जाय तो यह तीनों दोषो को कम करने में सहायता करती है। यह रूखी, गर्म, भूख बढ़ानेवाली, बुद्धि को बढ़ाने वाली, नेत्रों के लिए लाभकारी, आयु बढ़ाने वाली, शरीर को बल देने वाली तथा वात दोष को हरने वाली है।
यह कफ, मधुमेह, बवासीर (अर्श), कुष्ठ, सूजन, पेट का रोग, कृमिरोग, स्वरभंग, ग्रहणी(Irritable bowel syndrome), विबंध (कब्ज़), आध्मान (Flatulance), व्रण(अल्सर या घाव), थकान, हिचकी, गले और हृदय के रोग, कामला (पीलिया), शूल (दर्द), प्लीहा व यकृत् के रोग, पथरी, मूत्रकृच्छ्र और मूत्रघातादि (मूत्र संबंधी) रोगों को दूर करने में मदद करती है।
हरड़ का फल अल्सर के लिए हितकारी और प्रकृति से गर्म होती है। हरीतकी का फल सूजन, कुष्ठ, अम्ल या एसिडिटी तथा आंखों के लिए लाभकारी होती है। हरड़ में पांचों रस हैं लेकिन तब भी सेहत के लिए गुणकारी होती है। इसलिए एक ही हरीतकी को विभिन्न तरह के रोगों के लिए प्रयोग किया जाता है।
अन्य भाषाओं में हरीतकी के नाम (Name of Haritaki in Different Languages)
- हरीतकी का वानस्पतिक नाम : Terminalia chebula (Gaertn.) Retz. (टर्मिनेलिया चेब्युला)
- हरीतकी Combretaceae(कॉम्ब्रीटेसी) कुल की होती है।
- हरड़ को अंग्रेज़ी में Chebulic myrobalan (चेबुलिक मॉयरोबालान) कहते हैं, लेकिन यह अन्य भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।
Haritaki in-
- Sanskrit – अभया, अव्यथा, पथ्या, कायस्था, पूतना, हरीतकी, हैमवती, चेतकी, श्रेयसी, शिवा;
- Hindi – हरड़, हर्रे, हड़, हरर;
- Urdu – हेजरड़ (Haejarad);
- Oriya – करंथा (Karedha), हरेधा (Harida);
- Assamese – हिलिखा (Hilikha);
- Konkani – ओरडो (Ordo);
- Kannada – अनिलेकई (Anilaykayi), करक्काई (Karakkai);
- Gujrati – हरीतकी (Haritaki), हिमजा (Himaja);
- Tamil – कडुक्कै (Kadukkay);
- Telugu – करक्काय (Karakkaya), हरितकि (Haritaki);
- Bengali – होरीतकी (Horitaki), नर्रा (Narra);
- Nepali – हर्रो (Harra), बर्रो (Barro);
- Panjabi – हर (Har), हरीतकी (Haritaki);
- Marathi – हिरड (Hirad), हरीतकी (Haritaki);
- Malayalam – दिव्या (Divya), पुटानम (Putanam)
- English – ब्लैक मॉयरोबालान (Black myrobalan);
- Arbi – हलीलजा (Halilaja), अस्फर (Asfar);
- Persian – हलील (Halil), हलील अह जर्दा (Halil ahe zarda)
रात को सोने से पहले हरड़ पाउडर खाकर पी लें गरम पानी, मिलेंगे बेहतरीन फायदे
आयुर्वेद में हरड़ का काफी महत्व है, इसे आयुर्वेद में माता भी कहा जाता है, क्योंकि यह मां के समान सारे रोग को नष्ट कर इंसानों को जल्द ठीक करता है। यह वह दुर्लभ औषधि है जिसमें 6 में से 5 रसों का संयोग होता है। इसे आयुर्वेद के फेमस चूर्ण त्रिफला में भी डाला जाता है। इसे हरीतकी (Harad) भी कहा जाता है। एक ऐसी औषधि है जो स्वास्थ के लिए बहुत असरकारी मानी गई है। हरड़ का इस्तेमाल बुखार, पेट फूलना, उल्टी, पेट गैस और बवासीर जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में किया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं हरड़ के फायदों के बारे में। इसके चूर्ण को आधी चम्मच की मात्रा में अगर रोज़ाना कुछ दिनों तक गर्म पानी से ले लिया जाए रात में सोते वक्त तो बहुत सारे बेहतरीन लाभ होते हैं।नेत्र विकार या आँख के बीमारी में हरीतकी के फायदे (Harad Beneficial in Eye Disease in Hindi)
अक्सर दिन भर कंप्यूटर पर काम करने से आँखों में जलन और दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। रोज हरड़ का इस तरह से इस्तेमाल करने पर आँखों को आराम मिलता है। हरड़ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पानी को छानकर आँखें धोने से आंखों को शीतलता मिलती है तथा आँख संबंधी बीमारियों से राहत (harad ke fayde) मिलती है। [
मोतियाबिंद में हरीतकी के फायदे (Kadukka Podi Benefits for Cataracts in Hindi)
उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद की समस्या से सब परेशान होते हैं। हरड़ का इस्तेमाल (haritaki benefits in hindi) इस तरह से करने पर मोतियाबिंद के परेशानी से आराम मिलता है।
- हरड़ की मींगी को पानी में 3 पहर तक भिगोकर, घिसकर लगाने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
- हरड़ की छाल को पीसकर लगाने से आँखों से पानी का बहना बन्द होता है।
- सभी प्रकार के रोगों में हरीतकी को घी में भूनकर आँखों के चारों ओर बाहर के भाग में लेप लगाया जाता है।
- भोजन करने के पहले प्रतिदिन 3 ग्राम हरीतकी चूर्ण तथा 3 ग्राम मुनक्का पेस्ट को मिश्री, चीनी या मधु मिलाकर खाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
हजम शक्ति बढ़ाने में हरीतकी के फायदे (Kadukka podi Benefits in Digestion in Hindi)
अगर खाना खाने के बाद हजम नहीं हो रहा है या एसिडिटी आदि की समस्या हो रही है तो हरीतकी का सेवन इस तरह से करने पर लाभ (harad ke fayde) मिलती है। 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में बराबर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। हरीतकी चूर्ण के फायदे मिलने के लिए सेवन की मात्रा सही होनी चाहिए।
भूख बढ़ाने में करे मदद हरीतकी (Haritaki Benefits to Improve Appetite in Hindi)
कभी-कभी लंबे बीमारी के कारण खाने की इच्छा कम हो जाती है। इस अवस्था में हरीतकी का सेवन करने से लाभ मिलता है।
- 2 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम सोंठ को गुड़ अथवा 250 मिग्रा सेंधानमक के साथ मिलाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है।
- हरड़ का मुरब्बा खाने की इच्छा बढ़ाती (haritaki churna ke fayde) है।
- हरड़, सोंठ तथा सेंधानमक के 2-5 ग्राम चूर्ण को ठंडे जल के साथ सेवन करें, परन्तु दोपहर और शाम भोजन थोड़ी मात्रा में खाएं।
- हरड़, पिप्पली तथा चित्रक को समान मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें। 1 से 2 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने लगती है।
प्रमेह या डायबिटीज में फायदेमंद हरीतकी (Kadukka podi to Control Diabetes in Hindi)
आजकल के तनाव भरी जिंदगी के सौगात में डायबिटीज मिल जाती है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए 2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को 1 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
अण्डकोषवृद्धि या हाइड्रोसील में हरीतकी के फायदे (Harad Benefits in Hydrocele in Hindi)
हाइड्रोसील की परेशानी में हरीतकी बहुत गुणकारी होती है। 5 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम बनाएं को 50 मिली एरंड तेल और 50 मिली गोमूत्र में पकायें।जब सिर्फ तेल शेष रह जाय तो छानकर, गुनगुने गर्म जल के साथ सुबह शाम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेने से हाइड्रोसील कम होने में मदद मिलती है।
रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की बीमारी) में फायदेमंद हरीतकी (Haritaki Benefits for Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)
हरीतकी का गुण रक्तपित्त से राहत दिलाने में बहुत लाभप्रद साबित होता है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को वासा का रस, समान भाग पिप्पली का चूर्ण तथा द्विगुण मधु में मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है। हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठाने के लिए सही प्रकार से चूर्ण बनाने की ज़रूरत होती है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त, मलेरिया तथा दर्द से मुक्ति मिलती है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण को समान भाग किशमिश के साथ सुबह शाम सेवन करने से रक्तपित्त, खुजली, पुराना बुखार आदि से राहत मिलने में मदद मिलती है।
शोथ या सूजन में हरीतकी के फायदे (Haritaki Beneficial in Inflammation in Hindi)
अगर किसी बीमारी के लक्षण स्वरुप हाथ और पैरों में सूजन आ गई है तो हरीतकी का सेवन निम्नलिखित प्रकार से करने पर फायदा मिलता है-
- सूजन से पीड़ित व्यक्ति को यदि सख्त मलत्याग हो रहा हो तो हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में समान मात्रा में गुड़ मिलाकर (प्रत्येक 2-2 ग्राम) खाना चाहिए।
- गोमूत्र के साथ केवल हरीतकी चूर्ण (Kadukka podi) का सेवन करने से भी सूजन कम होती है।
- 2-4 ग्राम कंसहरीतकी का सुबह शाम सेवन करने से सूजन तथा दर्द से राहत मिलती है।
- हरीतकी, सोंठ तथा देवदारु चूर्ण को समान मात्रा में लेकर या त्रिसमा गुटिका (हरीतकी, सोंठ, गुड़ समभाग) को गुनगुने गर्म पानी के साथ सेवन करने से शोथ (सूजन) दूर होती है।
- 2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में गुड़ मिलाकर सेवन करने से सूजन में लाभ होता है।
- हरड़, सोंठ और हल्दी को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 10-30 मिली की मात्रा में सुबह-शाम पीने से बुखार के बाद जो सूजन की परेशानी होती है उसमें फायदा पहुँचता है।
त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial in Skin Related issues in Hindi)
त्वचा की समस्याओं के लिए हरीतकी का प्रयोग फायदेमंद होता है। त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ में रोपण अर्थात हीलिंग का गुण पाया जाता है, इसके लिए हरीतकी के लेप को घाव पर लगाया जाता है जिससे घाव को शीघ्र भरने लगता है। हरीतकी में आयुर्वेद के अनुसार वर्ण्य गुण भी पाया जाता है जो कि त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है।
यौन समस्याओं के लिए हरड़ के फायदे (Benefits of Harad in Sex Related Problems in Hindi)
हरीतकी का प्रयोग यौन समस्याओं जैसे यौन संक्रमण (एसटीडी ) रोगों के लक्षणों को कम करने में भी किया जाता है। एक रिसर्च के अनुसार हरीतकी का प्रयोग यौन संक्रमण में फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटीवायरल का गुण पाया जाता है।
मधुमेह को नियंत्रण करने में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial to Control in Diabetes in Hindi)
मधुमेह में हरीतकी का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि रिसर्च के अनुसार शुगर को निंयत्रित करने का गुण पाया जाता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार ये रसायन यानि शरीर के इम्युनिटी पावर को बढ़ाकर बीमार होने से रोकने में मदद करता है। ऐसा होने के कारण मधुमेह से होने वाले उपद्रव से भी बचाती है।
पेट की गैस के लिए हरीतकी चूर्ण के फायदे (Haritaki Beneficial to Get Relief from Acidity in Hindi)
अगर आप पेट की गैस से परेशान है तो हरीतकी का चूर्ण आपके लिए सबसे अच्छा उपाय है क्योंकि हरीतकी में अनुलोमन का गुण पाया जाता है जो कि गैस को पेट के निचले हिस्से से शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है।
वजन घटाने के लिए हरड़ के फायदे (Haritaki Beneficial in Weight Loss in Hindi)
हरड़ का वजन को संतुलित करने में भी प्रयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो की शरीर से अवांछित पदार्थो को बाहर निकाल कर शरीर के वजन को संतुलित करने में मदद करती है।
फेफड़ों के विकार के लिए हरीतकी के फायदे (Benefit of Harad for Lungs Disease in Hindi)
हरीतकी का उपयोग फेफडों संबंधी विकारों को दूर करने में भी किया जा सकता है, क्योंकि हरीतकी में उष्णता का गुण पाया जाता है जो फेफड़ों में जमा कफ निकालने में मदद करता है।
दस्त और पेचिश में हरीतकी के फायदे (Haritaki Beneficial To Get Relief from Dysentery in Hindi)
हरड़ का प्रयोग रेचन गुण के कारण सभी लोग अधिकांश तय पेट को साफ करने के लिए इसका प्रयोग करते है लेकिन यह दस्त कर पेचिस में भी फायदा देती क्योंकि इसमें दीपन का गुण जो कि पाचन शक्ति को बढ़ाता है और साथी ये कषाय रस वाली है जो की बार -बार मल की प्रवत्ति को नियंत्रित करती है जिससे दस्त और पेचिस में आराम मिलता है।
बालों के लिए हरड़ के फायदे (Benefit of Harad for Hair Loss in Hindi)
आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला का एक भाग हरीतकी है और दो भाग बिभीतकी और आँवला है। त्रिफला बालों के समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है। हरीतकी का कषाय रस होता है जो कि बालों का मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है।
आंतों की नियमित सफाई के लिए हरड़ का सेवन (Benefit of Harad for Colon Cleansing in Hindi)
हरड़ का उपयोग उन लोगो के लिए फायदेमंद है जिनकी आंतों की सफाई ठीक से नहीं होती यानि जिनको कब्ज की समस्या बनी रहती है क्योंकि इसमें रेचन का गुण पाया जाता है जो की आंतों की सफाई में मदद करता है।
फंगल इंफेक्शन में हरड़ के फायदे (Harad Beneficial for Fungal Infection in Hindi)
एक रिचर्स के अनुसार हरड़ में एंटीफंगल का गुण पाया जाता है, इसलिए हरड़ का प्रयोग फंगल इन्फेक्शन में फायदेमंद होता है।
हरीतकी का उपयोगी भाग ( Useful Parts of Harad)
हरीतकी का फल, पत्ता तथा पञ्चाङ्ग का प्रयोग औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।
हरीतकी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Haritaki or Harde Powder in Hindi?)
बीमारी के लिए हरीतकी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए हरीतकी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्शानुसार-
-10-30 मिली काढ़ा और
-2-6 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।
हरीतकी नमक के साथ सेवन करने से कफ रोग को, शक्कर के साथ पित्त को, घी के साथ वात-विकारों को और गुड़ के साथ सेवन करने से सब रोगों को दूर करती है।
जो हरीतकी का सेवन करना चाहते हैं, उन्हें वर्षा-ऋतु में नमक से, शरद् में शक्कर से, हेमन्त में सोंठ से, शिशिर में पिप्पली के साथ, वसन्त-ऋतु में मधु के साथ और ग्रीष्म ऋतु में गुड़ के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से ही हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठा सकते हैं।
हरीतकी का सेवन ज्यादा करने के साइड इफेक्ट (Side effects of Harad Churna or Haritaki)
हरीतकी का सेवन निम्न अवस्था में नहीं करनी चाहिए-
- अधिक चलने से थका हुआ व्यक्ति, कमजोर, जिसके पित्त अधिक हो और गर्भवती नारी को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे अवस्था में लेने से हरड़ से नुकसान पहुँच सकता है।
- अजीर्ण के रोगी, रूखे पदार्थों को खाने वाले, अधिक मैथुन करने वाले, शराब पीने वाले, भूख, प्यास तथा गर्मी से पीड़ित व्यक्तियों को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
हरीतकी कहां पाई और उगाई जाती है (Where is Haritaki Found or Grown in Hindi)
हरड़ का वृक्ष पर्वतीय प्रदेशों और जंगलों में 1300 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
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