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Thursday 30 December 2021

चर्म रोग से छुटकारा पाने के लिए करें इन घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल


चर्म रोग

लाइफस्टाइल डेस्क: त्वचा विकार लक्षण और गंभीरता दोनों में ही काफी पीड़ादायक होता है। चर्म रोग कुछ समय के लिए या लंबे समय के लिए हो सकता है।

त्वचा रोग होने के कुछ कारण परिस्थितियों (माहौल, कार्यदशा, खानपान) के अनुसार होते हैं, जबकि कुछ अनुवांशिक होते हैं। वहीं, कुछ त्वचा रोग साधारण होते हैं और कुछ आपकी जान को जोखिम में भी डाल सकते हैं।


चर्म रोग और उसकी गंभीरता को कम करने के लिए आज हम आपके लिए कुछ घरेलू उपाय लेकर आये हैं। इन उपायों के इस्तेमाल से आप चर्म रोग से बचाव कर पाएंगे। 

तो आइये आपको बताते हैं, चर्म रोग से बचने के घरेलू उपाय…

ग्रीन टी, लस्सी, जूस का करें सेवन

चर्म रोग से बचने के लिए और अपनी इम्यूनिटी स्ट्रांग बनाने के लिए आप ताजे फल, प्रोटीन, आयरन को अपने आहार में शामिल करें। पानी पर्याप्त मात्रा पीएं ओर लिक्विड डाइट भी लेते रहें। ग्रीन टी, लस्सी, जूस आदि भी लें। ताकि आपका शरीर हाइड्रेट रहे और आपको त्वचा संबंधी रोग नहीं हो।

आपकी त्वचा पर खुजली और रेशेज हो रहे हैं। तो आप उन पर दिन में तीन से चार बार कोल्ड क्रीम लगाएं। इससे फायदा होगा।

आपकी स्किन पर इंफेक्शन है, तो इसे दूर करने के लिए सरसों का तेल हल्दी मिलाकर लगाएं। आपकी त्वचा में रूखापन है। तो इसके लिए आप एलोवेरा जेल लगाएं इससे आपको राहत मिलेगी।

आपकी त्वचा पर खुजली और रेशेज हो रहे हैं। तो आप उन पर दिन में तीन से चार बार कोल्ड क्रीम लगाएं। इससे फायदा होगा।

आपकी स्किन पर इंफेक्शन है, तो इसे दूर करने के लिए सरसों का तेल हल्दी मिलाकर लगाएं। आपकी त्वचा में रूखापन है। तो इसके लिए आप एलोवेरा जेल लगाएं इससे आपको राहत मिलेगी।

किसी को चर्म रोग है, तो अन्य लोग उससे बचें

आपके घर में अगर किसी को चर्म रोग है, तो अन्य लोग उससे बचें। ताकि यह पूरे परिवार में नहीं फैले और कंट्रोल में रहे। इसी के साथ संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जा रहे बर्तन कपड़े आदि से भी दूरी बनाकर रखें। जब तक कि वह पूर्ण रुप से ठीक ना हो जाए।

जो समान आप व्यक्तिगत रूप से उपयोग करते हैं। उन्हें साफ सुथरा रखें। जैसे शेविंग किट, कंघी, टूथब्रश, अंडरवियर , टॉवेल आदि। यह सामान अन्य लोगों को उपयोग नहीं करने दें। क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है।

कारण

– शरीर में खून का अशुद्ध होना
– किसी एक्जिमा पीड़ित रोगी कपड़े पहनना
– लंबे समय तक कब्ज रहना
– अधिक कैमिकल युक्त रासायनों का इस्तेमाल
– मासिक धर्म में अनियमितता

घरेलू उपाय

1. नींबू
शरीर के जिस हिस्से पर दाद के निशान हों वहां नारियल तेल में नींबू मिलाकर लगाएं। इससे खुजली में आराम मिलेगा और जल्दी ही निशान भी ठीक होंगे।
2. जैतून का तेल
एक्जिमा होने पर कई बार पूरे शरीर पर ही खुजली की समस्या हो जाती है। ऐसे में गुनगुने पानी से नहाएं और शरीर को अच्छी तरह पौंछ कर खुजली वाली जगह पर जैतून का तेल लगा लें। इससे तुरंत आराम मिलेगा।
3. एलोवेरा जैल
खुजली वाली जगह पर एलोवेरा जैल लगाने से भी आराम मिलता है। दिन में 4-5 बार जैल को दाद पर लगाने से खुजली और निशान जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।
4. नारियल तेल
नारियल तेल लगाने से भी बहुत जल्दी दाद ठीक हो जाते हैं। दाद वाली जगह पर इसे लगाने से खुजली भी दूर होती है।
5. देसी घी
कई बार एक्जिमा वाली जगह पर बहुत तेज खुजली होने लगती है। ऐसे में उस हिस्से पर देसी घी लगाएं जिससे तुरंत आराम मिलेगा।

Monday 27 December 2021

Garam Pani Ke Fayde in hindi - गरम पानी के फायदे

Garam Pani Ke Fayde in hindi


पानी के महत्व से भला कौन अनजान है। बिना पानी के इस सरजमीं पर हम इंसानों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। हमारी हर एक्टिविटी खासकर वे जिनसे जीने का आधार हो वह पानी से ही शुरू और पानी से ही खत्म होती है। यूँ समझें कि पानी ऑक्सीजन की तरह हमारे लिए अहम है और अगर गर्मपानी हम अपनी रूटीन लाइफ में शामिल करें तो यह दवा की तरह हमपर असर करता वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के। दरसल गुनगुना पानी पूरी तरह औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जो स्वास्थ व सौन्दर्य दोनों के लिए लाभकारी है। इसीलिए अक्सर हमारे डॉक्टर व डाइटीशियन हमें सुबह उठने के बाद व रात को सोने से पहले गुनगुने पानी पीने की सलाह देते है। हमारे शरीर में 70 % पानी होता है, पानी की कमी से बहुत सी बीमारियाँ उभरने लगती है। इसलिए जरूरी है कि हमभरपूर मात्रा मे पानी पिएं, और अपने शरीर की पानी की कमी को पूरा करें। गर्म पानी से कई छोटी मोटी बीमारियम यूँ ही खत्म हो जाती हैं। इसलिए हम हर वक़्त पी सकें तो बहुत अच्छा वरना कम से कम सुबह खाली पेट,रात खाने के एक घण्टे बाद, ठंडी के दिनों में, व्यायाम योगा करने के बाद जरूर गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। जिससे आप नीचे बताए गए तमाम फायदों को खुदमें मेहसूस कर सकें।


ज्यादातर बीमारियां गंदा पानी पीने से होती हैं। ऐसे में गर्म पानी को ठंडा करके पीने से पेट की कोई बीमारी नहीं होती है।गर्म पानी कफ और सर्दी की परेशानी को दूर करता है। खासकर बुखार होने पर अगर प्यास लगे तो ठंडा पानी न पिएं, इसकी जगह गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है। 

खाली पेट सुबह 1 ग्लास गर्म पानी में नींबू डालकर पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को विटमिन सी भी मिलता है।

चलिए अब इसीके साथ जानते हैं गर्म पानी से होने वाले कुछ बेहद खास फायदे।


1. पाएंदमकती त्वचा

किसी भी तरह की त्वचा संबंधी समस्या हो या फिर चेहरे पर नैचरल ग्लो लाना हो, गर्म पानी इसका सही उपाय है। रोज सुबह-सुबह गर्म पानी पीना शुरू कर दें। थोड़े ही दिनों में आपकी स्किन ग्लो करने लगेगी और बाकी स्किन प्रॉब्लम्स भी दूर हो जाएंगी।


2. भूख बढ़ाए 

जिन लोगों को भूख न लगने की प्रॉब्लम हो, उन्हें एक ग्लास गर्म पानी में काली मिर्च, नमक और नींबू का रस डालकर पीना चाहिए। इससे भूख बढ़ जाती है।


3. मुंहासे 

मुंहासों की समस्या लड़कियों में ही नहीं बल्कि आजकल लड़कों में भी देखी जा सकती है। इससे बचने के लिए खाली पेट सुबह गर्म पानी पिएं। इससे पिंपल्स से भी छुटकारा मिल जाएगा।


4. ब्लड सर्कुलेशन

खून की गति यानी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में गर्म पानी बेहद फायदेमंद होता है। ब्लड सर्कुलेशन के ठीक रहने से इंसान हर तरह की बीमारियों से बचा रहता है। इसलिए आप गर्म पानी पिएं। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है।


5. रिंकल्स हटाएँ

उल्टा-सीधा खाना खाने से शरीर के अंदर विषैले पदार्थ जम जाते हैं, जो शरीर को अंदर से कमजोर कर देते हैं। इंसान जल्दी बूढ़ा लगने लगता है। इस समस्या को रोकने के लिए सुबह गर्म पानी पिएं। यह आपकी त्वचा की झुर्रियों को कम करता है, साथ ही पेट भी साफ रखता है।


6. वजन घटाएं

अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो गर्म पानी पीना शुरू कर दें। ये आपको बिना व्यायाम के भी फिट रखेगा। बस रोज सुबह उठकर खाली पेट गर्म पानी पिएं। गर्म पानी शरीर से अतिरिक्त चर्बी को घटा देता है और आपका शरीर को स्लिम होने में मदद है।


7. जोड़ों का दर्द करे दूर

गर्म पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है। हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है इसलिए गर्म पानी पीने से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है।


8. पीरियड्स प्रॉब्लम साल्व्ड

 पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अक्सर पेट दर्द की समस्या होती है। क्योंकि इस दौरान पैन मसल्स में खिंचाव होता है जो पेट दर्द का कारण बनता है। ऐसे में 1 गिलास गुनगुना पानी पीने पीरियड्स के समय होने वाले दर्द से राहत मिलती है।


9. नाक और गले की तकलीफ से राहत

अगर नाक और गले में दिक्कत हो तो सांस लेने व कुछ खाने में बड़ी परेशानी होती है। खराश और खांसी भी बड़ी समस्या होती है। इन सभी रोगों से बचने और आराम पाने के लिए गर्म पानी से गरारा करें और गर्म पानी पिएं।


10. बॉडी करे डिटॉक्से 

गर्म पानी पीने से बॉडी को डिटॉक्सप करने में मदद मिलती है और यह शरीर की सारी अशुद्धियां को बहुत आसानी से साफ कर देता है। गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ने लग जाता है, जिससे पसीना आता है और इसके माध्यम से शरीर की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं।


11. बालों को सुधारे

इसके अलावा गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह इनकी ग्रोथ के लिए भी काफी फायदेमंद है।


12. थकावट रखें दूर 

अगर आपको हमेशा थकावट होती है या कोई भी काम करने के बाद आप थक जाते है तो आपको डेली अपने सुबह की शुरुआतगर्म पानी के साथ करनी चाहिए, क्योकि इससे रक्त परिसंचरण बढ़ता है और स्टैमिना बढ़ता है।


13. कब्ज से छुटकारा

अगर आपको कब्ज की तकलीफ है और यह बीमारी बहुत पुरानी है तो भी आप प्रतिदिनसुबह खली पेट गर्म पानी पीना शुरू कर दें कुछ दिनों में आपको राहत महसूस होने लगेगा।

Sunday 23 August 2020

गुर्दे की सूजन-दर्द के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार / HOUSEHOLD AYURVEDIC TREATMENT OF SWELLING OF KIDNEYS

 

किडनी (kidney / गुर्दा ) हमारे शरीर का एक बेहद ही महत्वपूर्ण अंग होता है जिसकी नियमित देखरेख से हम इसको स्वस्थ रख सकते हैं | |पेट की खराबी, प्रदूषित भोजन तथा अम्लीय पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए| इससे गुर्दों से शोथ हो जाता है| इसी बात को चिकित्सक यूं कहते हैं कि गुर्दे में जब क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं तो उसमें सूजन आ जाती है| फलस्वरूप वहां दर्द होने लगता है|

गुर्दे में दर्द-सूजन का कारण
जब गुर्दों द्वारा रक्त की शुद्धि भली प्रकार नहीं होती तो पानी का अंश पेशाब द्वारा कम निकलता है| इसके फलस्वरूप मूत्रवाहक संस्थान की शुद्धि ठीक से नहीं हो पाती| मूत्र के साथ तरह-तरह के पदार्थों के बारीक कण बाहर निकलने लगते हैं| इससे गुर्दों में सूजन आ जाती है| और बुखार रहने लगता है|
गुर्दे में दर्द-सूजन की पहचान
पेशाब करते समय दर्द का आभास होना |
कभी-कभी पेशाब रुक-रुककर आना |
पीठ में दर्द एवं बेचैनी होना |
मूत्र से तीव्र दुर्गंध आना |
पेशाब द्वारा विषैले पदार्थ का स्राव |
सिर दर्द होना |
मन न लगना |
व्याकुलता होना |
बदन में दर्द रहना आदि |
पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है| कभी-कभी पेशाब रुक-रुककर आने लगता है| पीठ में दर्द एवं बेचैनी होती है| मूत्र से तीव्र दुर्गंध आती है| पेशाब द्वारा तरह-तरह के पदार्थ निकलने लगते हैं| ऐसे में सिर दर्द, मन न लगना, व्याकुलता, बदन में दर्द आदि लक्षण भी प्रकट होते हैं|
गुर्दे की सूजन के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
लौकी का नियमित सेवन करें :- लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है इसलिए यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है |
अंगूर की बेल, सेंधा नमक, पानी
50 ग्राम अंगूर की बेल के पत्ते पानी में पीसकर छान लें| उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर रोगी को पिलाएं| गुर्दे के दर्द से तड़पता मरीज भी ठीक हो जाएगा|
खीरे का नियमित सेवन करें :- किडनी तथा लीवर की समस्या को दूर करने के लिए खीरे का नियमित रूप से सेवन करने से समस्या से मुक्ति मिल जाती है |
आंवले का सेवन करें :- आंवले का नियमित सेवन हमारे गुर्दों को स्वस्थ रखता है |
तरबूज तथा आलू का रस इस्तेमाल करे :- तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए पीड़ित रोगी को सुबह शाम इसके रस का सेवन करना चाहिए।
नियमित पानी का सेवन करें :- गुर्दों की समस्या से दूर रहने के लिए दिन में कम से कम दो बार गुनगुना पानी पीना चाहिए | यदि गुनगुना पानी ना मिले तो सादा पानी तो अवश्य पीना चाहिए |
त्रिफला और पानी
एक बड़ा चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पूर्व हल्के गरम पानी के साथ लेने से कुछ ही दिनों में गुर्दे की सूजन ठीक हो जाती है|
पानी और पुनर्नवा
दो प्याले पानी में एक तोला पुनर्नवा डालकर खूब उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो छानकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की सूजन में लाभ होता है|
तुलसी, अजवायन, सेंधा नमक और पानी
तुलसी की पत्तियां 20 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम, सेंधा नमक 10 ग्राम और तुलसी के पत्ती 10 ग्राम – इन सबको छांव में सुखा लें| फिर उन्हें कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| प्रात: और सांयकाल गुनगुने पानी से 2-2 ग्राम चूर्ण खिलाएं| एक ही खुराक में गुर्दे के दर्द-सूजन में आराम आ जाएगा|
गुर्दे में दर्द-सूजन में क्या खाएं क्या नहीं
शुद्ध जल अधिक मात्रा में पिएं| पानी को अच्छी तरह उबालने और छानने के बाद रोगी को देना चाहिए| भोजन में जौ, परवल, करेला एवं सहिजन की फली दें| इसके अतिरिक्त नारियल का पानी, गन्ने का रस, जामुन तथा तरबूज विशेष लाभ पहुंचाते हैं|
इस रोग में नमक का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए| मांस-मछली, अंडा, तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट एवं शराब का भी उपयोग न करें| दही, दही से बनी चीजें, टमाटर, नीबू आदि खट्टी चीजों का इस्तेमाल करने से भी रोगी को हानि हो सकती है, अत: इनके सेवन से दूर रहें|

दाँत के दर्द मे उपयोगी उपचार/NATURAL REMEDIES FOR TOOTHACHE

 

दांतों में दर्द के कारण कि किसी काम में मन ही नहीं लगता और खाने-पीने से लेकर सोने तक में हमें तकलीफ होती है। अगर आप भी दांतों के दर्द से परेशान हैं या इससे हमेशा बचें रहना चाहते हैं तो ये हैं आपके लिए कुछ खास बातें जिन्हें जानेंगे तो दांत के दर्द से बचे रहेंगे-
दांत दर्द के कारण और लक्षण
1. दांत में संक्रमण।
2. कान में दर्द।
3. साइनस संक्रमण।
4.जबड़े में चोट आदि दांतों में दर्द के कुछ प्रमुख कारण हैं।
कुछ आयुर्वेदिक उपाय-
1. दांत के दर्द से मुक्ति का एक प्राकृतिक विकल्प सरसों का तेल है। एक चुटकी नमक के साथ मिला कर इसे मसूढ़े के प्रभावित हिस्से पर मालिश करनी चाहिए।
2. नींबू के रस की कुछ बूंदें दांतों पर मलें, दांतों का दर्द दूर हो जाएगा।
3. फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करें। माऊथ वॉश का यूज करें।
4. हर छ: महीने में दांतों के डॉक्टर से अपने दांतों की जांच करवाएं।
कैसे रखें दांतों का ख्याल-
* एस्प्रिन या एस्प्रिन वाले उत्पाद न लें।
* गर्म व ठंडा खाने से बचें।
* लौंग का फाहा दर्द वाले स्थान पर रखें।
*मुंह की अच्छी तरह से देखभाल करें।. मसूढ़े या दांत के प्रभावित हिस्से पर प्याज का ताजा कटा हुआ टुकड़ा रखें। दर्द बंद हो जाएगा।

Wednesday 16 October 2019

आँखों की रोशनी बढ़ाने का रामबाण उपाय

हमारी आँखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक अंग है। सुंदर आँखों का महत्व तब तक है जब तक आँखों की रौशनी अच्छी हो अन्यथा आपकी सुंदर आँखों पर मोटे नाटे चश्मे आपकी सुन्दरता को ग्रहण लगा देते है अथवा आपको लेंस लगाने की परेशानियों में पड़ना होगा।

आइये जानते है आँखों की रौशनी बढाने और चश्मा उतारने के लिए कौन कौन से देशी उपाय अपना सकते है 

आँखों की रोशनी बढ़ाने का रामबाण उपाय


1. नेति उपचार किसी योगप्रशिक्षक की सहायता से करने से आँखों की रौशनी बढती है और चश्मा उतर जाता है।
2. सुबह सो कर उठने के बाद मुंह की लार आँखों में काजल की तरह लगाओ अगर छोटे बच्चो को आँखों पर  चश्मे लगे है तो उन्हें इस उपाय से जल्दी लाभ मिलेगा लेकिन बड़ों को थोडा समय लग सकता है लेकिन फायदा जरुर होता है।
3. मुंह की लार कन्जक्टीवाइटिस जैसे रोग में लगाने से 24 घंटे में ही लाभ करती है।
4. मुहं की लार आँखों का भेंगापन दूर करने में भी सहायक है।
5. केसर की चाय नियमित पिने से आँखों की रौशनी बढती है और चश्मा उतर जाता है।
6. त्वचा रोगों में जैसे की सोरायसिस अथवा दाद -खुजली में भी मुहं की लार का प्रयोग कर सकते है।
7. देशी गाय का गौमुत्र एक एक बूँद प्रतिदिन आँखों में डालने से आँखों का चश्मा उतर जाता है।
8. देशी गाय का गौमूत्र प्रतिदिन आँखों में डालने से  मोतियाबिंद दूर होता है।
9. बादामगिरी , सोंफ बडिवाली और मिश्री को बराबर मात्रा में कूटपीसकर चुर्ण बना लें और किसी कांच के बर्तन में इसका संग्रह कर लें। अब प्रतिदिन रात्री  में सोने से पुर्व 10 ग्राम की मात्रा में देशी गाय के 250 ग्राम दूध के साथ 40 दिन तक लेने से आँखों की रौशनी बढती है और चश्मे की आवश्यकता नहीं पड़ती। छोटे बच्चो को मात्रा आधी कर के दें और इस चुर्ण का सेवन करने के बाद कम से कम २ घंटे कुच्छ भी खाना/पीना नहीं है। इस प्रयोग से मस्तिष्क की कमजोरी भी ठीक होती है।

Tuesday 8 October 2019

क्या आपको भी है गैस ! जानें कारण, लक्षण और उपाय | गैस्ट्रिक समस्या के लक्षण, कारण, इलाज

क्या आपको भी है गैस ! जानें कारण, लक्षण और उपाय

गैस की तकलीफ (Gas Pain) के लक्षण, कारण, निदान

गैस, घबराहट, छाती में जलन से हैं 

आखिर क्या हैं गैस बनने के बड़े कारण 

गैस की समस्या हमेशा पेट से जुड़ी नहीं होती

गैस्ट्रिक समस्या के लक्षण, कारण, इलाज

कैसे पेट में गैस के कारण होने वाले दर्द से राहत



गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) का उपचार क्या है?

गैस्ट्रिक समस्याएं (Gastric Problems) कई कारणों से होती हैं- इनमें अनियंत्रित पीने की आदतें, मसालेदार भोजन की खपत, भोजन को चबाने से पहले ठीक से चबाने, पाचन समस्या, जीवाणु संक्रमण और तनाव और तनाव (swallowing it, digestive trouble, bacterial infections and as well as stress and tension) शामिल नहीं है।
गैस्ट्रिक समस्या (Gastric problem) के लक्षणों में पेट, बुरी सांस, बेल्चिंग और अम्लता गैस (bloating of the stomach, bad breath, belching and acidity coupled) के साथ मिलकर सूजन शामिल है।
गैस्ट्रिक मुसीबत (Gastric problem) के लिए उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि क्या आपको गैर-अल्सर डिस्प्सीसिया या पेप्टिक अल्सर (non-ulcer dyspepsia or peptic ulcer) का निदान किया गया है या नहीं। गैर-अल्सर डिस्प्सीसिया (Non-ulcer dyspepsia) को कार्यात्मक डिस्प्सीसिया (functional dyspepsia) के नाम से भी बुलाया जाता है। इसके लिए उपचार में कम खुराक के एंटीड्रिप्रेसेंट्स (antidepressants ) शामिल हैं, दवाएं जो पेट एसिड से लड़ने में मदद करने के लिए चिंता और दवाओं को अस्वीकार करने में मदद करती हैं। पेट एसिड के मुद्दों को कम करने में मदद करने वाली दवाएं एच 2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसे रैंटिडाइन, निजाटिडाइन, सिमेटिडाइन, फैगोटीडाइन और प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (rantidine, nizatidine, cimetidine, famotidine and proton pump inhibitors) जैसे पैनटोप्राज़ोल, रैबेप्राज़ोल, ओमेपेराज़ोल, लांसोप्राज़ोल (as pantoprazole, rabeprazole, omeprazole, lansoprazole) शामिल हैं। एचपी पिलोरी संक्रमण के कारण होने पर पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer) में थेरेपी (शॉर्ट-टर्म ट्रिपल थेरेपी) (therapy (Short-term triple therapy)) जैसे उपचार शामिल होंगे। इसमें एसिड-कम करने वाले एजेंट और दो एंटीबायोटिक (antibiotics) दवाएं शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार, तनाव पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) की स्थिति को बढ़ा सकता है। अगर आपकी अल्सर की समस्या का इलाज नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम छोटी आंत में या पेट की दीवार क्षेत्र में हो सकता है।

गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) का इलाज कैसे किया जाता है?

एच 2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसी दवाएं दवाओं की एक श्रेणी हैं जो पेट द्वारा उत्पादित एसिड की मात्रा को कम करके काम करती हैं। जब एक एच 2 रिसेप्टर अवरोधक (H2 receptor blocker) का उपभोग होता है तो इस दवा के भीतर निहित सक्रिय तत्व पेट कोशिकाओं के कुछ निर्दिष्ट क्षेत्रों में जाते हैं। ये अवरोधक पेट में एसिड रिहाई कोशिकाओं (acid releasing cells) को हिस्टामाइन (histamine) पर प्रतिक्रिया करने से रोकते हैं। एच 2 अवरोधक (H2 blockers) पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) को फिर से दिखने से रोकते हैं। आम तौर पर, एच 2 ब्लॉकर्स को पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) की बीमार स्थितियों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए शरीर द्वारा जल्दी से अवशोषित किया जाता है।
शॉर्ट टर्म ट्रिपल थेरेपी उपचार (Short-term triple therapy treatment) हेलीकॉक्टर पिलोरी संक्रमण (Helicobacter Pylori infection) के कारण होने वाली स्थितियों के इलाज में बहुत प्रभावी है। एक सप्ताह की अवधि में 65 रोगियों पर किए गए एक प्रयोग में- शॉर्ट टर्म ट्रिपल थेरेपी जिसमें दिन में दो बार 250 मिलीग्राम स्पष्टीथ्रोमाइसिन (250 mg of clarithromycin) होता है, रोजाना ओमेपेराज़ोल का 20 मिलीग्राम (20 mg of omeprazole) और दिन में दो बार टिनिडाज़ोल (tinidazole) का 500 मिलीग्राम होता है, यह देखा जाता है कि उपचार पूरा करने का महीना 62 रोगियों में हेलिकोबैक्टर पिलोरी संक्रमण (Helicobacter Pylori infection) सफलतापूर्वक समाप्त हो गया था।
ऐसे मामलों में जहां अल्सर (ulcer) ने एंडोस्कोपी परीक्षण (endoscopy test) करने के लिए खून बहना शुरू कर दिया है, रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। उन मरीजों के लिए जो मध्यस्थता लेने या एंडोस्कोपी (endoscopy) करने के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिखाते हैं, सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इन प्रक्रियाओं में योनोटे (vagotmay) (योनि तंत्रिका (vagus nerve) काटने) और अर्द्ध गैस्ट्रोक्टोमी (semi gastrectomy) (पेट के एक हिस्से का आंशिक हटाने) शामिल हैं।

गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) के इलाज के लिए कौन पात्र (eligible) है? (इलाज कब किया जाता है?)

सभी गैस्ट्रिक परेशानी के इलाज के लिए पात्र (eligible) हैं। लेकिन आपका डॉक्टर आपकी उम्र और आपकी हालत की गंभीरता के आधार पर खुराक निर्धारित कर सकता है। एच 2 अवरोधक रिसेप्टर दवाएं (H2 blocker receptor drugs) गर्भवती लोगों के लिए भी सुरक्षित हैं।

उपचार के लिए कौन पात्र (eligible) नहीं है?

यह अनुशंसा की जाती है कि एच 2 अवरोधक रिसेप्टर्स (H2 blocker receptors) को गंभीर रूप से एलर्जी वाले लोग किसी भी जीवन-धमकी देने वाली प्रतिक्रियाओं को रोकने के लिए उन्हें लेने से बचना चाहिए।

क्या कोई भी साइड इफेक्ट्स (side effects) हैं?

एच 2 ब्लॉकर्स लेने पर आमतौर पर देखा जाने वाला साइड इफेक्ट (side effects) आमतौर पर हल्का होता है। ये दस्त हैं, सोने में परेशानी, मुंह की सूखापन, कान, कब्ज और सिरदर्द में सनसनी बजाना (diarrhoea, trouble sleeping, dryness of the mouth, ringing sensation in the ears, constipation and headaches)। कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स (side effects) में सांस लेने में श्वास, घरघराहट, आंदोलन, जलती हुई त्वचा और दृष्टि के मुद्दों (trouble breathing, wheezing, agitation, burning skin and vision issues) शामिल हैं।
एंडोस्कोपी (Endoscopy) एक अन्यथा सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन जटिलताओं में रक्तस्राव, संक्रमण, बुखार, पेट दर्द, उल्टी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) को फाड़ने का मौका हो सकता है।

उपचार के बाद पोस्ट-ट्रीटमेंट गाइडलाइन्स (post-treatment guidelines) क्या हैं?

गैस्ट्रिक मुसीबत के लिए पोस्ट-ट्रीटमेंट दिशानिर्देशों (guidelines) में नियमित रूप से और समय पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा लेना शामिल है, यह जांच कर लें कि क्या आप गलती से किसी भी विरोधी भड़काऊ या दर्द हत्यारों (anti-inflammatory or pain killers) को ले रहे हैं क्योंकि इससे दिल की धड़कन की संभावना बढ़ सकती है। आपको नियमित रूप से व्यायाम करने की ज़रूरत है लेकिन उच्च प्रभाव वाली प्रकृति के अभ्यास से बचने के लिए सुनिश्चित करें। अपने आहार पर एक टैब रखने के लिए सुनिश्चित करें- अल्कोहल, चिकनाई या तला हुआ भोजन, मसालेदार भोजन, कार्बोनेटेड पेय, और अन्य नींबू के फल या उनके रस (alcohol, greasy or fried foods, spicy foods, carbonated drinks, and other citrus fruits or their juices) से बचें। शुद्ध पानी और अन्य मौखिक हाइड्रेशन समाधान (oral hydration solutions) पीने से हर समय अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।

ठीक होने में कितना समय लगता है?

आपके मामले की गंभीरता के आधार पर आपके उपचार की वसूली अवधि 1 सप्ताह से 4 सप्ताह के बीच कुछ हो सकती है, अधिकतम। यदि आपकी गैस्ट्रिक समस्या (gastric problem ) मुख्य रूप से अपचन के कारण होती है तो आप एक दिन में भी बेहतर हो सकते हैं बशर्ते आप समय पर आवश्यक दवा लें।

भारत में इलाज की कीमत क्या है?

गैस्ट्रिक मुसीबत (gastric trouble) के इलाज के लिए चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवा का एक पत्ता, 50 रुपये से कम के रूप में कम से कम रु। 700. एंडोस्कोपी परीक्षण (endoscopy test) की कीमत आपको रु औसतन 1500 और बायोप्सी परीक्षण (biopsy test) के अतिरिक्त 250-500 रुपये खर्च हो सकते हैं।

उपचार के परिणाम स्थायी (permanent) हैं?

ऐसे कोई उपचार नहीं हैं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (gastrointestinal disorder) की समस्या को स्थायी रूप से ठीक कर सकें। खाड़ी में अपनी गैस्ट्रिक परेशानी को रखने का एकमात्र तरीका मसालेदार, चिकनाई और तला हुआ भोजन से बचने, डेयरी खाद्य पदार्थों और चीनी में समृद्ध लोगों से बचने का एकमात्र तरीका है। भोजन में छोटे से खाएं और निगलने से पहले उन्हें अच्छी तरह से चबाएं। लंबे समय तक खाली पेट पर न रहें।

उपचार के विकल्प (alternatives) क्या हैं?

गैस्ट्रिक परेशानी (gastric trouble) के वैकल्पिक (alternative) उपचार में कुछ घरेलू उपचार शामिल हैं जो आपके रसोईघर में आसानी से उपलब्ध हैं। ये हल्दी हैं (वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए हर रोज दूध के साथ हल्दी मिश्रित (turmeric mixed) होते हैं), आलू के रस (आलू का रस प्री-भोजन तीन बार पेट गैस की आपकी समस्या का इलाज करने के लिए होता है), अदरक (अदरक गैस्ट्रिक समस्या के इलाज के लिए अच्छा है अपचन), बेकिंग सोडा (यह एक प्रभावी एंटीसिड (effective antacid) के रूप में काम करता है और जब आप इसे खाली पेट पर पानी से मिश्रित करते हैं तो तत्काल राहत देता है), सेब साइडर सिरका, दालचीनी, इलायची, प्याज और चारकोल (apple cider vinegar, cinnamon, cardamom, onion and charcoal) (आपके भोजन से पहले और बाद में चारकोल टैबलेट (charcoal tablet) रखना जो अम्लता और गैस (acidity and gas) के मुद्दों को कम करने में काफी मदद करेगा)।
गैसकी समस्या हमेशा पेट से जुड़ी नहीं होती। दूसरी बीमारी के कारण भी यह समस्या मरीज को हो सकती है, पर वह उसे गैस ही समझता है। पेप्टिक अल्सर, गॉल ब्लाडर स्टोन, भोजन की थैली में कैंसर, पैंक्रियाज की बीमारी, आंत की बीमारी, हार्ट और न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। यदि तकलीफ छह सप्ताह से अधिक है तो उसकी जांच और विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जिससे पता चल जाए कि पेट की बीमारी है या फिर कोई अन्य। इसके अलावा भूख की कमी, वजन घटना, उल्टी, बुखार, शौच का रंग काला या लाल हो तो तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। यह गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह कहना है वरीय पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार का। वे शनिवार को दैनिक भास्कर की हेल्थ काउंसिलिंग में पाठकों को सलाह दे रहे थे।

डॉ. मनोज ने कहा कि किसी भी बीमारी को पेट की बीमारी नहीं समझना चाहिए। इसके अलावा खुद से इलाज भी जोखिम भरा होता है। जानकारी के अभाव में खुद से दवा खरीद कर खाते रहते हैं। ऐसा लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। पेट की कोई बीमारी यदि छह सप्ताह तक खत्म नहीं हो रही है तो डॉक्टर से अवश्य दिखा लेना चाहिए। दवा से यदि राहत नहीं मिलती है तो कुछ स्पेशलाइज्ड जांच करानी पड़ती है। जैसे इंडोस्कोपी या फिर कोलोनोस्कोपी। वैसे अधिकांश लोग पेट में गैस होने की शिकायत करते हैं। पर जांच से अधिकांश मामलों में अन्य बीमारी की जानकारी मिलती है। समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज संभव है। यदि बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो सकती है तो उसे नियंत्रित किया जा सकता है।

इन्होंने ने भी किया फोन : राज(महेंद्रू), अनिल कुमार (फतुहा), निर्मला देवी (दीघा), अशोक कुमार सिंह (कंकड़बाग), सुशील त्रिपाठी (पटना), विनय कुमार (पटना), भगवान चरण (आरा), कौशल कुमार (हाजीपुर), राहुल राज (मुजफ्फरपुर)।

{पेट में दर्द रहता है? राजेश तिवारी, मसौढ़ी

- कीड़ा मारने की दवा लीजिए। दर्द से आराम मिल जाएगा।

{छह साल की बच्ची के पेट में दर्द रहता है? दीपा, फुलवारीशरीफ

- फिलहाल पेंटासीड-20 दस दिन तक दीजिए। आराम मिले तो इसे एक महीने तक जारी रखें। भूख लगे या नहीं उसे समय पर खाना दें। दवा से आराम नहीं मिले तो डॉक्टर से दिखा लें।

{पेट साफ नहीं होता है? मनोज कुमार, बख्तियारपुर

- भोजन में चना, हरी सब्जी को शामिल कीजिए। रात में इसबगोल की भूसी दो चम्मच लें। सुबह टहलिए इसके बावजूद परेशानी रहे तो डॉक्टर से दिखा लें।

{नाभी के नीचे दर्द रहता है? रामप्रकाश, पटना

- खाली पेट में दवा पैन-40 टैबलेट एक महीने तक लें। यदि दवा छोड़ने पर दर्द रहे तो डॉक्टर से दिखाना पड़ेगा।

{खाना खाने के बाद पेट में दर्द होता है? दीपक, मसौढ़ी

- कीड़ा मारने की दवा नो वोर्म-400 एमजी एक बार लें। खाली पेट में एक महीने तक रैजो-20 एमजी दवा ले सकते हैं। इसके बावजूद भी परेशानी रहे तो डॉक्टर से मिलें।

{नानाजी को गैस परेशान करती है। पेट भी फूल जाता है? दीपक कुमार, फतुहा

- सिर्फ चावल खाने से पेट फूलता है तो चावल से परहेज करना होगा। कुछ लोगों को कई तरह के भोजन से एलर्जी के कारण भी ऐसा होता है। रात में दो चम्मच इसबगोल की भूसी दीजिए। भोजन में चना और हरी सब्जी शामिल करें। व्यायाम या फिर टहलने की जरूरत है।

डॉ. मनोज कुमार

Monday 7 October 2019

Shadbindu Tel in Hindi | षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel) के फायदे एवं बनाने की विधि

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel) के फायदे एवं
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षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान 
 षडबिंदु तेल : Shadbindu Tel in Hindi. नस्य के रूप में प्रयोग किये जाने वाले एक गुणकारी आयुर्वेदिक योग 'षडबिन्दु

षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel in Hindi)


षडबिंदु तेल के कम्पोजीशन की बात करें तो या तिल तेल के बेस पर बना आयुर्वेदिक तेल है जिसे कई तरह की जड़ी-बूटियाँ मिलाकर पकाया जाता है. इसमें काला तिल तेल के अलावा बकरी का दूध, भृंगराज का जूस प्रत्येक चार भाग, एरंड मूल, तगर, सौंफ़, जीवंती, रास्ना, दालचीनी, विडंग, मुलेठी, सोंठ और सेंधा नमक प्रत्येक एक भाग के मिश्रण से बनाया जाता है

षडबिंदु तेल बनाने की विधि यह है कि तिल तेल, बकरी का दूध और भृंगराज के रस को मिक्स कर लोहे की कड़ाही में डालकर आंच पर चढ़ा दें, और बाकि दूसरी जड़ी-बूटियों को पिस कर पेस्ट बनाकर मिला लेना है. धीमी आंच पर तेल पकाया जाता है, जब सिर्फ तेल बच जाये तो ठण्डा होने पर छान कर रख लिया जाता है

षडबिंदु तेल के गुण - अगर इसके गुणों की बात करें तो यह एंटी इंफ्लेमेटरी या सुजन दूर करने वाला, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है

नस्य के रूप में प्रयोग किये जाने वाले एक गुणकारी आयुर्वेदिक योग "षडबिन्दु तेल" का परिचय इस आर्टिकल में प्रस्तुत किया जा रहा है जिसका उपयोग कुछ व्याधियों को नष्ट कर शरीर व् स्वास्थ्य की रक्षा करने में बहुत गुणकारी सिद्ध होता है.

षडबिन्दु तेल के घटक द्रव्य (ingredients of shadbindu oil ) - अरंडी की जड़, तगर , सोया, जीवन्ति (डोडी ), रास्ना, सेंधानमक, भांगरा, बायबिडंग, मुलहठी और सौंठ - सब द्रव्य समान मात्रा में . भांगरे का रस , काले तिल का तेल और इसके बराबर वज़न में बकरी का दूध.
षडबिन्दु तेल निर्माण विधि (shadbindu oil preparation method ) - सब द्रव्यों को भांगरे के रस में पीस कर कल्क (लुगदी) बना लें. इस कल्क के वज़न से चार गुना काले तिल का तेल, इतनी ही मात्रा में बकरी का दूध और तेल से चार गुनी मात्रा में भांगरे का रस - इन सबको मिलाकर यथा विधि तेल को सिद्ध करें यानी तब तक उबालें जब सिर्फ तेल ही बचे. तेल सिद्ध करके उतार लें और ठंडा होने पर छान कर बोतलों में भर लें.
षडबिन्दु तेल मात्रा और प्रयोग विधि ( shadbindu oil quantity , dosage and application uses ) - इस तेल का उपयोग नाक में २-२ बून्द टपका कर नस्य के रूप में किया जाता है. इसकी प्रयोग विधि इस प्रकार है - पलंग पर चित्त लेटकर गर्दन पलंग से बाहर की तरफ रखकर लटका दें ताकि नाक सीधी छत की तरफ हो जाए. अब ड्रॉपर में षडबिन्दु तेल भरकर नाक के एक नासापुट में २-३ बून्द कोई भी व्यक्ति टपका दे. जैसे ही तेल की बून्द नाक में गिरे वैसे ही दूसरी तरफ का नासापुट अँगुलियों से दबा कर, २-३ बार, जोर से सांस खींचे ताकि तेल कंठ में न जाकर ऊपर की तरफ निकल जाए. इसी प्रकार दूसरी तरफ के नासापुट में २-३ बूंदें टपका कर दूसरे नासापुट को दबा कर, २-३ बार , जोर से सांस खींचें . इसके बाद २-३ मिनिट तक इसी स्थिति में लेटे रहें फिर उठ जाएँ. यह प्रयोग रात को सोते समय करें.

षडबिन्दु तेल के लाभ व् फायदे (Advantages and health benefits of shadbindu oil ) - षडबिन्दु तेल से नस्य लेने के कई फायदे हैं. इससे सर व् मस्तिष्क में तरावट होती है, खुश्की व् गर्मी दूर होती है. सर में भारीपन, सिरदर्द, बाल झड़ना व् सफ़ेद होना, सर्दी-जुकाम, नाक के अंदर सूजन होना आदि शिकायतें दूर होती हैं और शिरोरोग नष्ट होते हैं. यह तेल बिना किसी रोग के, स्वस्थ अवस्था में भी, सप्ताह में या मास में एक बार दोनों तरफ के नासापुटों (नथुनों ) में टपकाते रहने से ये शिकायतें पैदा ही नहीं होती. षडबिन्दु तेल बना बनाया इसी नाम से बाज़ार में मिलता है.
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Sunday 6 October 2019

शुगर में परहेज | लक्षण व मधुमेह रोगियों के लिए घरेलू नुस्खों | Sugar Me Kya Khaye | शुगर की रामबाण औषधी, शुगर की दवा घर पर बनायें

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शुगर (डायबिटीज) में क्या खाना चाहिए


दुनिया भर में सबसे ज़्यादा लोग अगर किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो वह है शुगर डायबिटीज़. यह एक भयंकर महामारी के रूप में दुनिया भर में फैल रही है. पूरी दुनिया में शुगर डायबिटीज से लगभग 415 मिलियन लोग प्रभावित हैं.
आपको यह जानकर बड़ी हैरानी होगी कि अकेले भारत में ही इतनी बड़ी आबादी के आधे लोग यहाँ शुगर के मरीज़ हैं. मतलब की दुनिया भर में जितने मरीज़ हैं उसकी आधी आबादी हमारे भारत में पाई जाती है.
हमारी बिगड़ती जीवनशैली के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन गया है। इन्हीं बीमारियों में से एक है डाइबिटीज़ यानी मधुमेह। डाइबिटीज़ भले ही एक सामान्य बीमारी हो, लेकिन एक बार किसी को हो जाए, तो ज़िंदगीभर उसका साथ नहीं छोड़ती। किसी समय में यह बीमारी सिर्फ 50 साल से ऊपर के लोगों को होती थी, लेकिन आज हर कोई इससे ग्रस्त है। यहां हम आपको बता दें कि अगर मरीज़ अपनी जीवनशैली और खानपान का ख्याल रखे तो डाइबिटीज़ को संतुलित रखा जा सकता है।
  1. टाइप 1 – यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, इसमें बीटा कोशिकाएं इंसुलिन नहीं बना पाती हैं। इस मधुमेह में मरीज़ को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही तरीक़े से बनी रहे। यह डायबिटीज़ बच्चों और युवाओं को होने की आशंका ज़्यादा होती है।
  1. टाइप 2 – इसमें शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता।
  1. गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) – यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान होता है, जब खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इस दौरान, गर्भवती महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा ज़्यादा रहता है।
हर किसी को मधुमेह के कुछ लक्षणों का पता होना जरूरी है। इसके कई ऐसे आम से दिखने वाले लक्षण होते हैं, जिन पर अगर आप समय रहते ध्यान देते हैं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ शुगर के लक्षण आपको बता रहे हैं।
  1. बार-बार पेशाब लगना।
  2. लगातार शरीर में दर्द की शिकायत होना।
  3. बार-बार त्वचा और प्राइवेट पार्ट्स में संक्रमण होना या कैविटी होना।
  4. घाव का जल्दी न भरना।
  5. गला सूखना या बार-बार प्यास लगना।
  6. आंखों की रोशनी कमज़ोर होना।
  7. वज़न का अचानक से ज़्यादा बढ़ना या कम होना।
  8. लगातार थकान या कमज़ोरी महसूस होना।
  9. ज़रूरत से ज़्यादा भूख लगना।
  10. व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।
इससे पहले कि आप मधुमेह के इलाज के बारे में जानें, आपका शुगर होने के कारणों के बारे में जानना ज़रूरी है।
  • अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज़ है, तो आपको भी डायबिटीज़ होने का ख़तरा हो सकता है।
  • ज़्यादा तला या बाहर का खाना खाने से बढ़ता हुआ वज़न भी डायबिटीज़ का कारण है।
  • व्यायाम या कोई शारीरिक श्रम ना करना।
  • ज़्यादा मीठा खाना।
  • अगर कोई ह्रदय संबंधी बीमारी है, तो डायबिटीज़ हो सकती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ हुई हो या शिशु का वज़न 9 पौंड से ज्यादा हो तो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • बढ़ती उम्र से भी डायबिटीज़ हो सकती है।
  1. इंसुलिन – कई टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीज़ इंसुलिन के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर इंसुलिन पंप की भी सलाह देते हैं।

  1. सही खान-पान – मधुमेह के मरीज़ों को अपने खान-पान का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए। इसलिए, डॉक्टर डायबिटीज़ के लिए एक विशेष आहार चार्ट बनाते हैं और उसी के अनुरुप खान-पान की सलाह देते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, गाजर, टमाटर, संतरा, केला व अंगूर खा सकते हैं। इसके अलावा अंडा, मछली, चीज़ और दही का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  1. व्यायाम – खाने-पीने के अलावा डॉक्टर व्यायाम और योगासन करने की भी राय देते हैं। फिज़िकल एक्टिविटी करने से ब्लड ग्लूकोज़ लेवल संतुलित रहता है और आपका शरीर स्वस्थ रहता है। डॉक्टर, डायबिटीज़ के मरीज़ों को चलने, सुबह की सैर और हल्का-फ़ुल्का व्यायाम करने की राय देते हैं। यह डायबिटीज के इलाज के सबसे आसान तरीके हैं। 
  1. दवाइयां – डायबिटीज़ के मरीज़ों को दवाइयां की भी सलाह दी आती है। डॉक्टर, मरीज़ की बीमारी के अनुसार ही दवाई देते हैं।