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Tuesday 8 October 2019

क्या आपको भी है गैस ! जानें कारण, लक्षण और उपाय | गैस्ट्रिक समस्या के लक्षण, कारण, इलाज

क्या आपको भी है गैस ! जानें कारण, लक्षण और उपाय

गैस की तकलीफ (Gas Pain) के लक्षण, कारण, निदान

गैस, घबराहट, छाती में जलन से हैं 

आखिर क्या हैं गैस बनने के बड़े कारण 

गैस की समस्या हमेशा पेट से जुड़ी नहीं होती

गैस्ट्रिक समस्या के लक्षण, कारण, इलाज

कैसे पेट में गैस के कारण होने वाले दर्द से राहत



गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) का उपचार क्या है?

गैस्ट्रिक समस्याएं (Gastric Problems) कई कारणों से होती हैं- इनमें अनियंत्रित पीने की आदतें, मसालेदार भोजन की खपत, भोजन को चबाने से पहले ठीक से चबाने, पाचन समस्या, जीवाणु संक्रमण और तनाव और तनाव (swallowing it, digestive trouble, bacterial infections and as well as stress and tension) शामिल नहीं है।
गैस्ट्रिक समस्या (Gastric problem) के लक्षणों में पेट, बुरी सांस, बेल्चिंग और अम्लता गैस (bloating of the stomach, bad breath, belching and acidity coupled) के साथ मिलकर सूजन शामिल है।
गैस्ट्रिक मुसीबत (Gastric problem) के लिए उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि क्या आपको गैर-अल्सर डिस्प्सीसिया या पेप्टिक अल्सर (non-ulcer dyspepsia or peptic ulcer) का निदान किया गया है या नहीं। गैर-अल्सर डिस्प्सीसिया (Non-ulcer dyspepsia) को कार्यात्मक डिस्प्सीसिया (functional dyspepsia) के नाम से भी बुलाया जाता है। इसके लिए उपचार में कम खुराक के एंटीड्रिप्रेसेंट्स (antidepressants ) शामिल हैं, दवाएं जो पेट एसिड से लड़ने में मदद करने के लिए चिंता और दवाओं को अस्वीकार करने में मदद करती हैं। पेट एसिड के मुद्दों को कम करने में मदद करने वाली दवाएं एच 2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसे रैंटिडाइन, निजाटिडाइन, सिमेटिडाइन, फैगोटीडाइन और प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (rantidine, nizatidine, cimetidine, famotidine and proton pump inhibitors) जैसे पैनटोप्राज़ोल, रैबेप्राज़ोल, ओमेपेराज़ोल, लांसोप्राज़ोल (as pantoprazole, rabeprazole, omeprazole, lansoprazole) शामिल हैं। एचपी पिलोरी संक्रमण के कारण होने पर पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer) में थेरेपी (शॉर्ट-टर्म ट्रिपल थेरेपी) (therapy (Short-term triple therapy)) जैसे उपचार शामिल होंगे। इसमें एसिड-कम करने वाले एजेंट और दो एंटीबायोटिक (antibiotics) दवाएं शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार, तनाव पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) की स्थिति को बढ़ा सकता है। अगर आपकी अल्सर की समस्या का इलाज नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम छोटी आंत में या पेट की दीवार क्षेत्र में हो सकता है।

गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) का इलाज कैसे किया जाता है?

एच 2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसी दवाएं दवाओं की एक श्रेणी हैं जो पेट द्वारा उत्पादित एसिड की मात्रा को कम करके काम करती हैं। जब एक एच 2 रिसेप्टर अवरोधक (H2 receptor blocker) का उपभोग होता है तो इस दवा के भीतर निहित सक्रिय तत्व पेट कोशिकाओं के कुछ निर्दिष्ट क्षेत्रों में जाते हैं। ये अवरोधक पेट में एसिड रिहाई कोशिकाओं (acid releasing cells) को हिस्टामाइन (histamine) पर प्रतिक्रिया करने से रोकते हैं। एच 2 अवरोधक (H2 blockers) पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) को फिर से दिखने से रोकते हैं। आम तौर पर, एच 2 ब्लॉकर्स को पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer) की बीमार स्थितियों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए शरीर द्वारा जल्दी से अवशोषित किया जाता है।
शॉर्ट टर्म ट्रिपल थेरेपी उपचार (Short-term triple therapy treatment) हेलीकॉक्टर पिलोरी संक्रमण (Helicobacter Pylori infection) के कारण होने वाली स्थितियों के इलाज में बहुत प्रभावी है। एक सप्ताह की अवधि में 65 रोगियों पर किए गए एक प्रयोग में- शॉर्ट टर्म ट्रिपल थेरेपी जिसमें दिन में दो बार 250 मिलीग्राम स्पष्टीथ्रोमाइसिन (250 mg of clarithromycin) होता है, रोजाना ओमेपेराज़ोल का 20 मिलीग्राम (20 mg of omeprazole) और दिन में दो बार टिनिडाज़ोल (tinidazole) का 500 मिलीग्राम होता है, यह देखा जाता है कि उपचार पूरा करने का महीना 62 रोगियों में हेलिकोबैक्टर पिलोरी संक्रमण (Helicobacter Pylori infection) सफलतापूर्वक समाप्त हो गया था।
ऐसे मामलों में जहां अल्सर (ulcer) ने एंडोस्कोपी परीक्षण (endoscopy test) करने के लिए खून बहना शुरू कर दिया है, रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। उन मरीजों के लिए जो मध्यस्थता लेने या एंडोस्कोपी (endoscopy) करने के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिखाते हैं, सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इन प्रक्रियाओं में योनोटे (vagotmay) (योनि तंत्रिका (vagus nerve) काटने) और अर्द्ध गैस्ट्रोक्टोमी (semi gastrectomy) (पेट के एक हिस्से का आंशिक हटाने) शामिल हैं।

गैस्ट्रिक समस्या (Gastric Problems) के इलाज के लिए कौन पात्र (eligible) है? (इलाज कब किया जाता है?)

सभी गैस्ट्रिक परेशानी के इलाज के लिए पात्र (eligible) हैं। लेकिन आपका डॉक्टर आपकी उम्र और आपकी हालत की गंभीरता के आधार पर खुराक निर्धारित कर सकता है। एच 2 अवरोधक रिसेप्टर दवाएं (H2 blocker receptor drugs) गर्भवती लोगों के लिए भी सुरक्षित हैं।

उपचार के लिए कौन पात्र (eligible) नहीं है?

यह अनुशंसा की जाती है कि एच 2 अवरोधक रिसेप्टर्स (H2 blocker receptors) को गंभीर रूप से एलर्जी वाले लोग किसी भी जीवन-धमकी देने वाली प्रतिक्रियाओं को रोकने के लिए उन्हें लेने से बचना चाहिए।

क्या कोई भी साइड इफेक्ट्स (side effects) हैं?

एच 2 ब्लॉकर्स लेने पर आमतौर पर देखा जाने वाला साइड इफेक्ट (side effects) आमतौर पर हल्का होता है। ये दस्त हैं, सोने में परेशानी, मुंह की सूखापन, कान, कब्ज और सिरदर्द में सनसनी बजाना (diarrhoea, trouble sleeping, dryness of the mouth, ringing sensation in the ears, constipation and headaches)। कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स (side effects) में सांस लेने में श्वास, घरघराहट, आंदोलन, जलती हुई त्वचा और दृष्टि के मुद्दों (trouble breathing, wheezing, agitation, burning skin and vision issues) शामिल हैं।
एंडोस्कोपी (Endoscopy) एक अन्यथा सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन जटिलताओं में रक्तस्राव, संक्रमण, बुखार, पेट दर्द, उल्टी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) को फाड़ने का मौका हो सकता है।

उपचार के बाद पोस्ट-ट्रीटमेंट गाइडलाइन्स (post-treatment guidelines) क्या हैं?

गैस्ट्रिक मुसीबत के लिए पोस्ट-ट्रीटमेंट दिशानिर्देशों (guidelines) में नियमित रूप से और समय पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा लेना शामिल है, यह जांच कर लें कि क्या आप गलती से किसी भी विरोधी भड़काऊ या दर्द हत्यारों (anti-inflammatory or pain killers) को ले रहे हैं क्योंकि इससे दिल की धड़कन की संभावना बढ़ सकती है। आपको नियमित रूप से व्यायाम करने की ज़रूरत है लेकिन उच्च प्रभाव वाली प्रकृति के अभ्यास से बचने के लिए सुनिश्चित करें। अपने आहार पर एक टैब रखने के लिए सुनिश्चित करें- अल्कोहल, चिकनाई या तला हुआ भोजन, मसालेदार भोजन, कार्बोनेटेड पेय, और अन्य नींबू के फल या उनके रस (alcohol, greasy or fried foods, spicy foods, carbonated drinks, and other citrus fruits or their juices) से बचें। शुद्ध पानी और अन्य मौखिक हाइड्रेशन समाधान (oral hydration solutions) पीने से हर समय अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।

ठीक होने में कितना समय लगता है?

आपके मामले की गंभीरता के आधार पर आपके उपचार की वसूली अवधि 1 सप्ताह से 4 सप्ताह के बीच कुछ हो सकती है, अधिकतम। यदि आपकी गैस्ट्रिक समस्या (gastric problem ) मुख्य रूप से अपचन के कारण होती है तो आप एक दिन में भी बेहतर हो सकते हैं बशर्ते आप समय पर आवश्यक दवा लें।

भारत में इलाज की कीमत क्या है?

गैस्ट्रिक मुसीबत (gastric trouble) के इलाज के लिए चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवा का एक पत्ता, 50 रुपये से कम के रूप में कम से कम रु। 700. एंडोस्कोपी परीक्षण (endoscopy test) की कीमत आपको रु औसतन 1500 और बायोप्सी परीक्षण (biopsy test) के अतिरिक्त 250-500 रुपये खर्च हो सकते हैं।

उपचार के परिणाम स्थायी (permanent) हैं?

ऐसे कोई उपचार नहीं हैं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (gastrointestinal disorder) की समस्या को स्थायी रूप से ठीक कर सकें। खाड़ी में अपनी गैस्ट्रिक परेशानी को रखने का एकमात्र तरीका मसालेदार, चिकनाई और तला हुआ भोजन से बचने, डेयरी खाद्य पदार्थों और चीनी में समृद्ध लोगों से बचने का एकमात्र तरीका है। भोजन में छोटे से खाएं और निगलने से पहले उन्हें अच्छी तरह से चबाएं। लंबे समय तक खाली पेट पर न रहें।

उपचार के विकल्प (alternatives) क्या हैं?

गैस्ट्रिक परेशानी (gastric trouble) के वैकल्पिक (alternative) उपचार में कुछ घरेलू उपचार शामिल हैं जो आपके रसोईघर में आसानी से उपलब्ध हैं। ये हल्दी हैं (वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए हर रोज दूध के साथ हल्दी मिश्रित (turmeric mixed) होते हैं), आलू के रस (आलू का रस प्री-भोजन तीन बार पेट गैस की आपकी समस्या का इलाज करने के लिए होता है), अदरक (अदरक गैस्ट्रिक समस्या के इलाज के लिए अच्छा है अपचन), बेकिंग सोडा (यह एक प्रभावी एंटीसिड (effective antacid) के रूप में काम करता है और जब आप इसे खाली पेट पर पानी से मिश्रित करते हैं तो तत्काल राहत देता है), सेब साइडर सिरका, दालचीनी, इलायची, प्याज और चारकोल (apple cider vinegar, cinnamon, cardamom, onion and charcoal) (आपके भोजन से पहले और बाद में चारकोल टैबलेट (charcoal tablet) रखना जो अम्लता और गैस (acidity and gas) के मुद्दों को कम करने में काफी मदद करेगा)।
गैसकी समस्या हमेशा पेट से जुड़ी नहीं होती। दूसरी बीमारी के कारण भी यह समस्या मरीज को हो सकती है, पर वह उसे गैस ही समझता है। पेप्टिक अल्सर, गॉल ब्लाडर स्टोन, भोजन की थैली में कैंसर, पैंक्रियाज की बीमारी, आंत की बीमारी, हार्ट और न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। यदि तकलीफ छह सप्ताह से अधिक है तो उसकी जांच और विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जिससे पता चल जाए कि पेट की बीमारी है या फिर कोई अन्य। इसके अलावा भूख की कमी, वजन घटना, उल्टी, बुखार, शौच का रंग काला या लाल हो तो तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। यह गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह कहना है वरीय पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार का। वे शनिवार को दैनिक भास्कर की हेल्थ काउंसिलिंग में पाठकों को सलाह दे रहे थे।

डॉ. मनोज ने कहा कि किसी भी बीमारी को पेट की बीमारी नहीं समझना चाहिए। इसके अलावा खुद से इलाज भी जोखिम भरा होता है। जानकारी के अभाव में खुद से दवा खरीद कर खाते रहते हैं। ऐसा लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। पेट की कोई बीमारी यदि छह सप्ताह तक खत्म नहीं हो रही है तो डॉक्टर से अवश्य दिखा लेना चाहिए। दवा से यदि राहत नहीं मिलती है तो कुछ स्पेशलाइज्ड जांच करानी पड़ती है। जैसे इंडोस्कोपी या फिर कोलोनोस्कोपी। वैसे अधिकांश लोग पेट में गैस होने की शिकायत करते हैं। पर जांच से अधिकांश मामलों में अन्य बीमारी की जानकारी मिलती है। समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज संभव है। यदि बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो सकती है तो उसे नियंत्रित किया जा सकता है।

इन्होंने ने भी किया फोन : राज(महेंद्रू), अनिल कुमार (फतुहा), निर्मला देवी (दीघा), अशोक कुमार सिंह (कंकड़बाग), सुशील त्रिपाठी (पटना), विनय कुमार (पटना), भगवान चरण (आरा), कौशल कुमार (हाजीपुर), राहुल राज (मुजफ्फरपुर)।

{पेट में दर्द रहता है? राजेश तिवारी, मसौढ़ी

- कीड़ा मारने की दवा लीजिए। दर्द से आराम मिल जाएगा।

{छह साल की बच्ची के पेट में दर्द रहता है? दीपा, फुलवारीशरीफ

- फिलहाल पेंटासीड-20 दस दिन तक दीजिए। आराम मिले तो इसे एक महीने तक जारी रखें। भूख लगे या नहीं उसे समय पर खाना दें। दवा से आराम नहीं मिले तो डॉक्टर से दिखा लें।

{पेट साफ नहीं होता है? मनोज कुमार, बख्तियारपुर

- भोजन में चना, हरी सब्जी को शामिल कीजिए। रात में इसबगोल की भूसी दो चम्मच लें। सुबह टहलिए इसके बावजूद परेशानी रहे तो डॉक्टर से दिखा लें।

{नाभी के नीचे दर्द रहता है? रामप्रकाश, पटना

- खाली पेट में दवा पैन-40 टैबलेट एक महीने तक लें। यदि दवा छोड़ने पर दर्द रहे तो डॉक्टर से दिखाना पड़ेगा।

{खाना खाने के बाद पेट में दर्द होता है? दीपक, मसौढ़ी

- कीड़ा मारने की दवा नो वोर्म-400 एमजी एक बार लें। खाली पेट में एक महीने तक रैजो-20 एमजी दवा ले सकते हैं। इसके बावजूद भी परेशानी रहे तो डॉक्टर से मिलें।

{नानाजी को गैस परेशान करती है। पेट भी फूल जाता है? दीपक कुमार, फतुहा

- सिर्फ चावल खाने से पेट फूलता है तो चावल से परहेज करना होगा। कुछ लोगों को कई तरह के भोजन से एलर्जी के कारण भी ऐसा होता है। रात में दो चम्मच इसबगोल की भूसी दीजिए। भोजन में चना और हरी सब्जी शामिल करें। व्यायाम या फिर टहलने की जरूरत है।

डॉ. मनोज कुमार

Monday 7 October 2019

Shadbindu Tel in Hindi | षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel) के फायदे एवं बनाने की विधि

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel) के फायदे एवं
शादबिंदु तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान
साइनस का इलाज घर के खाने में
षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान 
 षडबिंदु तेल : Shadbindu Tel in Hindi. नस्य के रूप में प्रयोग किये जाने वाले एक गुणकारी आयुर्वेदिक योग 'षडबिन्दु

षडबिंदु तेल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

षडबिन्दु तेल (Shadbindu Tel in Hindi)


षडबिंदु तेल के कम्पोजीशन की बात करें तो या तिल तेल के बेस पर बना आयुर्वेदिक तेल है जिसे कई तरह की जड़ी-बूटियाँ मिलाकर पकाया जाता है. इसमें काला तिल तेल के अलावा बकरी का दूध, भृंगराज का जूस प्रत्येक चार भाग, एरंड मूल, तगर, सौंफ़, जीवंती, रास्ना, दालचीनी, विडंग, मुलेठी, सोंठ और सेंधा नमक प्रत्येक एक भाग के मिश्रण से बनाया जाता है

षडबिंदु तेल बनाने की विधि यह है कि तिल तेल, बकरी का दूध और भृंगराज के रस को मिक्स कर लोहे की कड़ाही में डालकर आंच पर चढ़ा दें, और बाकि दूसरी जड़ी-बूटियों को पिस कर पेस्ट बनाकर मिला लेना है. धीमी आंच पर तेल पकाया जाता है, जब सिर्फ तेल बच जाये तो ठण्डा होने पर छान कर रख लिया जाता है

षडबिंदु तेल के गुण - अगर इसके गुणों की बात करें तो यह एंटी इंफ्लेमेटरी या सुजन दूर करने वाला, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है

नस्य के रूप में प्रयोग किये जाने वाले एक गुणकारी आयुर्वेदिक योग "षडबिन्दु तेल" का परिचय इस आर्टिकल में प्रस्तुत किया जा रहा है जिसका उपयोग कुछ व्याधियों को नष्ट कर शरीर व् स्वास्थ्य की रक्षा करने में बहुत गुणकारी सिद्ध होता है.

षडबिन्दु तेल के घटक द्रव्य (ingredients of shadbindu oil ) - अरंडी की जड़, तगर , सोया, जीवन्ति (डोडी ), रास्ना, सेंधानमक, भांगरा, बायबिडंग, मुलहठी और सौंठ - सब द्रव्य समान मात्रा में . भांगरे का रस , काले तिल का तेल और इसके बराबर वज़न में बकरी का दूध.
षडबिन्दु तेल निर्माण विधि (shadbindu oil preparation method ) - सब द्रव्यों को भांगरे के रस में पीस कर कल्क (लुगदी) बना लें. इस कल्क के वज़न से चार गुना काले तिल का तेल, इतनी ही मात्रा में बकरी का दूध और तेल से चार गुनी मात्रा में भांगरे का रस - इन सबको मिलाकर यथा विधि तेल को सिद्ध करें यानी तब तक उबालें जब सिर्फ तेल ही बचे. तेल सिद्ध करके उतार लें और ठंडा होने पर छान कर बोतलों में भर लें.
षडबिन्दु तेल मात्रा और प्रयोग विधि ( shadbindu oil quantity , dosage and application uses ) - इस तेल का उपयोग नाक में २-२ बून्द टपका कर नस्य के रूप में किया जाता है. इसकी प्रयोग विधि इस प्रकार है - पलंग पर चित्त लेटकर गर्दन पलंग से बाहर की तरफ रखकर लटका दें ताकि नाक सीधी छत की तरफ हो जाए. अब ड्रॉपर में षडबिन्दु तेल भरकर नाक के एक नासापुट में २-३ बून्द कोई भी व्यक्ति टपका दे. जैसे ही तेल की बून्द नाक में गिरे वैसे ही दूसरी तरफ का नासापुट अँगुलियों से दबा कर, २-३ बार, जोर से सांस खींचे ताकि तेल कंठ में न जाकर ऊपर की तरफ निकल जाए. इसी प्रकार दूसरी तरफ के नासापुट में २-३ बूंदें टपका कर दूसरे नासापुट को दबा कर, २-३ बार , जोर से सांस खींचें . इसके बाद २-३ मिनिट तक इसी स्थिति में लेटे रहें फिर उठ जाएँ. यह प्रयोग रात को सोते समय करें.

षडबिन्दु तेल के लाभ व् फायदे (Advantages and health benefits of shadbindu oil ) - षडबिन्दु तेल से नस्य लेने के कई फायदे हैं. इससे सर व् मस्तिष्क में तरावट होती है, खुश्की व् गर्मी दूर होती है. सर में भारीपन, सिरदर्द, बाल झड़ना व् सफ़ेद होना, सर्दी-जुकाम, नाक के अंदर सूजन होना आदि शिकायतें दूर होती हैं और शिरोरोग नष्ट होते हैं. यह तेल बिना किसी रोग के, स्वस्थ अवस्था में भी, सप्ताह में या मास में एक बार दोनों तरफ के नासापुटों (नथुनों ) में टपकाते रहने से ये शिकायतें पैदा ही नहीं होती. षडबिन्दु तेल बना बनाया इसी नाम से बाज़ार में मिलता है.
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Sunday 6 October 2019

शुगर में परहेज | लक्षण व मधुमेह रोगियों के लिए घरेलू नुस्खों | Sugar Me Kya Khaye | शुगर की रामबाण औषधी, शुगर की दवा घर पर बनायें

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शुगर (डायबिटीज) में क्या खाना चाहिए


दुनिया भर में सबसे ज़्यादा लोग अगर किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो वह है शुगर डायबिटीज़. यह एक भयंकर महामारी के रूप में दुनिया भर में फैल रही है. पूरी दुनिया में शुगर डायबिटीज से लगभग 415 मिलियन लोग प्रभावित हैं.
आपको यह जानकर बड़ी हैरानी होगी कि अकेले भारत में ही इतनी बड़ी आबादी के आधे लोग यहाँ शुगर के मरीज़ हैं. मतलब की दुनिया भर में जितने मरीज़ हैं उसकी आधी आबादी हमारे भारत में पाई जाती है.
हमारी बिगड़ती जीवनशैली के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन गया है। इन्हीं बीमारियों में से एक है डाइबिटीज़ यानी मधुमेह। डाइबिटीज़ भले ही एक सामान्य बीमारी हो, लेकिन एक बार किसी को हो जाए, तो ज़िंदगीभर उसका साथ नहीं छोड़ती। किसी समय में यह बीमारी सिर्फ 50 साल से ऊपर के लोगों को होती थी, लेकिन आज हर कोई इससे ग्रस्त है। यहां हम आपको बता दें कि अगर मरीज़ अपनी जीवनशैली और खानपान का ख्याल रखे तो डाइबिटीज़ को संतुलित रखा जा सकता है।
  1. टाइप 1 – यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, इसमें बीटा कोशिकाएं इंसुलिन नहीं बना पाती हैं। इस मधुमेह में मरीज़ को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही तरीक़े से बनी रहे। यह डायबिटीज़ बच्चों और युवाओं को होने की आशंका ज़्यादा होती है।
  1. टाइप 2 – इसमें शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता।
  1. गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) – यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान होता है, जब खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इस दौरान, गर्भवती महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा ज़्यादा रहता है।
हर किसी को मधुमेह के कुछ लक्षणों का पता होना जरूरी है। इसके कई ऐसे आम से दिखने वाले लक्षण होते हैं, जिन पर अगर आप समय रहते ध्यान देते हैं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ शुगर के लक्षण आपको बता रहे हैं।
  1. बार-बार पेशाब लगना।
  2. लगातार शरीर में दर्द की शिकायत होना।
  3. बार-बार त्वचा और प्राइवेट पार्ट्स में संक्रमण होना या कैविटी होना।
  4. घाव का जल्दी न भरना।
  5. गला सूखना या बार-बार प्यास लगना।
  6. आंखों की रोशनी कमज़ोर होना।
  7. वज़न का अचानक से ज़्यादा बढ़ना या कम होना।
  8. लगातार थकान या कमज़ोरी महसूस होना।
  9. ज़रूरत से ज़्यादा भूख लगना।
  10. व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।
इससे पहले कि आप मधुमेह के इलाज के बारे में जानें, आपका शुगर होने के कारणों के बारे में जानना ज़रूरी है।
  • अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज़ है, तो आपको भी डायबिटीज़ होने का ख़तरा हो सकता है।
  • ज़्यादा तला या बाहर का खाना खाने से बढ़ता हुआ वज़न भी डायबिटीज़ का कारण है।
  • व्यायाम या कोई शारीरिक श्रम ना करना।
  • ज़्यादा मीठा खाना।
  • अगर कोई ह्रदय संबंधी बीमारी है, तो डायबिटीज़ हो सकती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ हुई हो या शिशु का वज़न 9 पौंड से ज्यादा हो तो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • बढ़ती उम्र से भी डायबिटीज़ हो सकती है।
  1. इंसुलिन – कई टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीज़ इंसुलिन के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर इंसुलिन पंप की भी सलाह देते हैं।

  1. सही खान-पान – मधुमेह के मरीज़ों को अपने खान-पान का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए। इसलिए, डॉक्टर डायबिटीज़ के लिए एक विशेष आहार चार्ट बनाते हैं और उसी के अनुरुप खान-पान की सलाह देते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, गाजर, टमाटर, संतरा, केला व अंगूर खा सकते हैं। इसके अलावा अंडा, मछली, चीज़ और दही का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  1. व्यायाम – खाने-पीने के अलावा डॉक्टर व्यायाम और योगासन करने की भी राय देते हैं। फिज़िकल एक्टिविटी करने से ब्लड ग्लूकोज़ लेवल संतुलित रहता है और आपका शरीर स्वस्थ रहता है। डॉक्टर, डायबिटीज़ के मरीज़ों को चलने, सुबह की सैर और हल्का-फ़ुल्का व्यायाम करने की राय देते हैं। यह डायबिटीज के इलाज के सबसे आसान तरीके हैं। 
  1. दवाइयां – डायबिटीज़ के मरीज़ों को दवाइयां की भी सलाह दी आती है। डॉक्टर, मरीज़ की बीमारी के अनुसार ही दवाई देते हैं।

मोटापा कम करने के घरेलू उपाय – Motapa Kam Karne Ke Gharelu Upay in Hindi

जाने वेट लॉस टिप्स, वजन कम करने के उपाय, वेट कम करने के नुस्खे अपनी भाषा हिंदी में Aur Jane Vajan Ghatane Ke Upay, Weight Loss


मानव शरीर में रंग और रूप तो भगवान की देन है किन्तु मानव शरीर की बनावट को आकर्षित बनाना व्यक्ति के खुद हाथ में होता है | मानव शरीर के सम्पूर्ण सोंदर्य में शारीरिक बनावट का बहुत महत्व होता है | ऐसे में मोटापा/Motapa किसी भी व्यक्ति के सोंदर्य जीवन में कलंक लगाने का कार्य कर सकता है | मोटापा शारीरिक सोंदर्य के साथ -साथ व्यक्ति के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है | वर्तमान समय में मोटापा/Motapa कम करने की सैंकड़ों दवाइयां बाजार में उपलब्ध है | इस प्रकार की दवाएं मोटापा कम करने की 100% गारंटी देती है किन्तु वास्तविक रूप में ये दवाएं सीमित समय के लिए प्रभावित होती है और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है | इसलिए व्यक्ति मोटापा/Motapa कम करने के घरेलु उपायों /Motapa kam karne ke Gharelu upay  की तरफ अधिक रूचि लेने लगते है |
वजन कम करने के 18 बेहद आसान टिप्स:
1. अगर आप वाकई वजन कम करने को लेकर गंभीर हैं तो सबसे पहले यह सुनिश्चित कीजिए कि आप जो भी कुछ खाएं उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो. यह बात कई शोध में भी साबित हो चुकी है कि ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वजन बढ़ने का कारण होते हैं.
2. वजन कम करने के लिए कई लोग खाना-पीना छोड़ देते हैं. लेकिन ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है. अगर आप वाकई मोटापा कम करना चाहते हैं तो भूखा रहने की बजाय जरूरी है कि जब आपको भूख लगे तो आप जरूर खाना खाएं और पेट भरकर खाएं. लेकिन कार्बोहाइड्रेट घटाने के साथ ही फैट न कम करें. आप सीमित मात्रा में मक्खन, घी आदि ले सकते हैं.
3. वजन घटाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप जो कुछ भी खाएं वो रीयल फूड हो. मार्केट में बिकने वाले प्रोसेस्ड और लो-कार्ब फूड खाने से परहेज करें.
4. अगर आप समय-समय पर कुछ-कुछ खाते रहेंगे तो वजन कम करना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में एक बार ही संतुष्ट होकर खा लें. भूख न लगी हो तो स्वाद या फिर किसी और वजह से कुछ भी खाने से परहेज करना ही बेहतर रहेगा.
5. ये बेहद जरूरी है कि आप जो भी प्रयास कर रहे हैं उसे गंभीरता से मॉनिटर भी करें. ताकि आपको पता चलता रहे कि क्या फर्क पड़ रहा है और क्या नहीं. इसके लिए हफ्ते में एक बार कमर को इंचीटेप से नापें और नोट करें कि आप ने कितने इंच घटाए हैं.
6. किसी का भी वजन एक दिन में तो बढ़ नहीं जाता. ऐसे में ये सोचना कि एक दिन में ही वजन कम हो जाए गलत होगा. वजन कम करना एक लंबी प्रक्रिया है जिसके लिए आपको कुछ वक्त तक नियमित रहने की जरूरत होती है. तभी आप बेहतर परिणाम पा सकेंगे.
7. अगर आप महिला हैं और वजन कम करना चाहती हैं तो फलों के सेवन से परहेज करें. आपको ये बात अजीब लग सकती है लेकिन सच्चाई यह है कि फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर होती है जिससे वजन कम करने में मुश्किल आ सकती है. पुरुषों के लिए भी यह बात लागू होती है लेकिन महिलाओं के लिए फल से मिली शुगर को घटाना थोड़ा मुश्क‍िल रहता है.
8. यह पॉइंट खासतौर पर पुरुषों के लिए है. अगर आप सच में वजन कम करने को लेकर गंभीर हैं तो आज ही से बीयर को अलविदा कह दें. बीयर में ऐसे कार्बोहाइड्रेट्स पाए जाते हैं जो बहुत जल्दी पच जाते हैं और वजन बढ़ाते हैं.
9. कुछ भी ऐसा न खाएं जिसमें आर्टिफिशियल शुगर मौजूद हो. इसके सेवन से एक ओर जहां वजन बढ़ता है वहीं ऐसी चीजें मीठे को लेकर क्रेविंग बढ़ाने का भी काम करती हैं जो खतरनाक हो सकता है.
10. अगर आप कोई दवा ले रहे हैं तो उसमें मौजूद सभी तत्वों की जानकारी ले लें. कई दवाइयां ऐसी होती हैं जिनके इस्तेमाल से भी वजन बढ़ता है. ऐसे में दवाइयों का रिव्यू करना जरूरी है.
11. अगर आपको लगता है कि केवल खाना-पीना ही वजन को प्रभावित करता है तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है. ज्यादा तनाव और कम नींद लेने से भी वजन बढ़ता है.
12. वजन कम करने की इच्छा रखने वालों को डेयरी प्रोडक्ट और नट्स के इस्तेमाल में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए.
13. हेल्दी डाइट हमारे स्वास्थ्य का आधार है. अगर इसमें पूरे विटामिन और मिनरल्स नहीं होंगे तो बार-बार कुछ खाने की क्रेविंग होगी. और जब आप कंट्रोल नहीं कर पाएंगे तो कुछ भी बेसमय खाने से वजन पड़ेगा. बेहतर होगा कि आप खाने में इनकी कमी न होने दें और डॉक्टर से पूछकर अच्छा मल्टीविटामिन लें. वैसे शोध भी साबित करते हैं कि ऐसे सप्लीमेंट वजन घटाने में मदद करते हैं.
14. खाने पर अगर पूरे दिन में कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो बीच-बीच में फास्ट रखें. अपनी क्षमता के मुताबिक आप चाहें तो दोपहर बाद के खाने से लेकर अगली सुबह के नाश्ते के बीच में कुछ न खाएं. या फिर ब्रेकफास्ट के बाद लंच न करें और जल्दी डिनर कर लें. इस फास्ट को ऐसे भी रख सकते हैं - या तो आज डिनर करके अगले पूरे दिन कुछ न खाएं और सीधा डिनर करें. या फिर हफ्ते में 5 दिन अपनी पसंद से खूब खाएं और दो दिन बिल्कुल छोड़ दें. बीच में आप कम चीनी या बिना चीनी के चाय या काफी ले सकते हैं.
15. वजन कम करना चाह रहे है तो इसके लिए बेहद जरूरी है कि आप स्मार्ट तरीके से व्यायाम करें. ऐसी एक्सरसाइज करें जिससे पूरे शरीर का वर्कआउट हो. चलना, साइकिल चलाना, दौड़ना, योगा करना आदि इसके बेहतरीन तरीके हैं.
16. जिनको डायबिटीज नहीं है, वे ही इस तरीके के बारे में सोचें. इस तरीके में शरीर को उस स्थ‍िति में ले जाया जाता है जहां से यह तेजी से फैट बर्न करें और इसके लिए जरूरी है कि इंसुलिन की मात्रा शरीर में कम हो. लगातार कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट से इस लेवल को अचीव किया जा सकता है और इस अवस्था को कीटोसिस कहते हैं.
17. कई बार ऐसा भी होता है कि किसी हॉर्मोन की अनियमितता के चलते भी वजन बढ़ जाता है. ऐसे में हॉर्मोन चेक करा लें ताकि किसी भी तरह की आंतरिक समस्या हो तो उसका पता चल जाए.
18. अगर आप वजन घटाने को लेकर पूरी तरह डेस्परेट हो चुके हैं तो आप डॉक्टर की सलाह से पिल्स ले सकते हैं. ऐसे डाइट सप्लीमेंट भी आते हैं जो वजन घटाने में कारगर होते हैं.

मोटापा कम करने की आयुर्वेदिक दवा/Aurvedic Medicine : – 

वैसे तो मोटापा/Motapa कम करने के घरेलु उपचार बहुत ही प्रभावी सिद्ध होते है लेकिन कभी -कभी मोटापे की समस्या थोड़ी अधिक जाती है तो ऐसे में घरेलु उपचार के अतिरिक्त आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग अधिक करना चाहिए |
बाज़ार में प्रचलित कुछ आयुर्वेदिक दवाएं जिनके परिणाम काफी अच्छे मिलते है और इनके प्रयोग से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव भी नहीं पड़ता,  इस प्रकार से है : –

दिव्य मेदोहर वटी/ Divya Medohar Vati :- 

दिव्य मेदोहर वटी, पतंजली के सबसे प्रचलित उत्पादों में से एक है | यह पूर्णतया जड़ी -बूटियों से निर्मित होने के साथ-साथ पूर्णतया सुरक्षित भी है | यह पेट की चर्बी कम करने के साथ -साथ पाचन संबंधी विकार को भी ठीक करती है | मेदोहर वटी में आमला, बहेड़ा और हरड के साथ साथ शुद्ध गुग्गल और बबूल गोंद घटक प्रचुर मात्रा में है जो शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने का कार्य करते है | मोटापे से परेशान व्यक्तियों के लिए यह एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है |

दिव्य पेय /Divya Peya :- 

दिव्य पेय, पतंजलि का यह उत्पाद ग्रीन टी से मिलता जुलता है | यह कार्य भी ग्रीन टी की तरह ही करता है किन्तु दिव्य पेय का परिणाम ग्रीन टी से काफी अच्छा है और नियमित प्रयोग के लिए सुरक्षित भी है |

मेदोहर गुग्गुलु/Medohar Guggulu :- 

बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन द्वारा निर्मित मेदोहर गुग्गुलु शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने की बहुत ही प्रभावी औषधि है | पूरी से तरह से जड़ी -बूटियों द्वारा निर्मित मेदोहर गुग्गुलु शरीर से मोटापा कम करने के अतिरिक्त पाचन तंत्र पर भी कार्य करती है | मेदोहर गुग्गुलु शरीर से मेद- धातु को हरती है इसलिए इसका नाम मेदोहर है | मेद धातु शरीर में धारण और पोषण कर कार्य करती है | शरीर में मेद धातु की अधिकता व इसका विकृत रूप ही वसा के रूप में मोटापे को जन्म देता है |
Note : इस प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग आप किसी अच्छे वैद्य से सलाह लेकर ही करें |

मोटापा कम करने में ध्यान देने योग्य बातें :- 

  • खाना समय पर ही और थोड़े -थोड़े अन्तराल पर खाए | एक बार में अधिक खाना न खाए |
  • खाने में तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें और पानी खूब पीये |
  • अपने खाने का एक साप्ताहिक Diet चार्ट तैयार करें और उसी के अनुसार खाने की आदत में बदलाव करें |
  • मीठा शरीर को तुरंत उर्जा देता है | अतिरिक्त उर्जा भी चर्बी का रूप ले सकती है | इसलिए मीठा खाने से बचे |
  • तले हुए और मसालेंदार फ़ास्ट फ़ूड खाना बंद करें |
  • आलू और चावल का सेवन कम करें |
  • तेल और घी का प्रयोग कम करें |
  • शराब ,तम्बाखू और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन बिल्कुल बंद कर दे |
  • जहाँ तक हो सके ताजा खाना खाए , फ्रीज़ में रखे व बासी भोजन के सेवन से बचे |
  • हरी सब्जी, फल व जूस का नियमित रूप से सेवन करें और मौसम के अनुसार आने वाले फलों को खूब खाएं |
  • खाने की ऐसी वस्तुओं का सेवन करें जिनमें फाइबर की मात्रा प्रचुर मात्रा में हों,
  • गाय के दूध का अधिक सेवन करें | यदि भैस का दूध लेते है तो इसमें से मलाई को निकाल कर फिर पीये |
  • सुबह के नाश्ते में अंकुरित अनाज का सेवन करें |
इन सब के अतिरिक्त शारीरिक श्रम करना मोटापा कम करने में सबसे अधिक प्रभावी है | नियमित रूप से खेल-कूद , व्यायाम , योग और सुबह -सुबह सैर करना मोटापा को नियंत्रित करने के साथ -साथ भविष्य में भी मोटापा होने की सभी संभावनाओ को कम करता है | नियमित रूप से खेल -कूद में हिस्सा लेने वाले और मेहनत करने वाले व्यक्ति मोटापा जैसी समस्याओं से कोंसो दूर रहते है |