Saturday 5 October 2019

जानिए उंगलियां चटकाने पर क्‍यों आती है आवाज़ | पढ़िए कितना खतरनाक हो सकता है अंगुलियां चटकाना

वैज्ञानिकों का ध्यान लोगों की सबसे अजीब आदतों में से एक पर है - उंगलिया चटकाने पर आवाज़ क्यों होती है?


अमरीका और फ्रांस के शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका कारण गणित के तीन समीकरणों की मदद से बताया जा सकता है. उनके मॉडल से ये साबित होता है कि ये आवाज़ हड्डियों के जोड़ में जो तरल पदार्थ होता है, उसमें बुलबुले फूटने की वजह से होती है.
हैरानी की बात ये है कि इस प्रक्रिया पर एक पूरी सदी तक बहस होती रही.
फ्रांस में विज्ञान के छात्र विनीत चंद्रन सुजा क्लास में अपनी उंगलिया चटका रहे थे जब उन्हें इसके बारे में पता लगाने का ख़्याल आया.
उन्होंने अपने अध्यापक डॉ अब्दुल बरकत के साथ गणितीय समीकरणों की एक सिरीज़ तैयार की जिसकी मदद से बताया जा सके कि उंगलियों और कलाई के जोड़ों को चटकाने पर आवाज़ क्यों और कैसे आती है.

फूटते हैं बुलबुले

उन्होंने बीबीसी को बताया, "पहले समीकरण से पता चला कि जब हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं, हमारी हड्डियों के जोड़ों में अलग-अलग दबाव होता है."
"दूसरे समीकरण से पता चलता है कि अलग दबाव से बुलबुलों का साइज़ भी अलग होता है."
"तीसरा समीकरण में हमने अलग-अलग साइज़ वाले बुलबुलों को, आवाज़ करने वाले बुलबुलों के साइज़ के साथ जोड़ा."
चंद्रन सुजा ने बताया कि इन सभी समीकरणों से एक पूरा गणित मॉडल बन गया जो उंगली चटकने की आवाज़ के बारे में बताता है. चंद्रन इस वक्त कैलिफोर्निया के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में पोस्टग्रेजुएशन कर रहे हैं.
जब हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं तो हम अपने जोड़ों को खींच रहे होते हैं. और जब हम ऐसा करते हैं तो दबाव कम होता है. बुलबुले तरल के रूप में होते है जिसे साइनोवियल फ्लूड कहा जाता है. उंगलियां चटकाने की प्रक्रिया में जोड़ों का दबाव बदलता है और उससे बुलबुले भी तेज़ी से घटते-बढ़ते हैं और इसी से आवाज़ पैदा होती है.

विपरीत सिद्धांत

इस मॉडल से दो विपरीत थ्योरी यानी सिद्धांतों में एक संबंध बनता नज़र आता है. बुलबुले के फूटने से आवाज़ पैदा होती है, ये बात पहले 1971 में सामने आई थी.
लेकिन 40 साल बाद इसे नए प्रयोगों के बाद चुनौती दी गई जिसमें बताया गया कि बुलबुले उंगलियां चटकाने के काफी देर बाद भी फ्लयूड में बने रहते हैं.
इस नए मॉडल के बाद ये मुद्दा हल होता दिख रहा है क्योंकि इसके मुताबिक कुछ बुलबुलों के फूटने से ही आवाज़ पैदा होती है. इसलिए, उंगलियां चटकने के बाद भी छोटे बुलबुले तरल में बने रहते हैं.
इस स्टडी को सांइटिफिक रिपोर्ट्स जरनल में प्रकाशित किया गया है जिससे पता चलता है कि बुलबुले फूटने से जो दबाव पैदा होता है उससे वेव पैदा होती है जिसे गणित के समीकरणों से समझा जा सकता है और मापा जा सकता है.
इससे ये भी पता चलता है कि कुछ लोग अपनी उंगलियां क्यों नहीं चटका पाते हैं. अगर आपकी उंगलियों के टखनों की हड्डियों में ज्यादा जगह है तो दबाव उतना नहीं हो पाता कि आवाज़ पैदा करे.

अगर आप हाथ-पैर की अंगुलियां चटकाने के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाइए। ये आदत आपको गठिया का शिकार बना सकती है। कनाडा के दो वैज्ञानिक ग्रैग ब्राउन व मिशेल मॉफिट ने अपनी किताब एसेपसाइंस में यह खुलासा किया है। किताब के अनुसार, हमारी हड्डियां लिगामेंट से एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं।
     
जब हम अंगुलियां चटकाते हैं, तो उस समय हम वास्तव में इन जोडमें को खींच रहे होते हैं। जोडमें के बार-बार खिंचाव से हड्डियों के बीच मौजूद द्रव कम हो सकता है और जोड़ पर मौजूद ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं, जिससे गठिया हो सकती है। घुटने, कोहनी और अंगुलियों के जोड़ों में एक विशेष प्रकार का द्रव पाया जाता है,  जोड़ों पर दबाव के कम होने से इस विशेष प्रकार द्रव मंम मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड नए बने खाली स्थान को भरने का काम करती है। जब जोड़ों को अधिक खींचते हैं तो दबाव कम होने से यह बुलबुले फूट जाते हैं और हड्डी चटकने की आवाज आती है।

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