Sunday 23 August 2020

पेट-कमर कैसे कम करें?HOW TO REDUCE BELLY ,WAIST

 

गलत ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान, रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो पेट बाहर निकल आता है, कमर मोटी हो जाती है । इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है। जबड़ों के नीचे गरदन मोटी होना और तोंद बढऩा मोटापे के मोटे लक्षण हैं।

     मोटापे से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है, वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं, लिहाजा मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता। बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं।
  हर समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता है। प्राय: प्रसूति के बाद की असावधानी और गलत आहार-विहार करने से स्त्रियों का पेट बढ़ जाया करता है।
 भोजन के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो जाता है।
आहार भूख से थोडा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से तनकर पेट बड़ा होने लगता है।
दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए।
भोजन में शाक-सब्जी, कच्चा सलाद और कच्ची हरी शाक-सब्जी की मात्रा अधिक और चपाती, चावल व आलू की मात्रा कम रखना चाहिए।
सप्ताह में एक दिन उपवास या एक बार भोजन करने के नियम का पालन करना चाहिए। उपवास के दिन सिर्फ फल और दूध का ही सेवन करना चाहिए।
पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को ‘बफारे की भाप’ से सेंक करना चाहिए। इस हेतु एक तपेली पानी में एक मु_ी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।
सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या प्रात: 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय करने की सुविधा हो सो करें

हर्निया ,आंत उतरने के उपचार HOME REMEDIES FOR HERNIA

 

आम तौर पर हर्निया होने का कारण पेट की दीवार का कमजोर होना है |पेट और जांघों के बीच वाले हिस्से मे जहां पेट की दीवार कमजोर पड़ जाती है वहाँ आंत का एक गुच्छा उसमे छेद बना कर बाहर निकल आता है | उस स्थान पर दर्द होने लगता है | इसी को आंत्र उतरना,आंत्रवृद्धि या हर्निया कहते हैं|
एबडॉमिनल वॉल के कमजोर भाग के अंदर का कोई भाग जब बाहर की ओर निकल आता है तो इसे हर्निया कहते हैं। हर्निया में जांघ के विशेष हिस्से की मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आते हैं। हर्निया की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में इसे कॉनजेनाइटल हर्निया कहते हैं। हर्निया एक वक्त के बाद किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है जिसकी वजह से वे डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है हर्निया बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है।
जब किसी व्यक्ति की आंत अपने जगह से उतर जाती है तो उस व्यक्ति के अण्डकोष की सन्धि में गांठे जैसी सूजन पैदा हो जाती है जिसे यदि दबाकर देखा जाए तो उसमें से कों-कों शब्द की आवाज सुनाई देती हैं। आंत उतरने का रोग अण्डकोष के एक तरफ पेड़ू और जांघ के जोड़ में अथवा दोनों तरफ हो सकता है। जब कभी यह रोग व्यक्ति के अण्डकोषों के दोनों तरफ होता है तो उस रोग को हार्निया रोग के नाम से जाना जाता है। वैसे इस रोग की पहचान अण्डकोष का फूल जाना, पेड़ू में भारीपन महसूस होना, पेड़ू का स्थान फूल जाना आदि। जब कभी किसी व्यक्ति की आंत उतर जाती है तो रोगी व्यक्ति को पेड़ू के आस-पास दर्द होता है, बेचैनी सी होती है तथा कभी-कभी दर्द बहुत तेज होता है और इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। कभी-कभी तो रोगी को दर्द भी नहीं होता है तथा वह धीरे से अपनी आंत को दुबारा चढ़ा लेता है। आंत उतरने की बीमारी कभी-कभी धीरे-धीरे बढ़ती है तथा कभी अचानक रोगी को परेशान कर देती है।
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार देखा जाए तो आंत निम्नलिखित कारणों से उतर जाती है-
1. कठिन व्यायाम करने के कारण आंत उतरने का रोग हो जाता है।
2. पेट में कब्ज होने पर मल का दबाव पड़ने के कारण आंत उतरने का रोग हो जाता है।
3. भोजन सम्बन्धी गड़बड़ियों तथा शराब पीने के कारण भी आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
4. मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण भी आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
5. खांसी, छींक, जोर की हंसी, कूदने-फांदने तथा मलत्याग के समय जोर लगाने के कारण आंत अपनी जगह से उतर जाती है।6. पेट में वायु का प्रकोप अधिक होने से आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
7. अधिक पैदल चलने से भी आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
8. भारी बोझ उठाने के कारण भी आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
9. शरीर को अपने हिसाब से अधिक टेढ़ा-मेढ़ा करने के कारण आंत अपनी जगह से उतर जाती है।
जिस हर्निया में आंत उलझ कर गाँठ लग गयी हो और मरीज को काफी तकलीफ हो रही हो, ऐसे बिगड़े केस में तत्काल ऑपरेशन जरुरी है. बाकी सभी मामलों में हार्निया बिना आपरेशन के ही ठीक हो सकता है.
हर्निया की प्रारम्भिक स्थिति मे  पेट की दीवार मे कुछ उभार सा  प्रतीत होता है| इस आगे बढ़ी हुई आंत को पीछे भी धकेला जा सकता है लेकिन ज्यादा ज़ोर लगाना उचित नहीं है|
*अगर  आगे बढ़ी आंत को आराम से पीछे  धकेलकर  अपने स्थान पर पहुंचा दिया जाए तो  उसे उसी स्थिति मे रखने के लिए कस कर बांध  देना चाहिए| यह तरीका असफल हो जाये तो फिर आपरेशन की सलाह  देना उचित है|
*पेट की तोंद ज्यादा निकली हुई हो तो उसे भी घटाने के उपचार जरूरी होते हैं|
*अरंडी का तेल दूध मे मिलाकर  पीने से हर्निया ठीक हो  जाता है |इसे एक माह तक करें|
*काफी पीने से भी बढ़ी हुई आंत के रोग मे फायदा होता है|
हर्निया या आंत उतरने का मूल कारण पुराना कब्ज है। कब्ज के कारण बडी आंत मल भार से अपने स्थान से खिसककर नीचे लटकने लगती है। मल से भरी नीचे लटकी आंत गांठ की तरह लगती है। इसी को हार्निया या आंत उतरना कहते हैं।
*कुन कुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करके फिर पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार और साथ ही 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करने से फूली हुई आंत वापस ऊपर अपने स्थान पर चली जाती है। भविष्य में कभी भी आपको हार्निया और पाइल्स होने की सम्भावना नही होगी।
हर्निया के होम्योपैथिक उपचार –
*सुबह उठते ही सबसे पहले आप सल्फर 200  7 बजे,  दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
*केल्केरिया कार्ब 200 की पांच बूँद आधा कप पानी से पांच दिन तक लें.
*जब भी अचानक जलन, दर्द, सूजन होना, घबराहट, ठंडा पसीना और मृत्यु भय हो, तो एकोनाइट 30 की पांच बूँद आधा कप पानी से हर घंटे में लें.
*जब दाहिने भाग में हार्निया हो, तो लाइकोपोडियम 30 की पांच बूँद आधा कप पानी से दिन में तीन बार लें.
आंत उतरने से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार जब किसी व्यक्ति की आंत उतर जाती है तो रोगी व्यक्ति को तुरन्त ही शीर्षासन कराना चाहिए या उसे पेट के बल लिटाना चाहिए। इसके बाद उसके नितम्बों को थोड़ा ऊंचा उठाकर उस भाग को उंगुलियों से सहलाना और दबाना चाहिए। जहां पर रोगी को दर्द हो रहा हो उस भाग पर दबाव हल्का तथा सावधानी से देना चाहिए। इस प्रकार की क्रिया करने से रोगी व्यक्ति की आंत अपने स्थान पर आ जाती है। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने के बाद रोगी को स्पाइनल बाथ देना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति की पेट की मांसपेशियों की शक्ति बढ़ जाती है तथा अण्डकोष संकुचित हो जाते हैं।2. रोगी की आंत को सही स्थिति में लाने के लिए उसके शुक्र-ग्रंथियों पर बर्फ के टुकड़े रखने चाहिए जिसके फलस्वरूप उतरी हुई आंत अपने स्थान पर आ जाती है।3. यदि किसी समय आंत को अपने स्थान पर लाने की क्रिया से आंत अपने स्थान पर नहीं आती है तो रोगी को उसी समय उपवास रखना चाहिए। यदि रोगी के पेट में कब्ज हो रही हो तो एनिमा क्रिया के द्वारा थोड़ा पानी उसकी बड़ी आंत में चढ़ाकर, उसमें स्थित मल को बाहर निकालना चाहिए इसके फलस्वरूप आंत अपने मूल स्थान पर वापस चली जाती है।
4. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग का उपचार करने के लिए हार्निया की पट्टी का प्रयोग करना चाहिए। इस पट्टी को सुबह के समय से लेकर रात को सोने के समय तक रोगी के पेट पर लगानी चाहिए। यह पट्टी तलपेट के ऊपर के भाग को नीचे की ओर दबाव डालकर रोके रखती है जिसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने से उसकी मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं और रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है। ठीक रूप से लाभ के लिए रूग्णस्थल (रोग वाले भाग) पर प्रतिदिन सुबह और शाम को चित्त लेटकर नियमपूर्वक मालिश करनी चाहिए। मालिश का समय 5 मिनट से आरम्भ करके धीरे-धीरे बढ़ाकर 10 मिनट तक ले जाना चाहिए। रोगी के शरीर पर मालिश के बाद उस स्थान पर तथा पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी का प्रयोग लगभग आधे घण्टे तक करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।

5. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी व्यक्ति के पेट पर मालिश और मिट्टी लगाने तथा रोगग्रस्त भाग पर भाप देने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

6. इस रोग का इलाज करने के लिए पोस्ता के डोण्डों को पुरवे में पानी के साथ पकाएं तथा जब पानी उबलने लगे तो उसी से रोगी के पेट पर भाप देनी चाहिए और जब पानी थोड़ा ठंडा हो जाए तो उससे पेट को धोना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।

निम्नलिखित व्यायामों के द्वारा आंत उतरने के रोग को ठीक किया जा सकता है-

1. यदि आंत उतर गई हो तो उसका उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी के पैरों को किसी से पकड़वा लें या फिर पट्टी से चौकी के साथ बांध दें और हाथ कमर पर रखें। फिर इसके बाद रोगी के सिर और कन्धों को चौकी से 6 इंच ऊपर उठाकर शरीर को पहले बायीं ओर और फिर पहले वाली ही स्थिति में लाएं और शरीर को उठाकर दाहिनी ओर मोड़े। फिर हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और शरीर को उठाने का प्रयत्न करें। यह कसरत कुछ कठोर है इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि अधिक जोर न पड़े। सबसे पहले इतनी ही कोशिश करें जिससे पेशियों पर तनाव आए, फिर धीरे-धीरे बढ़ाकर इसे पूरा करें। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।

2. प्राकृतिक चिकित्सा से इस रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को सीधे लिटाकर उसके घुटनों को मोड़ते हुए पेट से सटाएं और तब तक पूरी लम्बाई में उन्हें फैलाएं जब तक उसकी गति पूरी न हो जाए और चौकी से सट न जाए। इस प्रकार से रोगी का इलाज करने से रोगी का रोग ठीक हो जाता है।

3. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी व्यक्ति का इलाज करने के लिए रोगी के दोनों हाथों को फैलाकर चौकी के किनारों को पकड़ाएं और उसके पैरों को जहां तक फैला सकें उतना फैलाएं। इसके बाद रोगी के सिर को ऊपर की ओर फैलाएं। इससे रोगी का यह रोग ठीक हो जाता है।

4. रोगी व्यक्ति का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति को हाथों से चौकी को पकड़वाना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी अपने पैरों को ऊपर उठाते हुए सिर के ऊपर लाएं और चौकी की ओर वापस ले जाते हुए पैरों को लम्बे रूप में ऊपर की ओर ले जाएं। इसके बाद अपने पैरों को पहले बायीं ओर और फिर दाहिनी ओर जहां तक नीचे ले जा सकें ले जाएं। इस क्रिया को करने में ध्यान इस बात पर अधिक देना चाहिए कि जिस पार्श्व से पैर मुड़ेंगे उस भाग पर अधिक जोर न पड़े। यदि रोगी की आन्त्रवृद्धि दाहिनी तरफ है तो उस ओर के पैरों को मोड़ने की क्रिया बायीं ओर से अधिक बार होनी चाहिए। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने से रोगी की आंत अपनी जगह पर आ जाती है।
5. कई प्रकार के आसनों को करने से भी आंत अपनी जगह पर वापस आ जाती है जो इस प्रकार हैं- अर्द्धसर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, शीर्षासन और शलभासन आदि।
6. आंत को अपनी जगह पर वापस लाने के लिए सबसे पहले रोगी को पहले दिन उपवास रखना चाहिए। इसके बाद रोग को ठीक करने के लिए केवल फल, सब्जियां, मट्ठा तथा कभी-कभी दूध पर ही रहना चाहिए। यदि रोगी को कब्ज हो तो सबसे पहले उसे कब्ज का इलाज कराना चाहिए। फिर सप्ताह में 1 दिन नियमपूर्वक उपवास रखकर एनिमा लेना चाहिए। इसके बाद सुबह के समय में कम से कम 1 बार ठंडे जल का एनिमा लेना चाहिए और रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में पहले गर्म जल से स्नान करना चाहिए तथा इसके बाद फिर ठंडे जल से। फिर सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर वाष्पस्नान भी लेना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को तख्त पर सोना चाहिए तथा सोते समय सिर के नीचे तकिया रखना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को अपनी कमर पर गीली पट्टी बांधनी चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. इस रोग से पीड़ित रोगी को गहरी नीली बोतल के सूर्यतप्त जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना लगभग 6 बार लेने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

Dysentery Problem : पेचिश या आंव से हैं परेशान, तो ठीक करेंगे ये प्राकृतिक उपाय

 

एक बार शरीर में पहुंच जाने के बाद शिजैला डिसेन्ट्री वहां हाइड्रोक्लोरिक एसिड के प्रभाव से बचा रहता है, छोटी आंत को पार कर अंत में बड़ी आंत में पहुंचकर बस जाता है। कोलन (बड़ी आंत) के नाजुक, उपसंरिक स्तर से चिपके रहकर यह बैक्टीरिया विभाजन और पुनः विभाजन द्वारा अपनी वंशवृद्धि कर देता है और शीघ्र ही इसकी संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है।

शिजैला डिसेन्ट्री बड़ी आंत में अनेक विषैले रसायन उत्पन्न करता है। इन विषैले रसायनों में से एक बहुत अधिक सूजन उत्पन्न करता है और अन्ततः आंत की पूरी लंबाई में असंख्य घाव उत्पन्न कर देता है। अांत की दीवार की रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनमें से रक्त निकलने लगता है। शिजैला डिसेन्ट्री द्वारा अन्य विषैला पदार्थ सामान्य आंत कोशिकाओं से चिपक जाता है और उन्हें बहुत अधिक मात्रा में पानी और नमक निष्कर्षित करने के लिए मजबूर कर देता है। इन सब क्रियाओं के फलस्वरूप बैसिलरी पेचिश के विशिष्ट लक्षण, पेट में भयंकर जकड़ने वाली पीड़ा तथा खूनी पतले दस्त होने लगते हैं। शरीर से तरल पदार्थ, नमक और रक्त बाहर निकल जाते हैं। परिणामस्वरूप रोगी का रक्तचाप अत्यधिक कम हो सकता है उसे आघात पहुंचता है और उसके गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि इस पेचिश से पीड़ित होने पर बड़ी आंत के आवरण फट जाएं और उसके सब पदार्थ उदर-गुहा में आ जाएं। यह स्थिति बहुत खतरनाक होती है।
बचाव
इस महामारी से बचने के लिए निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए –
मल का उचित विसर्जन : बीमारी से पीड़ित लोगों के मल को गांव से दूर विसर्जित करना चाहिए। मल को किसी गड्ढे में दबा देना चाहिए। बच्चों को इन स्थानों के नजदीक नहीं आने देना चाहिए। बच्चे इस बीमारी का शिकार बहुत जल्दी हो जाते हैं। शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साबुन से साफ करें। खाना खाने से पहले भी उन्हें साबुन से धो लें। पके हुए भोजन को जितना जल्दी हो सके, उपयोग कर लेना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मक्खियां इसके नजदीक न जाएं। जितना संभव हो, खुले बर्तनों, घड़ों, नांद आदि में पीने का पानी नहीं रखना चाहिए। फल तथा सब्जियों को खाने तथा पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें। बेहतर होगा कि बीमारियों के फैलने की स्थिति में बाजार में बने खाद्यों का इस्तेमाल कम-से-कम करें। बीमारी के फैलने की अवस्था में उबले हुए पानी का उपयोग अत्यन्त आवश्यक है। गर्मी और बरसात में पेचिश लगभग हर वर्ष फैलती है।
पेचिस का इलाज
होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में ‘सिमिलिमस’ के आधार पर अनेक औषधियां इस घातक बीमारी से रोगियों को रोगमुक्त कराने में कारगर हैं।
मरक्यूरियस कोर :
पेचिशनुमा पाखाना, शौच करते समय पेट में दर्द, शौच के बाद भी बेचैनी एवं पेट में दर्द बने रहना, पाखाना गर्म, खूनी, श्लेष्मायुक्त, बदबूदार, चिकना, पेशाब में एल्मिवुन (सफेदी)। साथ ही गले में भी दर्द एवं सूजन रहती है, खट्टे पदार्थ खाने पर परेशानी बढ़ जाती है, तो उक्त दवा 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
कोलोसिंथ : मुंह का स्वाद बहुत कड़वा, जीभ खुरदरी, अत्यधिक भूख, पेट में भयंकर दर्द जिसकी वजह से मरीज दोहरा हो जाता है एवं पेट पर दबाव डालता है, अांतों में दवा उपयोगी रहती है। 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
एस्क्लेरियॉस ट्यूर्बोसा :
पेट में भारीपन, खाने के बाद गैस बनना, केटेरहल (श्लेष्मायुक्त) पेचिश, साथ ही मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, पाखाने में से सड़े अंडे जैसी बदबू आती है। इन लक्षणों के आधार पर दवा का मूल अर्क 5-5 बूंद सुबह-दोपहर-शाम लेना फायदेमंद रहता है।
एलो :
पेय पदार्थों की इच्छा, खाने के बाद गैस बनना, मलाशय में दर्द, गुदा से खून आना, बवासीर रहना, ठंडे पानी से धोने पर आराम मिलना, पाखाने एवं गैस के खारिज होने में अंतर न कर पाना, पाखाने के साथ अत्यधिक श्लेष्मायुक्त (म्यूकस), गुदा में जलन रहना, खाना खाने-पीने पर फौरन पाखाने की हाजत होना आदि लक्षणों के आधार पर 30 शक्ति में दवा की कुछ खुराक लेनी चाहिए। इसके अलावा अनेक दवाएं लक्षणों की समानता पर दी जा सकती हैं।
कॉल्विकम :
गैस की वजस से पेट फूल जाना, पेट में आवाजें होना, मुंह सूखा हुआ, जीभ, दांत, मसूड़ों में भी दर्द, खाने की महक से ही उल्टी हो जाना, पेट में ठंडक महसूस होना, पाखाना कम मात्रा में, पारदर्शी, जेलीनुमा श्लेष्मायुक्त पाखाने में सफेद-सफेद कण अत्यधिक मात्रा में छितरे हुए, कांच निकलना, सोचने पर परेशानी बढ़ना आदि लक्षणों के आधार पर 30 शक्ति में दवा लेना उपयोगी रहता है।
टाम्बिडियम :
खाना खाने एवं पानी पीने पर परेशानी बढ़ जाना, टट्टी से पहले एवं बाद में अधिक दर्द, पेट के हाचपोकॉट्रियम भाग में दर्द, सुबह उठते ही पतले पाखाने होना, भूरे रंग की खूनी पेचिश दर्द के साथ, गुदा में जलन आदि लक्षण मिलने पर 6 से 30 शक्ति तक दवा लेना हितकर है।
पेचिश आंवयुक्त नई या पुरानी का रामबाण घरेलु इलाज.
पेचिश को आमतिसार और रक्तातिसार के नाम से भी जाना जाता है. इसके रोगी को भूख कम लगती है और दुर्बलता प्रतीत होती है. पेचिश रोग में शुरू शुरू में बार बार थोड़ी थोड़ी मात्रा में दस्त, पेट में ऐंठन की पीड़ा, मल के साथ सफ़ेद चिकना पदार्थ (Mucus) निकलता है, परन्तु धीरे धीरे दस्तों की संख्या बढती जाती है और रक्त भी साथ में आने लग जाता है. दस्त के समय पेट में असहनीय दर्द होता है. पेचिश का मुख्य कारण इलियम के निचले हिस्से व् बड़ी आंत में प्रदाह होता है. पेचिश दो प्रकार की होती है.
दण्डाणुका पेचिश.
अमीबिक पेचिश.
1. दण्डाणुका पेचिश – दण्डाणुका पेचिश में रोगी को बार बार दस्त जाने की इच्छा होती है. दस्त में रक्त का अंश अधिक होता है. कभी कभी ऐसा लगता है मानो केवल रक्त ही रह गया है. दिन में 20 – 30 दस्त तक हो जाते हैं. और कभी कभी ज्वर भी हो जाता है. यह शीघ्र ठीक हो जाती है. इसके लिए होम्योपैथिक की मर्क कोर 30 एक ड्राम गोलियां लेकर दस दस गोली, पांच बार चूसने से शीघ्र ही रोगी ठीक हो जाता है.
2. अमीबिक पेचिश – अमीबिक पेचिश Entamoeba Histolytia नामक कीटाणु से होती है. गंदे खान पान से यह कीटाणु आंतड़ियों में चला जाता है और वहां प्रदाह पैदा करता है. इसमें दस्त लगते हैं. 24 घंटे में 2 – 4 से लेकर 8 – 10 दस्त आ जाते हैं, दस्त मात्रा में बड़ा, ढीला सा, और तुरंत मल त्याग की इच्छा वाला होता है. दस्त में आंव और रक्त दोनों मिश्रित रहते हैं. रक्त मिश्रित दस्त पतला और ढीला हो जाता है. कुछ में रक्तातिसार (Melaena) का ही लक्षण विशेष होता है और कुछ में कब्ज. दस्तों के अलावा भोजन से अरुचि, आफरा, पेट दर्द या बेचैनी सी रहती है. श्रम करने से थकान, चक्कर आते हैं. इस रोग के कारण श्वांस रोग, पामा (Eczema), यकृत में शोथ (Fatty liver), घाव भी हो सकता है. यह जितना पुरानी होती जाती है उतना इसको दवाओं से ठीक करना कठिन रहता है, लेकिन भोजन और घरेलु चिकित्सा से इसको आसानी से ठीक किया जा सकता है.
आवश्यक सामग्री.
सौंफ – 300 ग्राम.
मिश्री – 300 ग्राम.
पेचिश की घरेलु दवा बनाने की विधि.
सबसे पहले सौंफ के दो बराबर हिस्से कर ले। एक हिस्सा तवे पर भून ले। भुनी हुई सौंफ और बची हुई सोंफ दोनों को लेकर बारीक़ पीस ले और मिश्री (मिश्री को पहले पीस लीजिये) को मिला लें। इस चूर्ण को छ; ग्राम (दो चम्मच) की मात्रा से दिन में चार बार खाएं। ऊपर से दो घुट पानी पी सकते है। आंवयुक्त पेचिश ( मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल तथा आंव आना ) के लिए रामबाण है। सोंफ खाने से बस्ती-शूल या पीड़ा सहित आंव आना मिटता है।
पेचिश का सहायक उपचार
दही- भात(चावल) मिश्री के साथ खाने से आंव-मरोड़ो के दस्तो में आराम आता है।
1. दाना मेथी
मैथी (शुष्क दाना) का साग बनाकर रोजाना खाएं अथवा मैथी दाना का चूर्ण तीन ग्राम दही मिलाकर सेवन करे। आंव की बीमारी में लाभ के अतिरिक्त इससे मूत्र का अधिक आना भी बंद होता है। मैथी के बीजो को डा.पि. बलम ने काड लिवर ऑयल के समान लाभकारी बताया है।

2. चंदरोई (चोलाई) का साग
चंदलिया (चोलाई) का साग (बिना मिर्च या तेल में पका हुआ) लगभग १५० ग्राम प्रतिदिन ११ दिन तक खाने से पुराने से पुराना आंव का रोग जड़ से दूर होता है। गूदे की पथरी में भी चोलाई का साग लाभकारी है। यह साग राजस्थान और मध्य प्रदेश में खूब होता है।
3. छोटी हरड़ तथा पीपर का चूर्ण-
हरड़ छोटी दो बाग़ और पीपर छोटी एक भाग दोनों का बारीक़ चूर्ण कर ले। एक से डेढ़ ग्राम चूर्ण गर्म पानी से दोनों समय भोजन के बाद आवश्यकता अनुसार तीन दिन एक सप्ताह तक नियमित ले। इससे आंव और शुलसहित दस्त शांत होते है। यह अमीबिक पेचिश में विशेष लाभप्रद है।

सबसे असरदार याददाश्त बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा | homeopathic medicine for memory & concentration

 याददाश्त का कमजोर होना-


एनाकार्डियम 200, 1M- किसी बात का स्मरण न रहना, विद्यार्थी को पढ़ी हुई बातें याद न रहना या उसे भूल जाना याददाश्त की कमजोरी की सूचक है । रोगी को प्रत्येक बातें बीती घटनायें सी लगती हैं । भूली-भूली बातें याद-सी रहती हैं । अचानक भूलने की प्रवृत्ति होती है और उसे कुछ भी याद नहीं रहता है । रोगी को यह भी ख्याल होता है कि उसकी दो इच्छायें है जिसमें से एक इच्छा उसे कार्य करने के लिये उकसाती है तो दूसरी इच्छा उसे कार्य करने से रोकती है । रोगी सबको सन्देह की निगाहों से देखता है और उसे किसी पर विश्वास नहीं रहता । इतना ही नहीं, उसे स्वयं अपने आप पर भी विश्वास नहीं रहता । चलते जाता है, एकदम घबरा-सा जाता है। इसका रोगी परिहास की बातों में अत्यन्त गम्भीर हो जाता है और गम्भीर विषय में परिहास करने लगता है ।

पढ़ाई-लिखाई में मन न लगना-
आइरिस वसिंकॉलर 200, 1M- ऐसे विद्यार्थी या व्यक्ति जिनका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता हो उन्हें इस दवा की एक-दो मात्रा देते ही उनका मन पढ़ाई-लिखाई में लगने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को लक्षणानुसार हैमामेलिस भी दे सकते हैं ।

भूलने की प्रवृत्ति, विद्यार्थियों की स्मरण-शक्ति की दवा-
इथूजा 200 – ऐसे विद्यार्थी जिन्हें घर पर तो सब कुछ याद रहता है परन्तु परीक्षा-केन्द्र पर जाते ही वे सब भूल जाते हैं । ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा केन्द्र में जाने से पूर्व इसकी एक मात्रा ले लेनी चाहिये । यह परीक्षा के दिनों की थकावट और ध्यान केन्द्रित न कर सकने की स्थिति को एक उत्तम औषधि है ।

गलत शब्दों का उच्चारण करना व लिखना-
लाइकोपोडियम 200, 1M – ऐसे विद्यार्थी जो गलत शब्द का उच्चारण करते हों और लिखते हों उन्हें इस दवा की एक मात्रा देकर परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिये ।

हकलाना या भूलना-
कैनाबिस इंडिका 200- ऐसे रोगी या बच्चे जो बोलते-बोलते यह भूल जाते हैं वे क्या बोल रहे थे, उन्हें इस दवा की एक मात्रा दे देनी चाहिये, बहुत लाभ होगा । इसी प्रकार, कुछ बच्चे हकलाने लगते हैं । वे इसलिये हकलाते हैं कि वे जो बोलना चाहते हैं वह उनके दिमाग में जल्दी से नहीं आ पाता और इसी वजह से उन्हें दिमाग पर अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है और वे बोलते-बोलते अटक जाते हैं । ऐसी स्थिति में भी इस दवा की एक मात्रा देकर देखना चाहिये । कुछ बच्चों में यह दवा काम कर जाती है परन्तु कुछ बच्चों में नहीं करती, ऐसे बच्चों को स्ट्रामोनियम 200 देनी चाहिये तथा बीच-बीच में काली फॉस 12x देते रहनी चाहिये ।

मानसिक श्रम से थकान-
आर्जेण्टम नाइट्रिकम 200- ऐसे व्यक्ति या विद्यार्थी जो दिमाग से अधिक कार्य लेते हैं जैसे- क्लर्क, व्यापारी, अध्यापक, विद्यार्थी आदि- उनमें मानसिक उत्तेजना व तनाव बढ़ जाने की वजह से उनको मानसिक थकान होने लगती है । ऐसे व्यक्तियों को इस दवा की एक-दो मात्रा दे देने से उनकी यह परेशानी दूर हो जाती है और वे मानसिक शान्ति महसूस करते हैं ।

दिमाग से कार्य करने वालों के सिर में दर्द-
पिक्रिक एसिड 30, 200 – अध्यापक, विद्यार्थियों या अन्य व्यक्तियों को, जिन्हें दिमाग को एकाग्र करके ज्यादातर काम करना पड़ता है, उन्हें अकसर सिर-दर्द हो जाता है । ऐसे व्यक्तियों को यह दवा देनी चाहिये ।

अत्यधिक अध्ययन-प्रियता-
कैरिका पेपेया 200- ऐसे व्यक्ति जो बिना थके बहुत देर तक अध्ययन-कायों में लगे रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों
का मन अध्ययन में लगा रहने से घर के कई काम-काजों में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न हो जाता है । ऐसे व्यक्तियों को यदि इस दवा की एक-दो मात्रा दी जायें तो उनकी यह प्रवृत्ति बदली जा सकती है। कुछ चिकित्सक इसकी 3x या 12x शक्ति के पक्षपाती हैं ।

लिखते-लिखते अक्षरों को छोड़ देना-
बेंजोइकम ऐसिड 30, 200- ऐसे विद्यार्थी जो लिखते-लिखते कुछ अक्षरों को छोड़ जाते हैं और शब्द पूरा नहीं लिख पाते, उन्हें इस दवा की कुछ मात्रायें देने से उनकी यह आदत ठीक हो जाती है ।

परीक्षा का भय-
आर्जेण्टम नाइट्रिकम 30- ऐसे छात्र या छात्रायें जिन्हें, जैसे-जैसे परीक्षा पास आने लगती हैं, डर-सा सताने लगता है, उन्हें इस दवा की कुछ मात्रायें दे देनी चाहिये । इससे उनका यह डर जाता रहेगा ।
बच्चों या बड़ों का वस्तुओं को गलत नामों से पुकारना-डायस्कोरिया विल्लोसा 30, 200- ऐसे बच्चे या बूढ़े व्यक्ति जो वस्तुओं को गलत नाम से पुकारते हैं उन्हें यह दवा देने से वे सही नाम से पुकारने लगते हैं ।

गलत लिखना-
कल्केरिया कार्ब 200, 1M- कई व्यक्ति गलत लिखते हैं (उदाहरणार्थ- वे राम की जगह श्याम लिखते हैं) और लिखते समय उन्हें अपनी गलती का अहसास तक भी नहीं होता है। ऐसे रोगी को इस दवा का रोगी समझना चाहिये । –

विद्यार्थियों को परीक्षा के दिनों में अधिक नीद आना-
स्क्रॉफुलेरिया नोडोसा Q- ऐसे विद्यार्थियों को, जिन्हें परीक्षा के समय अधिक नींद आती हो और जागने की आवश्यकता हो तो उन्हें नींद भगाने हेतु दिन में दो-तीन बार इस दवा की 10-10 बूंद देनी चाहिये । इस दवा को 30 शक्ति में भी दिया जा सकता है । लेकिन इस दवा के अधिक प्रयोग से नोंद जैसी प्राकृतिक क्रिया में व्यर्थ ही व्यवधान पड़ता है अतः इस दवा का अधिक प्रयोग या बिना सोचे-विचारे प्रयोग नहीं करना चाहिये ।

दिमाग की जड़ता के लिये-
मैग्नीशिया फॉस 3x, 30-डॉ० क्लार्क का कथन है कि ऐसे विद्यार्थी या व्यक्ति जिनकी विचारने या सोचने-समझने की शक्ति कमजोर हो, जड़ता आ जाये तो ऐसे व्यक्तियों को यह दवा ले लेनी चाहिये, इससे उनकी जड़ता दूर हो जायेगी ।

कोरोना लोगो के हर्ट पर कर सकता है हमला, आयुर्वेद से स्वस्थ्य रखें अपना हर्ट

कोरोना वायरस के कहर से बड़े बड़े देश घुटनो पर आ गए है यह दो सौ से अधिक देशों में अपना पांव पसार चुका है. संक्रमित मरीज में सामान्य फ्लू की लक्षण की तरह दिखने वाला कोरोना वायरस धीरे-धीरे शरीर के लिए काफी घातक साबित होने लगता है. मरीज को इससे सर्दी-जुकाम के साथ-साथ गले में खराश और सांस लेने में दिक्कतें आने लगती हैं. जानकारों की मानें तो यह वायरस हमारे फेफड़ों को खासा प्रभावित करता है. एक नए अध्ययन से यह भी मालूम चला है कि यह वायरस मरीज के दिल को काफी अधिक प्रभावित कर रहा है.

एक शोध में पता चला हैं कि ये वायरस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि हमारे दिल को भी बहुत बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. ऐसे में जो पहले से दिल के मरीज है उनके लिए यह वायरस काफी घातक साबित सकता है. एक अध्ययन से पता चला है कि डायबिटीज के मरीज भी इस वायरस से काफी प्रभावित हो रहे है. ऐसे में कई मामलों में पाया गया है कि यह वायरस शरीर के कमजोर पार्ट को और नुकसान पहुंचाता है. भारत में फिलहाल हर पांच व्यति के मामलों में एक व्यति के दिल को यह वायरस बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.

30 प्रतिशत मरीजों में पाया गया है कि यह वायरस हर्ट के फंक्शनिंग को प्रभावित कर देता है जिससे हृदय की गति कम हो जाती है. हर्ट की गति इसकी पंपिंग पर ही निर्भर करती है. ऐसे केस में अक्सर देखा जा रहा है कि ऐसी स्थिति में मरीज की अचानक मौत हो जा रही है.

इन हालातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के दिल की सही देखभाल सबसे पहले जरूरी है वरना हर्ट अटैक की संभावना बढ़ सकती है.

कैसे अपना दिल करें मजबूत

तले-भूने चीजों को नही खाएं यह बॉडी में वेस्ट कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाता है जो मोटापा का कारण बन सकता है

मोटापा बढ़ने से उच्च रक्तचाप होने का खतरा बढ़ जाता है जो शरर में कई बीमारियों को बढ़ा सकता है

कोशिश करें की अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा फाइबर वाले आहार शामिल करें. जैसे दाल, अनाज, कई तरह की सब्जियां, दलिया सूखे मेवे समेत कई तरह के फल को शामिल कर सकते है

भोजन को हमेशा ताजा ही खाने की कोशिश करें और उपर से नमक बिल्कुल न लें. यह रक्तचाप को बढ़ा देता है.

तेल तेलीय पदार्थ और दूध से बने वस्तुओं का उपयोग बिल्कुल ही कम कर दें क्योंकि ये सभी आपके कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है. जिंदा मछली, अंडा (पिला भाग हटाकर) और मुर्गा का सेवन सही अर्थात कम मात्रा में करने से हर्ट स्वस्थ्य रहता है.

आयुर्वेद एवम योग से रखे दिल को सेहतमंद

सूर्योदय से पहले उठें
आयुर्वेद में ऐसा माना गया है कि सूर्योदय से पहले उठने वाले एवम आधे घण्टे योग या व्ययाम करनेवाले को हृदय रोग नहीं होता. वहीं, प्रतिदिन सुबह में सन बाथ करने से शरीर के अंदर मौजूद कोलेस्ट्रॉल विटामिन डी में बदल जाता है. सूर्य की सुबह की किरणें कई मामले में हमारे शरीर के लिए लाभकारी है. इससे हमारी हड्डियां भी मजबूत होती हैं.

नियमित करे हल्दी का सेवन

आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ्य दिल के लिए हल्दी का सेवन बेहद जरूरी है. प्रतिदिन 500 मिलीग्राम हल्दी खाने से हमारे शरीर में खून का थक्का नहीं बनता है याद रखे हल्दी में बिशेष गन है एवम ये प्राकृतिक एंटीबायोटिक है । जिससे हर्ट समेत शरीर के बहुत से अंगों को काफी लाभ मिलता है. अर्जुनारिष्ट का दोपहर एवम शाम को खाने ले बाद पिये या अर्जुन पेड़ की छाल का काढ़ा भी हर्ट के लिए बहुत ही लाभदायक है ।

हर्रे का नियमित करे प्रयोग

हर्रे/हरितकी/हरड़ को आयुर्वेद में पत्थ्य कहा जाता है. इसे पालन के समान बताया गया है जो हमारे शरीर की तमाम गड़बड़ियों को ठीक करती है. इसके नियमित सेवन से शरीर के अंदर की गंदगी साफ होती रहती है जो हमें कई तरह की बीमारियों से दूर रखने में मददगार साबित होता है.

दम फूलने पर आयुर्वेद की दवा करती है तुरंत काम

नियमित हल्दी वाली गाय की दूध के साथ लक्ष्मी विलास रस सर्दी के लिए संसमनी वटी बुखार कर लिए गले के खरास के लिए हल्दी नमक मिलाकर गार्गल करने से नाको के दोनों हस्यो में सरसो / नारियल / षडबिन्दु तेल की दो बूंद डालने पर , प्रतिदिन एक अश्वगंधा की गोली का सेवन प्रतिदिन प्राकृतिक विटामिन सी वाली फलो का सेवन करने से एवम प्रतिदिन एक चम्मच च्वनप्राश, आंवला का चूर्ण या एक ग्लास नींबू पानी का सेवन करने से शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर के अच्छे वायरस खुद लड़कर क्रोना को नष्ट कर देगा ।

अगर आपको दम फूलने की शिकायत हो तो आप श्वास कुठार रस की दो गोली ले सकते है ये बहुत ही जल्द असर करती है । दालचीनी का प्रयोग हमेशा करे ये आपके ह्रदय के लिए बहुत ही लाभकारी है ।

गाय का दूध ही लाभकारी

दूध से बनी बस्तुओं को छोड़ दे लेकिन ध्यान दे आयुर्वेद में केवल गाय के दूध को ही हल्का, सुपाच्य, हृदय को बल देने वाला और बुद्धिवर्धक माना गया है. बड़े बच्चे एवम बड़े युवक एवम बुजुर्गों के लिये गाय के दूध और दूध मुहे बच्चों के लिए मां के दूध में सर्वोत्तम है । गाय के दूध एवम माँ के दूध में काफी समानताएं हैं.

Monday 13 April 2020

क्या है कोरोना से बचने का देसी इलाज? सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा उपचार का ये तरीका

सार
कोरोना से बचने का देसी उपचार क्या है। इसका तरीका सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

कोरोना वायरस का दहशत इस कदर फैल गया है कि इसके बचाव के लिए सोशल मीडिया पर उपचार वायरल हो रहे हैं। होम्योपैथिक दवाओं के नाम लोगों को बताए जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन दवाओं की लोग खरीद भी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें कोरोना से बचाव को होम्योपैथिक दवाओं के सेवन की तरकीब बताई जा रही है। एक साइट द्वारा कोरोना से बचने के लिए देसी इलाज लोगों को बता रहा है। वीडियो में कहा जा रहा है कि लौंग-इलायची और कपूर को एक साथ मिलाकर अपने साथ रखा जाए तो कोरोना वायरस असर नहीं करेगा।


अंडे और मीट पर कोरोना की मार
सोशल मीडिया पर प्रचार किया जा रहा है कि अंडा और मीट के सेवन से कोरोना फैलने का ज्यादा खतरा रहता है, जिससे ग्राहक इन चीजों से दूरी बना रहे हैं। कोर्ट रोड स्थित अंडा विक्रेता सलीम का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज वायरल होने के कारण लोग अंडे कम खरीद रहे हैं। दिल्ली रोड स्थित होटल संचालक मुज्जमिल का कुछ ऐसा ही कहना है।

शराब सेवन के मैसेज भी वायरल
कोरोना से निपटने के लिए शराब के सेवन के मैसेज भी वायरल हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शराब सेहत के लिए हानिकारक होती है। कोरोना वायरस शराब के सेवन से दूर नहीं किया जा सकता है।

नोट- इन खबरों के बारे आपकी क्या राय हैं। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।

https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/meerut/home-remedies-of-coronavirus-is-going-viral-on-social-media-at-baghpat-city


Sunday 22 March 2020

कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं? | कोरोना वायरस से बचने के घरेलू उपाय


नई दिल्ली: चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस (Coronavirus disease - COVID-19) अब तक 170 से ज्यादा देशों में पहुंच गया है. इसके संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 13,068 हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे महामारी घोषित कर दिया है.

दुनिया भर की सरकारें कोरोना वायरस को लेकर लोगों को जागरूक करने पर ध्यान दे रही हैं. जानकारों का कहना है इसके संक्रमण को फैलने से रोककर ही इसे काबू में किया जा सकता है. इसके लक्षणों को पहचानकर ही कोरोना वायरस की बेहतर तरीके से रोकथाम की जा सकती है.

भारत में संक्रमण के 341 मामलेभारत में अभी कोरोना से संक्रमण के मामलों की संख्या 341 है. राज्यों से अभी ताजा आंकड़े नहीं मिले हैं. पहले के आंकड़ों के मुताबिक संक्रमित मामलों में 283भारतीय और 41 विदेशी नागरिक हैं. कोरोना ने अब तक 170 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. केरल में 33 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. हालांकि, इनमें से 3 लोगों का इलाज हो चुका है.

सार्क देशों के प्रमुखों से पीएम मोदी ने की चर्चाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम 5 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर सार्क देशों के प्रमुखों से चर्चा की. इस चर्चा में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोली, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबया राजपक्ष, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शामिल हुए.

पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री इस चर्चा में शामिल हुए. सभी प्रमुखों ने मिलकर कोरोना का मुकाबले करने पर सहमति जताई. इटली में 27,980 लोग जानलेवा वायरस कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
  1. कोरोना से दुनिया भर में अब तक 13,068 लोगों की मौत हो चुकी हैं.
  2. ईरान में अब तक कोरोना से 1556 और दक्षिण कोरिया में 104 लोगों की मौत हो चुकी है
  3. सिर्फ इटली में ही अब तक कोरोना से 4825 लोगों की मौत हो गयी है.
  4. चीन में अब तक कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 81,054 हो गयी है.
  5. चीन में अब तक कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 3261 हो गयी है.
  6. दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 3,08,257 के पार चली गयी है.

कोरोना को काबू में करना बड़ी चुनौतीस्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसे फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है. हालांकि, चीन इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. वहां नए मामलों की संख्या घटी है. यह 170 देशों में फैल चुका है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इसे महामारी घोषित किया है. WHO की तरफ से एक एडवाइडरी भी जारी की गई है, जिसमें बीमारी के लक्षण पहचानने और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी गई है.
कोरोना वायरस तेजी से दुनिया भर में पैर पसार रहा है, जिससे स्थिति भयावह होती जा रही है. इस संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय करे रहे हैं. हालांकि, इन तमाम तरह के उपायों और भ्रांतियों पर विश्व स्वास्थ्य्य संगठन (WHO) ने विस्तार से जानकारी दी है.
1. ठंड और बर्फ कोरोना को मार सकती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस पर यकीन करने का कोई कारण नहीं है कि ठंड का मौसम नए कोरोना वायरस या अन्य बीमारियों को मार सकता है. कोरोना से खुद को बचाने के लिए सबसे बेहतर तरीका अल्कोहल युक्त सैनीटाइजर या साबुन और पानी से हाथ को साफ करते रहना है.
2. गर्म पानी से नहाने से होगी रोकथाम?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यह भी खुलासा किया है कि गर्म पानी से नहाने से नए कोरोना वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती है. कोरोना से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका अपने हाथों की सफाई करना है. ऐसा करने से आप अपने हाथों पर लगने वाले संक्रमण को खत्म कर सकते हैं.
3. मच्छर के काटने से कोरोना फैलता है?
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस मच्छर काटने से हो सकता है. यह श्वसन संबंधी वायरस है, जो मुख्यरूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से फैसला है. इस संक्रमण से बचने के लिए हमेशा हाथ धोएं और खांसी व छींकने वाले किसी भी शख्स के साथ निकट संपर्क से बचें. इसके अलावा लार के जरिए भी यह वायरस फैलता है.
4. हैंड ड्रायर्स से कोरोना मर जाता है?
WHO के मुताबिक, नहीं नए कोरोना वायरस को मारने में हैंड ड्रायर्स कारगर नहीं है. इससे बचाव के लिए हमेशा अपने हाथों को अल्कोहल युक्त हैंडवॉश से साफ करें या साबुन पानी से हाथ धोते रहें, इससे बचने का सबसे कारगर तरीका यही है. हाथ धोने के बाद टिश्यू पेपर या हैंड ड्रायर्स से हाथ साफ कर सकते हैं.
5. पराबैंगनी कीटाणुनाशक लैंप मार सकता है कोरोना?
हाथ या शरीर के किसी भी हिस्से को कीटाणु रहित रखने के लिए पराबैंगनी कीटाणुनाशक लैंप का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है.
6. संक्रमित की पहचान में थर्मल स्कैनर कितना प्रभावी?
थर्मल स्कैनर तभी कोरोना से संक्रमित लोगों की पहचान कर सकता है, जब व्यक्ति को इस संक्रमण के कारण बुखार या उसके शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा हो. हालांकि, थर्मल स्कैनर कोरोना से संक्रमित उन लोगों की पहचान नहीं कर सकता, जिन्हें बुखार ना हो.
7. शरीर पर अल्कोहल या क्लोरीन का छिड़काव
पूरे शरीर पर अल्कोहल या क्लोरीन का छिड़काव करने से पहले से मौजूद वायरस को नहीं मारा जा सकता है, जो आपके शरीर में पहले ही प्रवेश कर चुके हैं.
8. निमोनिया से बचाने वाली वैक्सीन प्रभावी?
निमोनिया से बचाने के लिए इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव नहीं करती. ये वायरस बिल्कुल नया और अलग तरीके का है. इससे निपटने के लिए शोधकर्ता वैक्सीन विकसित करने में जुटे हैं.
9. लहसुन खाना कोरोना को रोकने में मददगार?
लहसुन एक स्वस्थ भोजन है जिसमें कुछ रोगाणुरोधी गुण हो सकते हैं. हालांकि, फिलहाल ऐसी कोई शोध नहीं कि लहसुन खाने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.
10. बुजुर्ग या बच्चों पर करता है हमला?

कोरोना वायरस से किसी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं. पहले से अस्थमा, डायबिटीज, दिल की बीमारी आदि से जूझ रहे लोगों को इस वायरस से ज्यादा खतरा है.
नई दिल्ली: चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस (Coronavirus disease - COVID-19) अब तक 170 से ज्यादा देशों में पहुंच गया है. इसके संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 13,068 हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे महामारी घोषित कर दिया है.

दुनिया भर की सरकारें कोरोना वायरस को लेकर लोगों को जागरूक करने पर ध्यान दे रही हैं. जानकारों का कहना है इसके संक्रमण को फैलने से रोककर ही इसे काबू में किया जा सकता है. इसके लक्षणों को पहचानकर ही कोरोना वायरस की बेहतर तरीके से रोकथाम की जा सकती है.

भारत में संक्रमण के 341 मामलेभारत में अभी कोरोना से संक्रमण के मामलों की संख्या 341 है. राज्यों से अभी ताजा आंकड़े नहीं मिले हैं. पहले के आंकड़ों के मुताबिक संक्रमित मामलों में 283भारतीय और 41 विदेशी नागरिक हैं. कोरोना ने अब तक 170 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. केरल में 33 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. हालांकि, इनमें से 3 लोगों का इलाज हो चुका है.

सार्क देशों के प्रमुखों से पीएम मोदी ने की चर्चाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम 5 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर सार्क देशों के प्रमुखों से चर्चा की. इस चर्चा में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोली, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबया राजपक्ष, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शामिल हुए.

पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री इस चर्चा में शामिल हुए. सभी प्रमुखों ने मिलकर कोरोना का मुकाबले करने पर सहमति जताई. इटली में 27,980 लोग जानलेवा वायरस कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
  1. कोरोना से दुनिया भर में अब तक 13,068 लोगों की मौत हो चुकी हैं.
  2. ईरान में अब तक कोरोना से 1556 और दक्षिण कोरिया में 104 लोगों की मौत हो चुकी है
  3. सिर्फ इटली में ही अब तक कोरोना से 4825 लोगों की मौत हो गयी है.
  4. चीन में अब तक कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 81,054 हो गयी है.
  5. चीन में अब तक कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 3261 हो गयी है.
  6. दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 3,08,257 के पार चली गयी है.

कोरोना को काबू में करना बड़ी चुनौतीस्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसे फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है. हालांकि, चीन इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. वहां नए मामलों की संख्या घटी है. यह 170 देशों में फैल चुका है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इसे महामारी घोषित किया है. WHO की तरफ से एक एडवाइडरी भी जारी की गई है, जिसमें बीमारी के लक्षण पहचानने और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी गई है.

Wednesday 1 January 2020

वी वॉश क्या होता है, क्यों इसका इस्तेमाल जरूरी होता है – what is v wash and how to use in hindi

V Wash In Hindi जानिए वी वॉश क्या होता है इसका इस्तेमाल कसे किया जाता है इसका इस्तेमाल क्यों जरूरी होता है (what is v wash and how to use in hindi) महिलाओं के जननांग को वजाइना भी कहा जाता है। वजाइना लचीली मसल्स से बना हुआ अंग होता है जो कि शरीर में लुब्रिकेशन और सेंसेशन पैदा करता है। वजाइन गर्भाश्य को बाहरी शरीर से जोड़ता है। वजाइना का स्वस्थ और स्वच्छ (Healthy and Clean Vagina) होना उतना ही जरुरी होता है जितना की शरीर के बाकि अंगों का स्वच्छ होना जरुरी होता है। आंतरिक जननांग का pH लेवल सही होना बहुत जरुरी होता है।

जननांगों का pH लेवल सही होने पर वे लेक्टिक एसिड पैदा करते हैं जिससे आपको जननांगों में खुजली, अचानक से डिस्चार्ज, सफेद डिस्चार्ज (White discharge), बदबू आने, जननांगों में दर्द होने जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। वजाइना का pH सही होना भी बहुत जरुरी होता है क्योंकि ऐसा होने पर वजाइना की त्वचा भी प्राकृतिक रुप से लैक्टिक एसिड (Lactic acid) पैदा करती है जिससे वजाइना स्वस्थ रहती है।

वजाइना में संक्रमण के कारण खतरा सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि उनके सेक्सुअल पार्टनर को भी हो सकता है। बहुत सी महिलाओं को वजाइना की स्वच्छता का महत्व नहीं पता होता है। वजाइना को साफ करने के लिए साबुन का इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है इसलिए इसे साफ करने के लिए वी वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या होता है वी वॉश और क्यों इसका इस्तेमाल करना जरुरी होता है। आइए जानते हैं वी वॉश से जुड़ी कुछ बातों के बारे में।

वी वॉश क्या होता है – what is v wash in Hindi
V wash वजाइना को साफ करने के लिए एक हाइजीन वॉश प्रोडक्ट (v wash Hygiene Wash Product) होता है। इसे बनाने में लेक्टिक एसिड, टी-ट्री ऑयल आदि प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। यह वजाइना के pH लेवल को बैलेंस रखता है साथ ही वजाइना को खुजली, जलन, रुखेपन से बचाता है और आपको पूरा दिन तरोताजा महसूस करवाने में मदद करता है।

क्यों करे वी वॉश का इस्तेमाल – why to use v wash in Hindi
आमतौर पर महिलाएं पानी और साबुन से ही वजाइना को धो लेती है लेकिन साधारण साबुन का pH लेवल 8 से अधिक होता है। इसका मतलब होता है कि साबुन में एल्केलाइन होता है और साधारण पानी का pH लेवल भी 7 होता है। इतना अधिक pH वजाइना के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इससे गुड बैक्टिरिया खत्म हो जाते हैं जो कि वजाइना की सुरक्षा के लिए जरुरी होता है। इसलिए V वॉश का इस्तेमाल करें। वजाइनल हाइजीन के लिए वी वॉश प्लस (V Wash Plus in Hindi) का इस्तेमाल अधिक लोकप्रिय है इसमें 3.5 से लेकर 4.5 pH होता है इसलिए यह वजाइना को साफ करने के लिए जरुरी होता है।

वी वॉश का इस्तेमाल कैसे करें – How to use v wash in Hindi
v wash का इस्तेमाल करने के लिए थोड़ा सा वी वॉश लेकर वजाइना पर लगाएं और फिर साधारण पानी से धो लें। ध्यान रहे कि वजाइना के अंदर v वॉश ना जाए ताकि संक्रमण ना हो। वी वॉश का इस्तेमाल करने के कोई हानिकारक दुष्प्रभाव नहीं होते हैं लेकिन वजाइना धोते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि आप सुरक्षित रहें। v wash लिक्विड के साथ v वॉश वाइप्स (v wash wipes in hindi) भी आतें हैं जिनका इस्तेमाल आप धोने के बाद वजाइना को पोंछने के लिए भी कर सकते हैं।

वी वॉश की कीमत – v wash price in Hindi
आमतौर पर बाजार में मिलने वाले वी वॉश अलग-अलग प्राइज में मिलते हैं इनमें



V Wash Plus Expert Hygiene Intimate Wipes – 84/-
V Wash Liquid Wash, 100 ml Bottle – 100 ML -152 /-

घर पर कैसे बनाएं वी वॉश – How to make V wash at home in Hindi
इसके अलावा आप घर पर ही वी वॉश बना सकते हैं (v wash at Home) जो कि प्राकृतिक तत्वों से बने होते हैं ।

इसके लिए एक कप पानी में कैमोमाइल तेल (Chamomile oil) कि एक बूंद मिलाकर वजाइना को साफ कर सकती हैं।
एक कप पानी में 6 बूंदे टी-ट्री ऑयल (T-Tree Oil) की मिलाकर वजाइना को धोने से वजाइना साफ हो जाती है।
योगर्ट (दही) में प्रोबायोटिक गुण होते हैं यह वजाइनल हाइजीन को बनाए रखता है। दही को वजाइना पर लगाएं और एक घंटे बाद धो लें जिससे वजाइना में बदबू भी नहीं आती है।