Tuesday 1 October 2019

ऐलो साकोट्रिना | Aloe Socotrina | ऐलो साकोट्रिना (Aloe Socotrina) का गुण, लक्षण

ऐलो साकोट्रिना (ALOE SOCOTRINA) ऐलो साकोट्रिना मेडिसिन पेचिश, बवासीर, शारीरिक तथा मानसिक थकान, कब्ज आदि रोगों में लाभकारी होता है। अधिक मात्रा में दवाई लेने से होने वाले साइडिफैक्ट को दूर करने के लिए भी ऐलो साकोट्रि का उपयोग किया जाता है। Aloe Socotrina homeopathy, Aloe Socotrina homeopathy, Aloe Socotrina for diarrhea, साकोट्रिना मेडिसिन


अधिक औषधि प्रयोग के बाद जब औषधि और रोग के लक्षण मिश्रित हो गये हों ऐसी अवस्था में शारीरिक क्रिया को फिर से संतुलित करने के लिए अति उत्तम औषधि है । रक्त संचित होने के सर्वाधिक लक्षण इसी दवा में पाये जाते हैं और चिकित्सा की दृष्टि से निदान सम्बन्धी प्रथम और गौण लक्षण भी अन्य किसी दवा में इतने नहीं पाये जाते । निठल्ला जीवन बिताने के कुपरिणाम । कफ प्रकृति वालों और वहमी तबीयत वालों के लिए खासकर हितकर है । सरलांत्र के लक्षण ही इसके व्यवहार का निर्देश देते हैं । हारे-थके व्यक्ति, वृद्ध, कफ प्रकृति वाले, बियर के पुराने पियक्कड़, अपने ऊपर झुंझलाने और कमर दर्द के दौरे बारी-बारी से हों । अन्दर-बाहर गर्मी लगे । फेफड़ों के क्षेत्र में इसके शुद्ध रस से आराम पहुँचा है ।
सिर — सिर दर्द और कटिवात बारी-बारी से हों जबकि आँत और गर्भाशय के रोग भी मौजूद हों । मानसिक परिश्रम से उदासीनता । आँखों के भारीपन के साथ जो आधी बन्द हों, माथे के ऊपर दर्द । मलत्याग के बाद सिर दर्द । धीमा दाब दर्द, जो गरमी से बढ़ें ।
आँखें — माथे के दर्द में सिकोड़े रहे । आँखों के सामने टिमटिमाहट । सब चीज पीली दिखायी देने के साथ आँखें लाल हों । घेरे की गहराई में दर्द ।
चेहरा — होंठ अधिक लाल प्रतीत हों ।
कान — चबाते समय कड़कड़ाहट, एकाएक धड़ाका और धक्का बायें कान में किसी पतले धातु के फटे गोले की टनटनाहट का शब्द सिर में ।
नाक — सिर ठण्डा । सुबह जागने पर खून गिरे । खुरण्ड से भरी हो ।
मुँह — स्वाद कड़वा, खट्टा । स्वादहीन डकार, होंठ सूखे, चिटके ।
गला — चिमड़े श्लेश्मा के मोटे ढोके । गलकोष की नसें फैली हुई । सूखा खुरखुर संवेदन ।
आमाशय — माँस से घृणा । रसदार चीजों की इच्छा । खाने के बाद वादी । गुदा में धुकधुकी और कामोत्तेजना । सिर दर्द के साथ मिचली । गलत कदम पड़ने पर गट्ठे में दर्द ।
उदर — नाभि की चारों तरफ दर्द जो दाब से बढ़े । जिगर प्रदेश में भारापन, दाहिनी तरफ की पसली के नीचे दर्द । उदर भरा, भारी, गरम और फूला हुआ मालूम पड़े । नाभि की चारों तरफ टपक के साथ दर्द, कमजोरी जैसे अभी पतला पाखाना होगा । अधिक वायु संचयता, नीचे की तरफ दबाव जिससे सबसे नीचे वाली आँतों में कष्ट हो । भगसन्धि और नितम्बास्थि के बीच गुल्ली एक जैसा संवेदन, साथ में मलत्याग की इच्छा । मलत्याग के पहले और बाद में शूल । अधिक जलनदार वायु खुले ।


मलान्त्र — मलाशय में लगातार नीचे की तरफ धंसने जैसा संवेदन हो, खून बहना, छरछराहट, मलाशय ठंडे पानी से कम हो । मलद्वार संकोचक पेशियों में शक्तिहीनता और दुर्बलता का संवेदन । मलाशय में अविश्वास की भावना, विशेषतः वायु खुलने के समय अनिश्चितता । वायु के साथ मल न निकल पड़े । मलत्याग बिना परिश्रम, बेमालूम, ढोकेदार और पनीला । लपसी जैसा मल और साथ में मल त्याग के बाद मलाशय में छरछराहट । मलत्याग के बाद मूत्राशय के दर्द के साथ अधिक मात्रा में श्लेष्मा निकले । खूनी बवासीर, मस्से अंगूर के गुच्छे की तरह बाहर निकले हों, बहुत कोमल और पीड़ाजनक, ठण्डे पानी से कष्ट कम हो । मलद्वार और मलाशय में जलन कब्ज और साथ में आमाशय के निचले भाग में भारी दाब । बियर पीने से दस्त हों ।
मूत्र — वृद्धावस्था में मूत्र न रुके, धंसन संवेदन और प्रोस्टेट ग्रन्थियाँ बढ़ी हुई हों । थोड़ी और रंगदार । ।

स्त्री — मलाशय में नीचे को दाब, जो खड़े होने और मासिक काल में बढ़े । गर्भाशय भारी मालूम पड़े जिनकी वजह से अधिक चल-फिर न सके । कमर में प्रसव जैसा दर्द टाँगों के नीचे तक उतरे । संधिकाल में रक्त बहना । मासिक धर्म समय से बहुत पतले और मात्रा में बहुत अधिक ।
श्वास यन्त्र — जाड़े की खाँसी-खाज के साथ । जिगर में सीने तक चिलकन के साथ कष्टदायक साँस ।
पीठ — पिठासे में दर्द, हिलने से बढ़े । त्रिकास्थि के आर-पार चिलक । कटिवात । सिर दर्द और बवासीर बारी-बारी से हों ।
अंग — सभी अंगों में लँगड़ापन । जोड़ में खींच के साथ दर्द । टहलने से तलवों में दर्द ।
घटना-बढ़ना — प्रातःकाल गरमी में, गरम सेंक से, सूखे गरम मौसम में, खाने पर खाने या पीने से । घटना — ठंडी, खुली हवा में ।
सम्बन्ध-पूरक — सल्फर ।
तुलना कीजिए — कैली बाइक्रो, लाइको., एलियम सैंट. ।
शामक — ओपियम, सल्फ ।
मात्रा — 6 शक्ति और उससे ऊँची । गुदा लक्षण में 3 शक्ति की कुछ मात्रा, फिर प्रतीक्षा कीजिए ।

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