Wednesday 16 February 2022

पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए | Things You Shouldn't Do on Your Periods in Hindi

 पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए भूलकर भी ना करे पीरियड्स के दौरान इस तरह की गलतियाँ पड़ सकती है भारी।



पीरियड्स प्रत्येक महिलाओं को हर महीने आते जो बहुत ही तकलीफ से भरे होते है। इस समय महिलाओं में चिड़चिड़ापन आ जाता है और कुछ को बहुत सी तकलीफे होती है जैसे: पेट दर्द, कमर दर्द तो कुछ महिलाओं को थकान का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान यदि महिलाएं अपना ख़ास ध्यान रखती है तो उन्हें बहुत सी समस्याओं से निजात मिल सकता है।


पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए - Things You Shouldn't Do on Your Periods in Hindi

पीरियड्स में आपको कुछ चीजें करने से बचना चाहिए ताकि उन दिनों को थोड़ा और सहने योग्य बनाया जा सके। दर्द और लक्षणों को कम करने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते है। यहां वो चीजें दी गई हैं जो आपको अपने पीरियड्स के दौरान नहीं करनी चाहिए।


१. पुरे दिन एक ही सैनिटरी पहनना

अगर आप सैनिटरी पैड या टैम्पोन का उपयोग कर रही है तो भी आपको पुरे दिन एक ही सैनिटरी पैड नहीं पहनना चाहिए। ४ से ६ घंटे से अधिक समय तक पहनने से इसमें बैक्टीरिया के लिए प्रजनन का स्थान बन जाएगा और दुर्गंध भी आने लगेगी। इससे बचने के लिए हर ३ से ४  घंटे में अपना टैम्पोन पैड बदलना चाहिए। ऐसा करने से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है और सफाई भी बनी रहती है। नहीं तो  त्वचा पर रैशेज और टीएसएस (टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम) भी हो सकता है और रक्तस्राव भी हो सकता है।


२. रात में बिना पैड के सोना

बहुत सी महिलाएं सोचती है की बिना पैड के सोने से आराम महसूस हो सकता है तो यह आपकी गलत अवधारणा है। अगर आप पैड से होने वाले चकते या अन्य समस्या के बारे में चिंतित है तो आप दूसरे ब्रांड पर भी विचार कर सकती है लेकिन बिना पैड के सोना गलत हो सकता है। प्रवाह को संभालने के लिए सैनिटरी पहनकर ही सोएं।


३. नमक की लालसा

मासिक धर्म में ज्यादा नमक की मात्रा का सेवन करने से ऐंठन बढ़ सकती है। भले ही आप चटपटा नमकीन खाने को तरस रहे हो लेकिन नमकीन स्नैक्स खाने से पीरियड्स के लक्षण और खराब हो सकते है। यह गंभीर सूजन पैदा कर सकता है और असुविधा को बढ़ा सकता है। नमकीन खाद्य पदार्थ से ब्लोटिंग/वाटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है।


४. वैक्सिंग या शेविंग

क्षेत्र संवेदनशील होता है तो पीरियड्स में हों तब वैक्स करने से बचें। मोम की पट्टियों का खिंचाव आपकी परेशानी को और बढ़ा सकता है। मासिक अवधि में त्वचा अतिरिक्त संवेदनशील होती है। पीरियड्स फ्लो भी रहता है तो यह गन्दी स्थिति साबित हो सकती है। अगर पीरियड्स के दौरान वैक्स करने पर कट लग जाता है तो संक्रमण का खतरा दोगुना रहता है।


५. धूम्रपान ना करे

धूम्रपान हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है और पीरियड्स के दौरान तो यह और भी खतरनाक हो जाता है। मासिक धर्म के दौरान धूम्रपान महिलाओं की अवधि को और भी खराब कर सकता है। इससे दर्द और भी ज्यादा तेज होने लगता है। एक अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में दर्दनाक अवधि होने की संभावना अधिक होती है।


६. असुरक्षित यौन संबंध

मासिक धर्म में सेक्स करना यूँ भी सामान्य नहीं है और बिना सुरक्षा के सेक्स करना तो और भी नुकसान कर सकता है। अगर आप फैमिली प्लान नहीं कर रहे है तो यह एक बुरा विचार है। संरक्षित सेक्स एसटीडी के खतरे को भी कम कर देता है। इसलिए मासिक धर्म में हमेशा सुरक्षित यौन संबंध का अभ्यास करें।


७. ज्यादा कॉफी पीना

नियमित रूप से कॉफ़ी का सेवन खराब नहीं है लेकिन पीरियड्स में इसे जोड़ना सबसे खराब चीजों में से एक हो सकता है। ज्यादा कॉफ़ी का सेवन दर्द को बढ़ा देती है। इससे ऐंठन और सूजन से असुविधा भी हो सकती है। कॉफ़ी रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है इससे स्तन कोमलता का अनुभव भी हो सकता है।


८. रात भर जागना

अच्छी नींद पुरे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। जो मासिक अवधि के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। सामान्य से कम घंटे सोना कोर्टिसोल को बढ़ा सकता है यह एक तनाव हार्मोन है। इससे हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं, जो आपके मासिक धर्म की गंभीरता को प्रभावित कर सकते हैं।


९. स्तन परीक्षा

मासिक धर्म में आपके हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होते है यह  स्तनों में असामान्यताओं का पता लगाना मुश्किल बना देते है। इसलिए, आपके पीरियड्स के समय ब्रेस्ट टेस्ट से बचना सबसे अच्छा है। जबकि मासिक स्तन परीक्षा एक बहुत अच्छा विचार है।


१०. कसरत ना करे

कसरत करने के बजाय आराम करना निश्चित रूप से बेहतर होता है, लेकिन अपनी नियमित कसरत करने से आपको बेहतर महसूस होता है। पीरियड के समय ऐसा करने से बचे। पीरियड्स ना हो तब आप रोज व्यायाम करें यह मासिक धर्म की ऐंठन में मदद करेगा।


पीरियड्स में क्या नहीं खाना चाहिए  

आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जो आपकी मासिक अवधि के लक्षणों को खराब करते हैं। आगे जाने पीरियड्स में क्या नहीं खाना चाहिए।


१. शराब ना पिएं

शराब से निर्जलीकरण हो सकता है जो सिरदर्द और सूजन का कारण बनती है। दस्त और मतली की परेशानी भी हो सकती है।

२. नमक का सेवन ना करे

ज्यादा नमक का सेवन करने से वाटर रिटेंशन होता है जो सूजन पैदा कर सकती है।


३. लाल मांस

प्रोस्टाग्लैंडीन का उच्च स्तर ऐंठन का कारण बनता है। रेड मीट प्रोस्टाग्लैंडीन अधिक होता है और मासिक धर्म के दौरान इससे बचना चाहिए।


४. चीनी

चीनी का बहुत अधिक सेवन करने से ऊर्जा बढ़ सकती है जिससे मूड खराब हो सकता है।


५. मसालेदार भोजन

मसालेदार भोजन पेट को खराब कर देता है जिससे दस्त, पेट दर्द और यहां तक ​​कि मतली भी हो जाती है। पीरियड्स के दौरान उनसे बचना चाहिए।

Thursday 30 December 2021

चर्म रोग से छुटकारा पाने के लिए करें इन घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल


चर्म रोग

लाइफस्टाइल डेस्क: त्वचा विकार लक्षण और गंभीरता दोनों में ही काफी पीड़ादायक होता है। चर्म रोग कुछ समय के लिए या लंबे समय के लिए हो सकता है।

त्वचा रोग होने के कुछ कारण परिस्थितियों (माहौल, कार्यदशा, खानपान) के अनुसार होते हैं, जबकि कुछ अनुवांशिक होते हैं। वहीं, कुछ त्वचा रोग साधारण होते हैं और कुछ आपकी जान को जोखिम में भी डाल सकते हैं।


चर्म रोग और उसकी गंभीरता को कम करने के लिए आज हम आपके लिए कुछ घरेलू उपाय लेकर आये हैं। इन उपायों के इस्तेमाल से आप चर्म रोग से बचाव कर पाएंगे। 

तो आइये आपको बताते हैं, चर्म रोग से बचने के घरेलू उपाय…

ग्रीन टी, लस्सी, जूस का करें सेवन

चर्म रोग से बचने के लिए और अपनी इम्यूनिटी स्ट्रांग बनाने के लिए आप ताजे फल, प्रोटीन, आयरन को अपने आहार में शामिल करें। पानी पर्याप्त मात्रा पीएं ओर लिक्विड डाइट भी लेते रहें। ग्रीन टी, लस्सी, जूस आदि भी लें। ताकि आपका शरीर हाइड्रेट रहे और आपको त्वचा संबंधी रोग नहीं हो।

आपकी त्वचा पर खुजली और रेशेज हो रहे हैं। तो आप उन पर दिन में तीन से चार बार कोल्ड क्रीम लगाएं। इससे फायदा होगा।

आपकी स्किन पर इंफेक्शन है, तो इसे दूर करने के लिए सरसों का तेल हल्दी मिलाकर लगाएं। आपकी त्वचा में रूखापन है। तो इसके लिए आप एलोवेरा जेल लगाएं इससे आपको राहत मिलेगी।

आपकी त्वचा पर खुजली और रेशेज हो रहे हैं। तो आप उन पर दिन में तीन से चार बार कोल्ड क्रीम लगाएं। इससे फायदा होगा।

आपकी स्किन पर इंफेक्शन है, तो इसे दूर करने के लिए सरसों का तेल हल्दी मिलाकर लगाएं। आपकी त्वचा में रूखापन है। तो इसके लिए आप एलोवेरा जेल लगाएं इससे आपको राहत मिलेगी।

किसी को चर्म रोग है, तो अन्य लोग उससे बचें

आपके घर में अगर किसी को चर्म रोग है, तो अन्य लोग उससे बचें। ताकि यह पूरे परिवार में नहीं फैले और कंट्रोल में रहे। इसी के साथ संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जा रहे बर्तन कपड़े आदि से भी दूरी बनाकर रखें। जब तक कि वह पूर्ण रुप से ठीक ना हो जाए।

जो समान आप व्यक्तिगत रूप से उपयोग करते हैं। उन्हें साफ सुथरा रखें। जैसे शेविंग किट, कंघी, टूथब्रश, अंडरवियर , टॉवेल आदि। यह सामान अन्य लोगों को उपयोग नहीं करने दें। क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है।

कारण

– शरीर में खून का अशुद्ध होना
– किसी एक्जिमा पीड़ित रोगी कपड़े पहनना
– लंबे समय तक कब्ज रहना
– अधिक कैमिकल युक्त रासायनों का इस्तेमाल
– मासिक धर्म में अनियमितता

घरेलू उपाय

1. नींबू
शरीर के जिस हिस्से पर दाद के निशान हों वहां नारियल तेल में नींबू मिलाकर लगाएं। इससे खुजली में आराम मिलेगा और जल्दी ही निशान भी ठीक होंगे।
2. जैतून का तेल
एक्जिमा होने पर कई बार पूरे शरीर पर ही खुजली की समस्या हो जाती है। ऐसे में गुनगुने पानी से नहाएं और शरीर को अच्छी तरह पौंछ कर खुजली वाली जगह पर जैतून का तेल लगा लें। इससे तुरंत आराम मिलेगा।
3. एलोवेरा जैल
खुजली वाली जगह पर एलोवेरा जैल लगाने से भी आराम मिलता है। दिन में 4-5 बार जैल को दाद पर लगाने से खुजली और निशान जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।
4. नारियल तेल
नारियल तेल लगाने से भी बहुत जल्दी दाद ठीक हो जाते हैं। दाद वाली जगह पर इसे लगाने से खुजली भी दूर होती है।
5. देसी घी
कई बार एक्जिमा वाली जगह पर बहुत तेज खुजली होने लगती है। ऐसे में उस हिस्से पर देसी घी लगाएं जिससे तुरंत आराम मिलेगा।

Monday 27 December 2021

Garam Pani Ke Fayde in hindi - गरम पानी के फायदे

Garam Pani Ke Fayde in hindi


पानी के महत्व से भला कौन अनजान है। बिना पानी के इस सरजमीं पर हम इंसानों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। हमारी हर एक्टिविटी खासकर वे जिनसे जीने का आधार हो वह पानी से ही शुरू और पानी से ही खत्म होती है। यूँ समझें कि पानी ऑक्सीजन की तरह हमारे लिए अहम है और अगर गर्मपानी हम अपनी रूटीन लाइफ में शामिल करें तो यह दवा की तरह हमपर असर करता वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के। दरसल गुनगुना पानी पूरी तरह औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जो स्वास्थ व सौन्दर्य दोनों के लिए लाभकारी है। इसीलिए अक्सर हमारे डॉक्टर व डाइटीशियन हमें सुबह उठने के बाद व रात को सोने से पहले गुनगुने पानी पीने की सलाह देते है। हमारे शरीर में 70 % पानी होता है, पानी की कमी से बहुत सी बीमारियाँ उभरने लगती है। इसलिए जरूरी है कि हमभरपूर मात्रा मे पानी पिएं, और अपने शरीर की पानी की कमी को पूरा करें। गर्म पानी से कई छोटी मोटी बीमारियम यूँ ही खत्म हो जाती हैं। इसलिए हम हर वक़्त पी सकें तो बहुत अच्छा वरना कम से कम सुबह खाली पेट,रात खाने के एक घण्टे बाद, ठंडी के दिनों में, व्यायाम योगा करने के बाद जरूर गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। जिससे आप नीचे बताए गए तमाम फायदों को खुदमें मेहसूस कर सकें।


ज्यादातर बीमारियां गंदा पानी पीने से होती हैं। ऐसे में गर्म पानी को ठंडा करके पीने से पेट की कोई बीमारी नहीं होती है।गर्म पानी कफ और सर्दी की परेशानी को दूर करता है। खासकर बुखार होने पर अगर प्यास लगे तो ठंडा पानी न पिएं, इसकी जगह गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है। 

खाली पेट सुबह 1 ग्लास गर्म पानी में नींबू डालकर पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को विटमिन सी भी मिलता है।

चलिए अब इसीके साथ जानते हैं गर्म पानी से होने वाले कुछ बेहद खास फायदे।


1. पाएंदमकती त्वचा

किसी भी तरह की त्वचा संबंधी समस्या हो या फिर चेहरे पर नैचरल ग्लो लाना हो, गर्म पानी इसका सही उपाय है। रोज सुबह-सुबह गर्म पानी पीना शुरू कर दें। थोड़े ही दिनों में आपकी स्किन ग्लो करने लगेगी और बाकी स्किन प्रॉब्लम्स भी दूर हो जाएंगी।


2. भूख बढ़ाए 

जिन लोगों को भूख न लगने की प्रॉब्लम हो, उन्हें एक ग्लास गर्म पानी में काली मिर्च, नमक और नींबू का रस डालकर पीना चाहिए। इससे भूख बढ़ जाती है।


3. मुंहासे 

मुंहासों की समस्या लड़कियों में ही नहीं बल्कि आजकल लड़कों में भी देखी जा सकती है। इससे बचने के लिए खाली पेट सुबह गर्म पानी पिएं। इससे पिंपल्स से भी छुटकारा मिल जाएगा।


4. ब्लड सर्कुलेशन

खून की गति यानी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में गर्म पानी बेहद फायदेमंद होता है। ब्लड सर्कुलेशन के ठीक रहने से इंसान हर तरह की बीमारियों से बचा रहता है। इसलिए आप गर्म पानी पिएं। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है।


5. रिंकल्स हटाएँ

उल्टा-सीधा खाना खाने से शरीर के अंदर विषैले पदार्थ जम जाते हैं, जो शरीर को अंदर से कमजोर कर देते हैं। इंसान जल्दी बूढ़ा लगने लगता है। इस समस्या को रोकने के लिए सुबह गर्म पानी पिएं। यह आपकी त्वचा की झुर्रियों को कम करता है, साथ ही पेट भी साफ रखता है।


6. वजन घटाएं

अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो गर्म पानी पीना शुरू कर दें। ये आपको बिना व्यायाम के भी फिट रखेगा। बस रोज सुबह उठकर खाली पेट गर्म पानी पिएं। गर्म पानी शरीर से अतिरिक्त चर्बी को घटा देता है और आपका शरीर को स्लिम होने में मदद है।


7. जोड़ों का दर्द करे दूर

गर्म पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है। हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है इसलिए गर्म पानी पीने से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है।


8. पीरियड्स प्रॉब्लम साल्व्ड

 पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अक्सर पेट दर्द की समस्या होती है। क्योंकि इस दौरान पैन मसल्स में खिंचाव होता है जो पेट दर्द का कारण बनता है। ऐसे में 1 गिलास गुनगुना पानी पीने पीरियड्स के समय होने वाले दर्द से राहत मिलती है।


9. नाक और गले की तकलीफ से राहत

अगर नाक और गले में दिक्कत हो तो सांस लेने व कुछ खाने में बड़ी परेशानी होती है। खराश और खांसी भी बड़ी समस्या होती है। इन सभी रोगों से बचने और आराम पाने के लिए गर्म पानी से गरारा करें और गर्म पानी पिएं।


10. बॉडी करे डिटॉक्से 

गर्म पानी पीने से बॉडी को डिटॉक्सप करने में मदद मिलती है और यह शरीर की सारी अशुद्धियां को बहुत आसानी से साफ कर देता है। गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ने लग जाता है, जिससे पसीना आता है और इसके माध्यम से शरीर की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं।


11. बालों को सुधारे

इसके अलावा गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह इनकी ग्रोथ के लिए भी काफी फायदेमंद है।


12. थकावट रखें दूर 

अगर आपको हमेशा थकावट होती है या कोई भी काम करने के बाद आप थक जाते है तो आपको डेली अपने सुबह की शुरुआतगर्म पानी के साथ करनी चाहिए, क्योकि इससे रक्त परिसंचरण बढ़ता है और स्टैमिना बढ़ता है।


13. कब्ज से छुटकारा

अगर आपको कब्ज की तकलीफ है और यह बीमारी बहुत पुरानी है तो भी आप प्रतिदिनसुबह खली पेट गर्म पानी पीना शुरू कर दें कुछ दिनों में आपको राहत महसूस होने लगेगा।

Thursday 23 December 2021

Kaunch Beej Ke Fayde | कौंच बीज के फायदे व नुकसान | कौंच बीज पाउडर

केवांच का परिचय (Introduction of Kaunch) 

केवांच (kaunch tree) एक लता है। केवांच को किवांच या कौंच भी बोलते हैं। लोग केवांच को बहुत ही साधारण-सी लता  समझते हैं लेकिन असलियत कुछ और ही है। केवांच एक बहुत ही उत्तम औषधि है। केवांच (कौंच) के फायदे से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है। कुष्ठ रोग, योनि और खून से संबंधित बीमारियों में केवांच (कौंच) से लाभ (kaunch beej ke fayde)  मिलता है।



 

आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सका के लिए केवांच की पत्तियां, बीज, जड़, रोम आदि का उपयोग किया जाता है। आपने केवांच (किवांच या कौंच) को अनेक स्थानों पर देखा होगा, लेकिन कौंच के फायदे से अनजान होने के कारण लाभ नहीं ले पाएं होंगे। इसलिए आइए जानते हैं कि कौंच या कौंच के बीज से आपको क्या-क्या लाभ (kaunch ke beej ke fayde) मिल सकता है।

 

केवांच  क्या है? (What is Kevanch (Kaunch) in Hindi?)

केंवाच की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं। एक प्रजाति जो जंगलों में होती है। इस पर बहुत अधिक रोएं होते हैं, जबकि दूसरी प्रजाति की खेती की जाती है। दूसरी प्रजाति में कम रोएं होती हैं।

जंगली केंवाच पर घने और भूरे रंग के बहुत अधिक रोएं होते हैं। अगर यह शरीर पर लग जाए तो बहुत तेज खुजली, जलन होने लगती है। इससे सूजन होने लगती है। केंवाच की फलियों के ऊपर बन्दर के रोम जैसे रोम होते हैं। इससे बन्दरों को भी खुजली उत्पन्न होती है। इसलिए इसे मर्कटी तथा कपिकच्छू भी कहा जाता है। केवांच की दोनों प्रजातियां ये हैंः-

1.केंवाँच (Mucuna pruriens (Linn.) DC.

जंगली केवाँच या काकाण्डोला (Mucunamonosperma Wight.)

यहां कौंच से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Kaunch in hindi) में लिखा गया है ताकि आप कौंच से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

 

अन्य भाषाओं में केवांच  के नाम (Name of Kevanch (Kaunch) in Different Languages)

केवांच का वानस्पतिक नाम Mucuna pruriens (Linn.) DC. (म्युक्युना प्रुरिएन्स) Syn-Mucuna prurita (Linn.) Hook. है। यह Fabaceae (फैबेसी) कुल का है। केवांच को देश या विदेश में अनेक नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-

Kevanch in –

  • Hindi (kaunch in hindi) – केवाँच, कौंच, कौंछ, केवाछ, खुजनी
  • English – हॉर्स आई बीन (Horse eye bean), वेल्वट बीन (Velvet bean), काउहेज (Cowhage), Common Cow itch (कॉमन कॉउ इच)
  • Sanskrit – कपिकच्छू, आत्मगुप्ता, मर्कटी, अजहा, कण्डुरा, प्रावृषायणी, शूकशिम्बी, वृष्या, कच्छुरा, व्यङ्गा, दुस्पर्शा
  • Oriya – कचु (Kachu), अलोकुशी (Alokushi)
  • Urdu – कवाँचा (Kavancha)
  • Kannada – नासुगन्नी (Nassuganni)
  • Gujarati – कवच (Kavatch), कौंचा (Kauncha)
  • Tamil – पुनैईककल्लि (Punaikkali)
  • Telugu – पिल्लीयाडगु (Pilliyadagu)
  • Bengali – अकोलशी (Akolshi), अलकुशा (Alkusha)
  • Nepali – काउसो (Kauso)
  • Punjabi – कवांच(Kawanch), कूंच (Kunch)
  • Marathi (kaunch beej in marathi) – खाज कुहिली (Khaz kuhili), कुहिली (Kuhili), कवच (Kavacha)
  • Malayalam – नेक्कुरन (Neckuran)
  • Arabic – हबुलकुलई (Habulkulai)
  • Persian – अनारेघोराश (Anareghorash)

 

केवांच (कौंच) के फायदे और उपयोग (Kevanch (Kaunch) Benefits and Uses in Hindi)

केवांच के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

कब्ज की समस्या में कौंच के फायदे (Kaunch Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)

केवाँच (कौंच) के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

सिर दर्द में कौंच (केवांच) के फायदे (Kevanch Benefits in Relief from Headache in Hindi)

केवाँच (कौंच) की पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

 

स्नायु रोग में केवांच के लाभ (Kaunch Benefits to Cure Nervous System in Hindi)

1 ग्राम कौंच की जड़ के चूर्ण (kaunch beej powder) का सेवन करें। इससे स्नायु रोग ठीक होता है।

 

सांसों की बीमारी में केवांच के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Kevanch (Kaunch) in Respiratory Disease in Hindi)

1-2 ग्राम केवाँच (कौंच) के बीज के चूर्ण को मधु तथा घी के साथ मिलाकर चाटने से सांसों की बीमारी में लाभ मिलता है।

और पढ़ें: सांस संबंधी रोगों में गोखरू फायदे

 

केवांच (कौंच) के सेवन से दस्त का इलाज (Benefits of Kevanch (Kaunch) to Stop Diarrhea in Hindi)

बराबर मात्रा में बला, बड़ी कटेरी, शालपर्णी, केवाँच मूल (कौंच की जड़) तथा मुलेठी का पेस्ट बना लें। इसको घी में पका लें। घी की 5 ग्राम मात्रा में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे शूल वाले दस्त में लाभ (kaunch ke beej ke fayde) मिलता है।

 

केवांच (कौंच) के सेवन से पेचिश का इलाज (Benefits of Kevanch (Kaunch) to Stop Dysentery in Hindi)

  • 5-10 ग्राम केवाँच की जड़ के पेस्ट को तण्डुलोदक (चावल के धोवन) के साथ पिएं। इससे पेचिश ठीक (kaunch beej benefits) होती है।
  • केवाँच (कौंच) के जड़ से बने क्षीर को पका लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में पीने से वात दोष के कारण होने वाली दस्त में लाभ होता है।

 

जलोदर रोग में केवांच के फायदे (Kevanch Benefits in Ascites Treatment in Hindi)

केवाँच के जड़ को पीसकर पेट पर लगाने से जलोदर रोग में लाभ होता है। इस उपाय को करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

 

किडनी विकार में केवांच (कौंच) के औषधीय गुण से लाभ (Kevanch Uses for Kidney Disorder in Hindi)

केवाँच (कौंच) के जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से किडनी विचार, पेशाब से संबंधित समस्या (मूत्र रोग) और हैजा में लाभ होता है।

 

डायबिटीज में केंवांच (कौंच) के औषधीय गुण से लाभ (Kevanch Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)

कौंच के बीजों को छाया में सुखा लें। इसे पीस लें और 5 ग्राम बीज के चूर्ण को दूध में पकाकर पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

 

लकवा (पक्षाघात) में केवांच के औषधीय गुण से फायदा (Kevanch Uses in Fighting with Paralysis in Hindi)

  • बराबर मात्रा में उड़द, केवाँच के बीज (कौंच बीज), एरण्ड की जड़ तथा बलामूल का काढ़ा (10-30 मिली) बना लें। इसमें हींग तथा सेंधा नमक मिलाकर पीने से लकवा (पक्षाघात) में बहुत लाभ होता है।
  • केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे ग्रीवा, बाहु (भुजा या कंधे से लेकर कोहनी तक) के रोग ठीक होते हैं।
  • एक माह तक नियमित केवाँच के बीज (kaunch ke beejके रस (10-20 मिली) को पीने से अवबाहुक रोग ठीक होता है।
  • बराबर भाग में गूलर, केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के रस में हींग मिला लें। इसकी 1-2 बूंद नाक में डालने से अवबाहुक रोग में लाभ होता है।
  • केवाँच के रस को पिलाने से अवबाहुक रोग मिटता है।

मूत्र विकार (पेशाब से संबंधित रोग) में केवांच के बीज से लाभ (Kevanch Benefits for Treating Urinary Disease in Hindi)

1-2 ग्राम कौंच के बीज (कौंच बीज) के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकारों (पेशाब संबंधित रोग) में लाभ होता है। इससे शरीर स्वस्थ (kaunch beej benefits) बनता है।

योनि के ढीलेपन की समस्या में कौंच के फायदे (Kevanch is Helpful in Vaginal Laxity in Hindi)

केवाँच की जड़ के काढ़ा बना लें। इससे योनि को धोने तथा पिचु धारण करने से योनि के ढीलेपन की समस्या ठीक होती है। 

कौंच के बीज से ल्यूकोरिया का इलाज (Kaunch Benefits for Leucorrhea in Hindi)

1-2 ग्राम केवाँच की बीजों को खाएं। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

मासिक धर्म विकार में कौंच के बीज से लाभ (Benefits of Kevanch for Menstrual Disorder in Hindi)

क्रौंच के बीजों (कौंच बीज) की खीर बनाकर खिलाने से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है।

घाव सुखाने के लिए कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch (Kaunch) for Wound Healing in Hindi)

केवाँच के पत्ते को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

 

कौंच के बीज का सेवन बढ़ती उम्र को रोके (Kevanch Beneficial to Decrease Age Related Problems in Hindi)

कौंच के बीज का चूर्ण बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें एंटी एजिंग का गुण पाया जाता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार इसमें बल्य का गुण होने से यह बढ़ती उम्र के कारण आयी कमजोरी को भी दूर करने में मदद करता है। 

 

पुरुष बांझपन को दूर करने में फायदेमंद कपिकच्छु बीज (Benefit of Kevanch in Impotency in Hindi)

पुरुष के बांझपन की समस्या में कौंचबीज का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इसमें वाजीकरण का गुण पाया जाता है जिससे ये पुरुष की अंदरुनी कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। 

 

मस्तिष्क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद कौंच के बीज (Kevanch Seed Beneficial to Boost Mental Health in Hindi)

मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में कौंच बीज का पाउडर का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि कौंच बीज का चूर्ण टॉनिक की तरह काम करता है।

 

कामशक्ति (सेक्सुलअल स्टेमना) बढ़ाने के लिए कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch Increases Sexual Stamina in Hindi)

  • 2 ग्राम कौंच के बीज के चूर्ण में 1 ग्राम गोखरू के बीज का चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
  • बराबर मात्रा में केवाँच के बीज (kaunch ke beej), गोक्षुर, अपामार्ग बीज, छिलका-रहित जौ तथा उड़द को लें। इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर गाय के दूध में मिलाकर या पकाकर सेवन करें। इससे सेक्सुअल स्टेमना में बढ़ोतरी होती है।
  • केवाँच बीज (कौंच बीज) तथा तालमखाना के (2-4 ग्राम) चूर्ण में शर्करा मिला लें। इसे तााजे दूध के साथ सेवन करें। इससे शुक्राणु रोग ठीक होता है।
  • 20-30 मिली उड़द के सूप में 1-2 ग्राम केवाँच बीज का चूर्ण मिलाकर पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
  • 2 ग्राम कौंच बीज तथा 2 ग्राम गोखरू में बराबर भाग मिश्री मिलाकर पीस लें। इसकी 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद तथा दूध के साथ खिलाने से कामशक्ति में बढ़ोतरी (kaunch beej benefits) होती है।

 

बिच्छू के डंक मारनरे पर कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch is Helpful in Scorpion Bite in Hindi)

केवाँच के बीज (कौंच बीज) को पीस लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाने से बिच्छू का विष उतरता है।


केवांच के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Kevanch (Kaunch) in Hindi)

आप कौंच के इन भागों का इस्तेमाल कर सकते हैंः-

  • कौंच के बीज (kaunch ke beej)
  • कौंच की जड़
  • कौंच की फलियों पर रहने वाले रोम

 

कौंच के बीज का सेवन कैसे करें? (How to Use Kaunch?)

कौंच का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-

  • कौंच के बीज का चूर्ण (kaunch beej powder) – 3-6 ग्राम
  • कौंच की जड़ का काढ़ा – 20-50 मिली
  • कौंच के रोम का चूर्ण (Pod hair powder) – 125 मिग्रा

यहां कौंच से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Kaunch in hindi) में लिखा गया है ताकि आप कौंच से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में कौंच का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

 

कौंच के बीज के नुकसान (Side Effect of Kevanch (Kaunch) in Hindi)

कौंच के इस्तेमाल से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-

  • कौंच के बीजों का प्रयोग शोधन के बाद करना चाहिए।
  • इसकी फलियों पर लगे हुए रोम बहुत अधिक खुजली (kaunch ke beej ke nuksan) करते हैं। इसलिए इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

 

केवांच कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Kevanch (Kaunch) Found or Grown?)


केवांच (कौंच) की लता (kaunch tree) मैदानी इलाकों में पाई जाती है। यह हिमालयी क्षेत्रों में भी मिलती है। भारतवर्ष के सभी मैदानी भागों में तथा हिमालय में 1000 मीटर की ऊँचाई तक केवांच मिलती है। कई स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है।

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी पाउडर (20 पैक)

 

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी पाउडर (20 पैक)

Name

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर (20 पैक)

Brandकीटोफ्यूल
MRP₹ 1199
Categoryकॉफी ( coffee ) चाय, कॉफ़ी, आहार-पोषण और अनुपूरक
Sizes10पैक, 20पैक
Prescription RequiredNo
Length16 सेंटिमीटर
Width13 सेंटिमीटर
Height13.5 सेंटिमीटर
Weight286 ग्राम
Flavorआइस्ड एक्सप्रेस

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर के बारे में

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर एक रेडी-टू-मिक्स, वस्तुतः बिना मीठा कॉफी ( coffee ) पाउडर है जो मीडियम भुनी अरेबिका कॉफी ( coffee ) बीन्स की अच्छाई का इस्तेमाल करके बनाया गया है। इसमें कोई कृत्रिम स्वाद ( taste ), कलर या संरक्षक नहीं हैं।

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर की मटेरियल

  • एमसीटी
  • अरेबिका कॉफी ( coffee ) बीन्स

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर के इस्तेमाल / फायदा

  • रेडी-टू-मिक्स पैक
  • एमसीटी और नारियल से चिकनाई से भरा हुआ
  • करीब-करीब मीठा नहीं हुआ
  • मीडियम रोस्ट, अरेबिका कॉफी ( coffee ) बीन्स शामिल हैं
  • मूल केटोफ्यूएल एमसीटी/नारियल मिश्रण ( mixture ) द्वारा ऑपरेटेड
  • नेचुरल स्टेविया पत्ती निकालने के साथ हल्का मीठा
  • पूरी तरह से शुगर फ्री
  • कोई कृत्रिम कलर, स्वाद ( taste ) या संरक्षक नहीं

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर के संभावित दुष्प्रभाव ( side effect )

इस तरह के कोई साइड इफेक्ट की इनफार्मेशन ( information ) नहीं मिली है, लेकिन यदि आप कोई ध्यान करते हैं, तो फ़ौरन इस्तेमाल बंद कर दें और अपने डॉक्टर से सलाह करें

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर का इस्तेमाल / डोज़ कैसे करें

  • जैसा कि उत्पाद ( product ) पर निर्धारित है या आपके सेहत देखरेख प्रोफेशनल द्वारा परामर्श दी गई है

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर का इस्तेमाल करते अवधि ( समय ) बरती जाने वाली सतर्कता

  • उत्पाद ( product ) का इस्तेमाल करते अवधि ( समय ) निर्देशों को ध्यान से अध्ययन करें
  • नमी और सीधी धूप से दूर ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह में स्टोर ( store ) करें
  • इसे शिशुओं और पालतू पशुओं की पहुंच से दूर कहीं रखें

केटोफ्यूल कोल्ड ब्रू केटोजेनिक कॉफी ( coffee ) पाउडर के बारे में अलावा जानकारी

  • नतीजा जीवन शैली और अपनाए गए भोजन के साथ अलग हो सकते हैं
  • यह उत्पाद ( product ) किसी भी रोग का इलाज, ट्रीटमेंट ( treatment ), उपचार या बचाव करने के लिए अभिप्रेत नहीं है
  • प्रेग्नेंट और स्तनपान ( breastfeeding ) कराने वाली स्त्रियों को कोई भी औषधि या सेहत अनुपूरक लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह करना चाहिए
  • प्रकाश और स्क्रीन रिज़ॉल्यूशन ( resolution ) के बुनियाद पर, उत्पाद ( product ) का कलर अल्प अलग हो सकता है

लिंग की दुर्बलता या शिथिलता दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय उपचार

 



लिंग की कमजोरी दुर्बलता या शिथिलता का आयुर्वेदिक इलाज और उपचार जानने से पहले आपको यह पता होना चाहिए की लिंग की शिथिलता गया दुर्बलता पुरुषों में पाई जाने वाली एक बहुत ही साधारण समस्या है जोकि आजकल के खराब खानपान, नशा, खराब जीवनशैली, मानसिक तनाव जरूरत से अधिक होने के कारण किसी भी पुरुष या लड़के को किसी भी उम्र में हो सकती है| लिंग की कमजोरी या दुर्बलता को मेडिकल भाषा में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के नाम से जाना जाता है जिसने की सेक्स के दौरान आखिर लिंग में कड़कपन या सख्ती नहीं आती और आपका लिंग ढीला ढाला कमजोर या शिथिल पड़ जाता है| लिंग की दुर्बलता और शिथिलता के कारण लिंग में पर्याप्त तनाव नहीं आ पाता जिसके कारण आप शारीरिक सुख नहीं भोग पाते और अक्षर पुरुष कैसा होने पर बहुत अधिक मानसिक तनाव मैं रहने लगते हैं कॉलिंग की कमजोरी दूर करने के उपाय खोजने लगते हैं| यदि आप भी लिंग की कमजोरी या दुर्बलता का शिकार हो गए हैं तो हम आपको लिंग की शिथिलता दूर करने के कुछ आयुर्वेदिक इलाज क्या उपचार के उपाय बताने जा रहे हैं जिनके द्वारा आप अपने लिंग को स्वस्थ्य कड़क और ताकतवर बना सकते हैं| तो चलिए जानते हैं लिंग की दुर्बलता या शिथिलता दूर करने का आयुर्वेदिक उपचार या गिलास क्या होता है|


लिंग की शिथिलता या इरेक्शन होने में असफलता (ईडी) वह समस्या है जिसमें पुरुष सेक्स के दौरान इन्द्रिय में कड़ापन नहीं बनाए रख पाता। यह एक आम समस्या है, खासकर 40 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में। ईडी के इलाज में अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दिक्कतों को देखा जाता है जो यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे होते हैं। शोध से पता चलता है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा दृष्टिकोण ईडी के उपचार में सहायता कर सकता है।

लिंग की शिथिलता को नपुंसकता, नामर्दी या इम्पोटेंसी भी कहते हैं। पेनिस के सही से इरेक्ट नहीं होने की स्थिति में सम्भोग शक्ति नहीं रह पाती जिससे पुरुष को उदासी और ग्लानि क अनुभाव होता है।

इरेक्शन नहीं आने के लिए (erectile dysfunction) घरेलू उपचार

पुरुषों में यौन नपुंसकता एक आम समस्या है जिसका आवृत्ति उम्र के साथ बढ़ती है। नपुंसक होने का मतलब यह नहीं है कि आपको हमेशा इस समस्या का सामना करना पड़ेगा। पुरुषों को अधिक यौन शक्ति प्राप्त करने में मदद करने के लिए आयुर्वेदि दवा और घरेलू उपचार हैं।

हिमकॉलिन जेल

यह एक जेल बेस्ड दवा है जो हिमलय द्वारा निर्मित है। इस जेल से पेनिस की मालिश करें।

टेंटेक्स फोर्ट tentex forte

यह हिमालय निर्मित दवाई है जिसकी एक गोली शाम और रात को मिश्री मिले दूध के साथ ले सकते हैं।

लहसुन का उपयोग

लहसुन एंटीसेप्टिक और प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है। रोजाना कच्चे लहसुन के दो से तीन कली चबाएं। नियमित रूप से कच्चे लहसुन के दो या तीन कली चबाने से यौन नपुंसकता का इलाज करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, पूरे अनाज के साथ तैयार लहसुन की रोटी खाने से स्वस्थ शुक्राणुओं के उत्पादन में मदद मिलती है।

प्याज का रस

प्याज को एक प्रभावी एफ़्रोडायसियाक और सर्वश्रेष्ठ कामेच्छा बढ़ाने वालों में से एक माना जाता है। यह उपाय नींद या अन्य समय,वीर्य के समय से पहले स्खलन, नपुंसकता और अनैच्छिक हानि का इलाज करने में मदद करता है। सफेद प्याज का रस दस मिलीलीटर को शहद पांच मिलीलीटर और घी मिलाकर सुबह और शाम लें। इसे खाली पेट लें।

उरद दाल का प्रयोग

बिना छिलके की उडद दाल, को घी में भून लें। इसे आधे लीटर  दूध में अच्छे से पकाएं। जब दूध आधा रह जाए तो मिश्री मिलाकर खाएं। ऐसा एक महीने तक कर के देखें।

किशमिश

किशमिश का उपयोग कर यौन नपुंसकता और यौन शक्ति की पाने में उपयोगी है। काले किशमिश पानी में धोएं और फिर दूध से उबालें। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए इन किशमिशों को दूध के साथ खाएं। आपको 30 ग्राम किशमिश के साथ शुरू करने की आवश्यकता है, उसके बाद 200 मिलीलीटर दूध दिन में तीन बार होता है और फिर किशमिश की मात्रा धीरे-धीरे 50 ग्राम तक बढ़ा दी जा सकती है।

अश्वगंधा का प्रयोग

  • अश्वगंधा को भारतीय जीन्सेंग भी कहा जाता है। यह पुरुषों में शुक्राणुओं और प्रजनन क्षमता में सुधार लाती है । भारतीय जीन्सेंग हार्मोन के स्तर को विनियमित करके और आपके कोशिकाओं को स्वस्थ बनाकर काम करती कता है।
  • यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है। इसे खाने से तनाव को कम करने में मदद होती है। दोनों कारकों का ईडी लक्षणों पर असर पड़ सकता है।
  • अश्वगंधा रूट पाउडर, एक्सट्रेक्ट और कैप्सूल रूप में उपलब्ध है। इसे प्रभावी होने के लिए, एक उच्च दैनिक खुराक (प्रति दिन 6,000 मिलीग्राम तक) की सिफारिश की जाती है।

सफ़ेद मुस्ली का इस्तेमाल

Safed musli वजारीकरण जड़ी भी है। कुछ शोध से पता चलता है कि यह शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाती है। सुरक्षित मस्ली की सिफारिश की गई दैनिक खुराक प्रति दिन 2 ग्राम है। इसे कैप्सूल या शुद्ध पाउडर रूप में खरीदा जा सकता है।

योग करें

योग के अभ्यास से एकाग्रता, और ध्यान, परिसंचरण में सुधार होता है। इससे तनाव स्तर कम हो जाता है । तनाव-स्तर का कम होना ईडी के लक्षणों में सुधार करता है,। योग टेस्टोस्टेरोन के स्वस्थ स्तर को बढ़ाता है।

कई अध्ययनों ने आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी बूटियों की प्रभावशीलता को कंफ़र्म किया है। लेकिन इन जड़ी बूटियों की उचित खुराक और अन्य हर्बल और दवाओं के साथ उनके संभावित इंटरैक्शन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अन्य जड़ी बूटियों के संयोजन के साथ ईडी का इलाज़ शुरू करने से पहले जड़ी बूटियों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त करे अथवा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।